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सूर्य ग्रहण में गर्भवती (Pregnant Women) महिला को क्या करना चाहिए? गर्भवती महिलाओं के लिए ये बातें बहुत जरूरी
सूर्य ग्रहण में गर्भवती (Pregnant Women) महिला को क्या करना चाहिए?
हिंदू पंचांग के अनुसार तीसरे मास ज्येष्ठ में साल का पहला सूर्य ग्रहण साल 2021 में 10 जून को लग रहा है। लग रहा है। इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल मान्य नहीं। इसलिए धार्मिक कृत्य पर मनाही नहीं होगी। 10 जून को दोपहर 13:42 बजे से लेकर 18:41 बजे तक रहने वाला वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान भले सूतक काल नहीं लग रहा है,लेकिन सब को बहुत सी बातों की मनाही है। खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए कोई भी ग्रहण हो कुछ कामों की सख्त मनाही है।
साल 2021 में दो सूर्य ग्रहण एक 10 जून 2021 को दूसरा सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को लगेगा। 10 जून को लगने वाला ग्रहण भारत में भले ना दिखें, लेकिन ग्रहण के नियमों का पालन सबके लिए खासकर गर्भवती के लिए जरूरी है।इस दौरान किए गए कुछ काम करने से मां और बच्चा दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जानते हैं कि ग्रहण के समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं सिर्फ फलाहार करें
कोई भी ग्रहण हो उस दौरान सिर्फ एक ही काम करने की इजाजत दी गई है। वो है ईश्वर का ध्यान और पूजा। लेकिन सूतक काल में धार्मिक कामों की मनाही है। लोग अपने घरों से कहीं बाहर नहीं जाते हैं और ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने का प्रयास करते हैं। ग्रहण के दौरान खाना खाने की भी मनाही होती है।वहीं प्रेग्नेंट महिलाओं को ग्रहण के वक्त भूख लगे तो वह फलाहार कर सकती हैं।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान जैसे खाली आंखों से सूर्य ग्रहण को नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से आंखों की रोशनी पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। साथ में ग्रहण का प्रभाव गर्भवती महिला और गर्भ पर भी पड़ता है। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को खास सुरक्षा की जरूरत है, ताकि मां के साथ ही होने वाला बच्चा भी ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बच सके।
- ग्रहण से गर्भवती महिलाओं के त्वचा और आंखों को बहुत अधिक नुकसान हो सकता है। इससे गर्भस्थ शिशु को भी त्वचा की परेशानी हो सकती है। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर के बाहर नहीं निकलना चाहिए। ग्रहण की छाया गर्भस्थ शिशु के लिए अशुभ माना जाता है।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान सूर्यदेव की पूजा, आदित्य ह्द्य स्तोत्र, सूर्याष्टक स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ग्रहण लगने से पहले और खत्म होने के बाद गर्भवती महिलाओं को एक बार जरूर स्नान कर लेना चाहिए। इससे दूषित तरंगों का असर नहीं पड़ता है।
ग्रहण में गर्भवती महिला को सोना चाहिए या नहीं ?
यदि घर में कोई गर्भवती है तो ग्रहण के दौरान उन्हें बाहर न निकलने दें। सूर्य ग्रहण के दौरान सोने की मनाही होती है लेकिन गर्भवती महिलाएं आराम कर सकती हैं। ग्रहण के दौरान सूर्य व् चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिला को सोना नहीं चाहिए, बल्कि अपने आराध्य का ध्यान करें या अपना कोई मनपसंद काम करें। इससे मां खुश रहेगी तो बच्चा भी खुश रहेगा।
सूर्य ग्रहण के उपाय
- ग्रहण के दौरान चाकू, कैंची, सूई और पैन जैसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल गर्भवती महिला और उसके पति को नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से उसके शिशु के अंगों को हानि पहुंच सकती है। खिड़कियों को अखबारों या मोटे पर्दों से ढक देना, ताकि ग्रहण की कोई भी किरण घर में प्रवेश न कर सके।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं नेगेटिविटी के लिए करें ये काम। गर्भवती महिला को अपने पास 1 नारियल रखना चाहिए। इससे नेगेटिव एनर्जी आस-पास नहीं आती।
सूर्य ग्रहण में गर्भवती महिला इन बातों का भी रखें ध्यान...
सूर्य ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को क्या करना चाहिए? ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती महिला को तुलसी का पता खाना चाहिए और हनुमान चालीसा और दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए। मांसाहार व नशा से दूर रहें। नाभि के पास चंदन का पेस्ट या गोबर लगाएं। किसी प्रकार का कोई तनाव ना लें। धार्मिक किताबें पढ़ें।
कुल मिलाकर गर्भवती महिलाओं को खुद का और अपने आने वाले बच्चे के बेहतरी के लिए इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए, क्योंकि ग्रहण के समय की दूषित किरणें मां और बच्चे की सेहत पर तो बुरा असर डालती हैं। साथ ही मानसिक रुप से विक्षिप्त भी कर सकती है तो सतर्कता के साथ जरूर से इन नियमों का पालन कर मां और बच्चे को स्वस्थ और खुश रख सकते हैं।
गर्भवती महिलाएं मंत्रों से करें खुद की रक्षा
सूर्य ग्रहण के दौरान महिलाओं उपरोक्त नियम बताए गए है, जिनका पालन करना गर्भस्थ शिशु के लिए जरूरी है। इसके अलावा ग्रहण को दौरान महिलाओं को कुछ मंत्रों का जाप भी करना चाहिए ताकि अंदर से मजबूती मिले और आने वाले बच्चे की रक्षा हो।बच्चे का भविष्य उज्जवल और नाम शोहरत से भरा हो।
- रक्ष रक्ष गणाध्यक्षः रक्ष त्रैलोक्य नायकः।
भक्त नाभयं कर्ता त्राताभव भवार्णवात्।।
- 'कृं कृष्णाय नमः'।
- 'ऊ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा।
- 'गोवल्लभाय स्वाहा'।
- ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय'।
- 'ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा'।
- 'गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:'।
- 'ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा'।
उपरोक्त मंत्रों का जाप ग्रहण के दौरान 11, 21,51 या 108 बार करने से बुद्धिमान और सर्वगुण संपन्न संतान होती है। ये मंत्र ग्रहण के दौरान मां और बच्चे दोनों के लिए रक्षा कवच का काम करते हैं।