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1962 के बाद लगने जा रहा सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण, न करें ये गलतियां, होगा भारी नुकसान

साल 2019 का आखिरी सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 यानी गुरुवार को लगने जा रहा है। यह ग्रहण सुबह 8 बजे से शुरू होगा, 9:37 पर ग्रहण का मध्यकाल होगा और 10:57 पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा।

Dharmendra kumar
Published on: 25 Dec 2019 1:26 PM GMT
1962 के बाद लगने जा रहा सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण, न करें ये गलतियां, होगा भारी नुकसान
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नई दिल्ली: साल 2019 का आखिरी सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 यानी गुरुवार को लगने जा रहा है। यह ग्रहण सुबह 8 बजे से शुरू होगा, 9:37 पर ग्रहण का मध्यकाल होगा और 10:57 पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा। ज्योतिषियों के मुताबिक साल का आखिरी सूर्य ग्रहण तबाही की वजह बन सकता है। इसलिए लोगों को संभलकर रहने की जरूरत है।

ग्रहण के समय 6 ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, गुरु, शनि और बुध की युति धनु राशि में केतु के साथ होगी। इससे पहले 5 फरवरी 1962 के पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय मकर राशि में सभी 7 ग्रह केतु के साथ उपस्थित थे।

हिंदू धर्म की धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सूतक काल में कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए। नहीं तो आपको इसके दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं। ग्रहण के दौरान कुछ विशेष सावधानी बरतनी होती है जिससे इसके प्रभावों से बचा जा सके। आइए बताते हैं कि इस दौरान भूलकर भी कुछ काम नहीं करना चाहिए, ऐसा करना ज्योतिषीय आधार पर शुभ नहीं माना जाता है।

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भारत में इस सूर्य ग्रहण के लगने की वजह से यहां पर इस ग्रहण का सूतक भी लागू होगा। सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है जो कि ग्रहण काल के समाप्त होने तक रहता है। 26 दिसंबर के सूर्य ग्रहण का सूतक काल 25 दिसंबर 2019 को शाम 05:33 से प्रारंभ होकर 26 दिसंबर 2019 को सुबह 10:57 बजे तक रहेगा।

साल का अंतिम सूर्य ग्रहण खंडग्रास है यानी खास माना जा रहा है। खंडग्रास सूर्य ग्रहण उस समय पड़ता है, जब चंद्रमा पृथ्वी से बहुत दूर होते हुए भी पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है।

सूतक काल के दौरान सभी चीजों में तुलसी की पत्तियां डाल देनी चाहिए। मान्यता के मुताबिक ग्रहणकाल शुभ नहीं होता है, इसलिए इस दौरान चीजें दूषित हो जाती हैं। तुलसी की पत्ती डालने से चीजें शुद्ध बनी रहती हैं। वहीं आपको इस दौरान तुलसी के पौधे को भी स्पर्श नहीं करना चाहिए, सूतक काल के बाद तुलसी के पत्तों को ना तोड़ें। सूतक काल के दौरान भोजन में तुलसी का पत्ता अवश्य रखें। वहीं ग्रहण समाप्ति के बाद तुलसी के पत्ते को हटा दें।

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इस दौरान गर्भवती स्त्रियों को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें सब्जी काटना, सुई मेंधागा डालना, पापड़ सेकना आदि उत्तेजित कार्यों से परहेज करना चाहिए। प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। गर्भवती स्त्री को सूर्य ग्रहण में अपने घर से भी बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस दौरान हर तरफ नकारात्मक ऊर्जा फैलती है, जिसकी वजह से गर्भवती मां के पेट में पल रहे शिशु पर भी काफी असर पड़ सकता है। गर्भवती महिलाओं को नुकीली चीजों को स्पर्श नहीं करना चाहिए। वैसे तो ग्रहणकाल में भोजन नहीं करना चाहिए लेकिन गर्भवती स्त्री, बीमार व्यक्ति और वृद्धजन के लिए जरूरी नहीं है वह चाहे तो इस समय फलाहार ले सकते हैं।

सूतककाल लगने के बाद मांस मदिरा का सेवन न करें। अगर आप ऐसा करते हैं तो सूर्य ग्रहण आपके लिए अशुभ फल दे सकता है। सूर्य ग्रहण के दौरान सूतककाल में आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के दौरान सूतककाल में किसी सुनसान जगह पर ना जाएं। ग्रहण के दौरान भोजन और पानी का सेवन न करें। ग्रहण के दौरान आदित्य हृदय स्रोत का पाठ कर सकते हैं। ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिये महा मृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।

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सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है इस समय कोई भी शुभ कार्य न करें। इसके साथ ही भोजन पकाने और खाने से बचना चाहिए। हालांकि गर्भवती महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग, और बीमार व्यक्तियों पर यह नियम लागू नहीं होता। सूतक के दौरान मंदिरों में भगवान के पट बंद कर दिए जाते हैं इसलिए उनकी पूजा-अर्चना नहीं करनी चाहिए। भगवान की मूर्ति को स्पर्श न करें।

सूर्य ग्रहण के दौरान मल-मूत्र, दांतों की सफाई, बालों में कंघी आदि नहीं करनी चाहिए। ग्रहण को कभी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। सूतक में व्यसन, बुरे काम, बुरे विचार और झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि इस समय किए गए बुरे कार्य का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। सूतक काल के दौरान ईश्वर का भजन, आराधना, धार्मिक पुस्तकें और उनके मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।

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ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगाजल का छिड़ककर शुद्धिकरण करें। साथ ही घर में ताजा भोजन पकाएं और फिर ग्रहण करें। सूतक खत्म हो जाने के बाद पीने का पानी बदल लें। साथ ही जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करना चाहिए, भूखें लोगों को दान करना चाहिए। सूतक के बाद पेड़ पौधे जरूर लगना चाहिए।

Dharmendra kumar

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