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Surya Ko Jal Kyo Chadhate Hai:सूर्य को जल क्यों चढ़ाते हैं?, जानते हैं इससे जुड़े रहस्य और सूर्य को अर्घ्य देने का लाभ

Surya Ko Jal Kyo Chadhate Hai: ज्योतिष शास्त्र में भगवान सूर्य को सभी ग्रहों का स्वामी माना गया है। सूर्य शाश्वत है। सूर्य को जल देने से हर ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है। सूर्य को जल अर्पित करना बेहद लाभदायक माना जाता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 14 Dec 2021 4:55 AM GMT (Updated on: 14 Dec 2021 6:26 AM GMT)
Surya Ko Jal Kyo Chadhate Hai
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सांकेतिक तस्वीर , सौ. से सोशल मीडिया

Surya Ko Jal Kyo Chadhate Hai( सूर्य को जल क्यों चढ़ाते हैं?)

सूर्य को देव माना गया है और उनकी पूजा और उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। कहते हैं कि सूर्योदय से पहले जो व्यक्ति उठता है और नित्य सूर्य को जल अर्पित करते हैं उन्हें जीवनभर सुख-समृद्धि के साथ उर्जावान बने रहने का आशीर्वाद मिलता है। हमारे पुरातन ग्रंथों में और ऋषि मुनियों ने सूर्य की महिमा का बखान किया है। सनातन धर्म में पंचदेवों में से एक सूर्य देव हैं। इसी तरह सूर्य को जल का अर्घ्य देना और जल अर्पित करना भी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। ज्योतिष शास्त्र में भगवान सूर्य को सभी ग्रहों का स्वामी माना गया है। सूर्य शाश्वत है। सूर्य को जल देने से हर ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है। सूर्य को जल अर्पित करना बेहद लाभदायक माना जाता है। भगवान सूर्य को वैसे तो रोज जल अर्पित करना चाहिए, लेकिन रोज नहीं कर पाते तों रविवार के दिन जरूर करना चाहिए। जानते हैं सूर्य को जल चढ़ाने के ज्योतिषीय और वैज्ञानिक वजह...

सूर्य को जल देने का सही समय

सूर्य को जल देने का सही समय सूर्योदय का समय होता हैं। जब भी सूर्योदय का समय हो रहा हो, उस समय सूर्य देव को जल चढ़ा देना चाहिए। यह समय सीमा सूर्योदय होने के एक से दो घंटे की ही होती हैं अर्थात सूर्योदय होने के बाद ज्यादा से ज्यादा दो घंटे तक सूर्य को जल अर्पण कर सकते हैं, उसके बाद तो बिल्कुल भी नही।

ऐसा इसलिए क्योंकि धीरे-धीरे सूर्य की किरणों का प्रभाव तेज होता जाता हैं। ऐसे में यह प्रक्रिया हमे लाभ देने के स्थान पर हानि अधिक पहुंचा सकती है। कुछ लोग सूर्यास्त के समय भी सूर्य को अर्घ्य देते हैं जो कि गलत नही कहा जा सकता।

सांकेतिक तस्वीर , सौ. से सोशल मीडिया

सूर्य को जल और पूजा करने की विधि

सूर्य को जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सादा जल केवल सूर्य को अर्पित न करें। सूर्य की पूजा करने के बाद केवल लोटे में जल लेकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली, चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य को जल देना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें चावल अर्पित करना चाहिए और गुड़ या फिर कुछ मीठा अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे आपको सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।

सूर्य को जल चढ़ाते समय रखें ध्यान

जब आप सूर्य को जल दे रहे हो तो ध्यान रखें की जल सीधे आपके पैरों पर नहीं गिरना चाहिए। जल चढ़ाते समय अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर जल अर्पित करें ताकि सूर्य की किरण आपके शरीर पर पड़े और जल गिरते समय आपके पैरों को न छुए। माना जाता है कि यदि जल चढ़ाते समय आपके पैरों पर गिरता है तो सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है।

सूर्य को जल देने की दिशा और 12 नामों का जाप

सूर्य पूर्व दिशा से उदय होता है, इसलिए चाहे हम उसे अपनी आँखों से देख पाए या नही। ऐसे में आप सूर्य ना दिखने की स्थिति में पूर्व दिशा की ओर मुख करके भी सूर्य को जल दे सकते हैं। सूर्य को तांबे के पात्र से जल देना चाहिए । नीचे पड़े जल को चढ़ाना चाहिए और बाद में उसे आंखों मे ंलगाना चाहिए । इससे रौशनी बढ़ती है।सूर्य को जल देने के बाद ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।


सांकेतिक तस्वीर , सौ. से सोशल मीडिया

सूर्य को अर्घ्य देने का लाभ

  • सूर्य को आत्मा और पिता का कारक माना गया है। सूर्य को नियमित अर्घ्य देने से आत्मा शुद्ध रहती है, पिता से सुख और सहयोग प्राप्त होता है।
  • नौकरी में तरक्की और प्रभाव के लिए सूर्य देव को नियमित तौर पर जल अर्पित करना चाहिए।
  • सूर्य की पूजा करने और अर्घ्य देने से व्यक्ति में आंख और हड्डियों से जुड़ी समस्याएं होने की आशंका कम हो जाती है।
  • जो लोग राजनीति में हैं, उनको नियमित सूर्य वंदना और अर्घ्य देना चाहिए. इससे प्रभाव बढ़ता है।
  • सूर्य की पूजा और अर्घ्य देने से कुंडली में इस ग्रह से जुड़े दोष धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं।
  • शास्त्रों में मान्यता है कि सूर्य को जल अर्पित करते समय जो छींटे हमारे बदन पर गिरते हैं वो सूर्य की किरणों से प्रभावित होती है और उस जल में कई शारीरिक परेशानियों को खत्म करने की क्षमता होती है। ऐसा करने से शरीर निरोग और मन शांत रहता है।

सूर्य को जल ( अर्घ्य) देने का महत्व

सौरमंडल में सूर्य को निडर और निर्भीक ग्रह माना गया है। इस आधार पर सूर्य को अर्घ्य देने वाले व्यक्ति को भी ये विशेष गुण व्यक्ति मिलते हैं। सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य देने से व्यक्ति कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती है। ज्योतिषविद्या के मुताबिक हर दिन सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति की कुंडली में यदि शनि की बुरी दृष्टि हो तो उसका प्रभाव भी कम होता है। जो व्यक्ति विशेष रूप से रोजाना ऐसा करता है तो इससे उसके जीवन पर पड़ने वाले शनि के हानिकारक प्रभाव भी कम हो जाते हैं। चंद्रमा में जल का तत्व निहित होता है और जब हम सूर्य को जल देते हैं तो न सिर्फ सूर्य बल्कि चंद्रमा से भी बनने वाले शुभ योग स्वयं ही व्यक्ति की कुंडली में विशेष रूप से सक्रिय हो जाते हैं।


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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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