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सनातन धर्म के प्राणाधार थे आदि गुरु शंकराचार्य, जानिए उनके जीवन से जुड़ी ये बातें

आज गुरु शंकराचार्य की जंयती है। उन्होंने हिन्दू धर्म के प्रचार के लिए देश के चारों कोनों में मठों की स्थापना की थी।

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Newstrack Network NetworkPublished By Suman Mishra | Astrologer
Published on: 17 May 2021 11:26 AM IST (Updated on: 17 May 2021 12:11 PM IST)
आध्यात्मिक गुरु शंकराचार्य की जंयती
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कांसेप्ट फोटो ( सौ. से सोशल मीडिया)

लखनऊ: आज आध्यात्मिक गुरु शंकराचार्य की जंयती है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को उनका जन्म हुआ था। इस साल आज यानि 17 मई को शंकराचार्य की जयंती मनाई जा रही है। हिंदू धर्म की पुर्नस्थापना का काम गुरु शंकराचार्य ने किया था।

1200 साल पहले कोचि के कालटी नाम के गांव में हुआ था।वो नंबूदरी ब्राह्मण थे। उन्ही के कुल के ब्राह्मण आज के समय में बद्रीनाथ मंदिर में का रावल ( प्रधान )होते हैं। इसके अलावा ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य की गद्दी पर नम्बूदरी ब्राह्मण ही बैठते हैं।

जन्म और वैराग्य

शंकराचार्य को शिव का अवतार माना जाता है। पौराणिक कथानुसार उनके माता-पिता ने शिव भगवान की कठोर तपस्या कर उन्हें वरदान में मांगा था। इसलिए वो बचपन से ही कुशाग्र थे। आदिगुरु शंकराचार्य बचपन में ही बहुत प्रतिभाशाली थे। जन्म के कुछ साल बाद ही उनके पिता का देहांत हो गया था। कहते हैं कि गुरु शंकराचार्य ने बहुत ही कम समय और कम उम्र में वेदों को कंठस्थ कर महारथ हासिल किया था। कई ग्रंथों की रचना कर दी थी। और फिर मां की आज्ञा से वैराज्ञ्य धारण कर लिया था। बाद में कम उम्र में ही केदारनाथ में समाधी भी ले ली थी।

कांसेप्ट फोटो ( सौ. से सोशल मीडिया)

गुरु शंकराचार्य के जीवन की खास बातें

आध्यात्मिक गुरु शंकराचार्य ने भारत में चार मठों की स्थापना की थी। उत्तर में बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ की स्थापना की थी। पश्‍चिम में द्वारिका में शारदामठ की स्थापना की थी। दक्षिण में श्रंगेरी मठ की स्थापना की और पूर्व दिशा में जगन्नाथ पुरी में गोवर्धन मठ की स्थापना की थी।

दस संप्रदाय की स्थापना

दसनामी सम्प्रदाय की स्थापना भी आदि शंकराचार्य ने ही की थी यह दस संप्रदाय हैं:- गिरि, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, अरण्य ,तीर्थ और आश्रम। शंकराचार्य के चार शिष्य थे पद्मपाद (सनन्दन), हस्तामलक, मंडन मिश्र, तोटक (तोटकाचार्य)। गौडपादाचार्य और गोविंदपादाचार्य शंकराचार्य के गुरु थे।

ब्रह्म वाक्य प्रचार

शंकराचार्य ने इस ब्रह्म वाक्य को प्रचारित किया था कि 'ब्रह्म ही सत्य है और जगत माया।' आत्मा की गति मोक्ष में है। ऐसा माना जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने केदारनाथ क्षेत्र में समाधी ली थी। केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार भी शंकराचार्य ने ही करवाया था।



Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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