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तुलसी विवाह कब मनाया जाता है Tulsi Vivah 2022 kab hai Date and Time: जानिए सही तिथि, कथा और महत्व, इस दौरान न करें ये गलतियां

Tulsi Vivah 2022 Date and Time: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी जी का विवाह शालीग्राम भगवान के साथ होता है। इस दिन मां तुलसी का विवाह करने से हर दुख का नाश होता है और जीवन खुशहाल रहता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 14 Oct 2022 2:29 PM IST (Updated on: 14 Oct 2022 2:45 PM IST)
तुलसी विवाह कब मनाया जाता है Tulsi Vivah 2022 kab hai Date and Time: जानिए सही तिथि, कथा और महत्व, इस दौरान न करें ये गलतियां
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सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Tulsi Vivah 2022 Date and Time

तुलसी विवाह 2022 कब मनाया जाता है

भगवान श्री विष्णु के स्वरूप शालिग्राम का विवाह तुलसी माता से जिस दिन हुआ था। उस दिन को तुलसी विवाह के नाम से जानते हैं। तुलसी विवाह का उत्सव हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तिथि को मनाया जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री विष्णु देवशयनी एकादशी के दिन विश्राम करने के लिए अपने शयनकक्ष में चले जाते हैं। इस दिन से सभी मांगलिक कार्य जैसे – गृहप्रवेश, विवाह, व्रत, त्योहार रूक जाते हैं। मानते हैं कि कार्तिक मास की एकादशी के दिन विष्णु भगवान जागते हैं और इस दिन से ही शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।

इस बार 2022 में तुलसी विवाह का आयोजन 05 नवंबर, 2022 दिन शनिवार को किया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह की लंबी निद्रा के बाद जागते हैं। इसके साथ ही सारे शुभ मुहूर्त खुल जाते हैं।इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार के साथ माता तुलसी के विवाह करने की परंपरा है।। तुलसी विवाह के साथ ही सभी मांगलिक और धार्मिक कार्य शुरू हो जाते हैं

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त

  • तुलसी विवाह 2022 : 05 नवंबर, 2022, शनिवार
  • कार्तिक द्वादशी तिथि शुरू: 05 नवंबर 2022 शाम 06:08 बजे
  • द्वादशी तिथि समाप्त: 06 नवंबर 2022 शाम 05:06 बजे
  • तुलसी विवाह पारण मुहूर्त : 06 नवंबर को , 13:09:56 से 15:18:49 तक रहेगा।

तुलसी विवाह पूजन विधि

भगवान विष्णु का आवाहन इस मन्त्र के साथ करें –

आगच्छ भगवन देव अर्चयिष्यामि केशव। तुभ्यं दास्यामि तुलसीं सर्वकामप्रदो भव

  • तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता के पौधे को गेरू से सजा लें।
  • इसके बाद तुलसी के पौधे पर ओढ़नी के रूप में एक लाल रंग की चुन्नी ओढा दें।
  • अब गमले के चारों ओर गन्नों को खड़ा करके विवाह का मंडप बना लें। इसके बाद तुलसी माता को साड़ी से लपेट दें और उन पर सभी श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ा दें।
  • इसके बाद श्री गणेश भगवान की वंदना से पूजा आरम्भ करने के बाद ॐ तुलस्यै नाम: का जाप करते हुए तुलसी की पूजा करें। इसके पश्चात् सभी देवताओं का नाम लें और उन्हें भी धूप बत्ती दिखाएं।
  • अब एक नारियल लें और उसे तुलसी माता के समक्ष टिके के रूप में चढ़ा दें।
  • इसके बाद भगवान शालिग्राम जी की मूर्ति को अपने हाथ में लेकर तुलसी माता के पौधे की सात बार परिक्रमा करें। इस प्रकार तुलसी विवाह व तुलसी पूजा सम्पन्न होती है। साथ ही जीवन में सुख सौभाग्य की पूर्ति होती है।


तुलसी विवाह का महत्व

  • यदि किसी व्यक्ति की संतान नहीं हैं या कोई कन्या नहीं हैं। जिसके कारण उन्हें कन्यादान जैसे जीवन के महादान के रूप में जाना जाता हैं। इस पुण्य को कमाने के लिए उस व्यक्ति को तुलसी विवाह के दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह करवाना चाहिए।तुलसी विवाह के दिन विवाह करवाने से कन्यादान के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती हैं।
  • यदि तुलसी विवाह के दिन विधिवत रूप से पूजा की जाए तो तुलसी पूजा करने वाले व्यक्ति को शुभफल की प्राप्ति होती हैं। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • तुलसी विवाह के दिन व्रत भी रखा जाता हैं। माना जाता हैं कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता हैं। उसे इस जन्म के पापों से तो मुक्ति मिल ही जाती हैं। इसके साथ की उसके पूर्व जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
  • तुलसी विवाह के दिन तुलसी माता की पूजा करने से या तुलसी विवाह करवाने से घर में सुख – शांति बनी रहती हैं व धन आदि की कभी कमी नहीं होती। क्योंकि तुलसी माता को लक्ष्मी जी का ही एक रूप माना जाता हैं।
  • तुलसी विवाह के दिन जिन लड़के या लड़कियों के विवाह होने में अड़चन आती हैं। इस दिन उनका विवाह बिना किसी रूकावट के हो जाता हैं । यह दिन विवाह के लिए बहुत ही शुभ भी माना जाता हैं।

तुलसी विवाह में न करें ये गलतियां

तुलसी विवाह सरल एवं सात्विक विधि से करें, लेकिन इसमें कुछ भी गलतियां न करें।

  • कई लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस से तुलसी विवाह मंडप बना लेते हैं लेकिन ऐसा करने से बचना चाहिए। आप गोबर, मिट्टी से मंडप बनाकर उसपर हल्दी का लेप लगाए। पूजन का सामान रखने के लिए प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। प्लास्टिक को धार्मिक दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता।
  • खीर को शुभ माना जाता है। खीर को प्रसाद के रूप में बांटने से पहले तुलसी और शालिग्राम को भोग लगाना नहीं भूलना चाहिए।एकादशी के दिन चावल न खाने की मान्यता है, जबकि दूध में भिगोई हुई खीर भोग लगाने के बाद खाई जा सकती है। इस दिन चावल खाने और बनाने से परहेज करना चाहिए।तुलसी विवाह में प्रसाद बनाते समय लहसुन, प्याज का परहेज करना चाहिए।

तुलसी विवाह की कथा

शास्त्रों के अनुसार प्राचीन समय में एक जालंधर नामक राक्षस था। जो बहुत ही अत्याचारी था। यह राक्षस बहुत ही शक्तिशाली तथा वीर था। कहा जाता हैं कि जालंधर की वीरता का रहस्य उसकी पत्नी वृंदा का पत्नीधर्म का पालन करना था। वृंदा के द्वारा पत्नीधर्म का पालन करने के कारण ही वह सर्वजयीं बना हुआ था। जालंधर से सभी देवता बहुत ही परेशान थे। जालंधर के आतंक से परेशान होकर सभी देवता विष्णु भगवान के पास गये और उन्होंने जालंधर के उत्पात से छुटकारा पाने के लिए उनसे प्रार्थना की। देवताओं की प्रार्थना सुनकर विष्णु भगवान ने जालंधर की पत्नी वृंदा के सतीत्व धर्म को भंग करने का प्रयास किया। जिसके बाद जालंधर की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु से दुखी होकर वृंदा ने विष्णु भगवान को एक श्राप दिया और कहा कि जैसे मैंने पति वियोग सहा हैं उसी तरह तुम्हें एक दिन पत्नी वियोग सहना पड़ेगा। यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई। कहा जाता हैं कि जिस स्थान पर वृंदा की मृत्यु हुई थी। वहां पर तुलसी का पौधा उत्पन्न हो गया था। तुलसी विवाह के बारे में एक अन्य कथा प्रचलित हैं कि वृंदा ने विष्णु भगवान को पत्थर की मूर्ति बनने का श्राप दिया था। जिसके बाद विष्णु जी ने वृंदा को यह वचन दिया था कि तुम दुबारा जन्म लोगी और तुम्हारा विवाह तुलसी के रूप में मेरे साथ होगा। इसलिए विष्णु जी ने शालिग्राम के रूप में जन्म लिया और वृंदा अर्थात तुलसी से विवाह कर लिया। उस दिन के बाद से ही तुलसी विवाह की यह परम्परा चली आ रही हैं। कार्तिक मास के दिन मनाया जाने वाला तुलसी विवाह का त्यौहार बहुत ही शुभ होता हैं। तुलसी को विष्णुप्रिया के नाम से भी जाना जाता है।तुलसी विवाह का अर्थ भगवान का आहावान करना होता हैं। तुलसी विवाह के दिन तुलसी जी का शालिग्राम के साथ विवाह करने से बहुत से कार्यों की सिद्धि होती हैं. जिनका वर्णन नीचे किया गया हैं।



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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