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3 साल बाद फिर आया है ऐसा दुर्लभ योग, ये उपाय करने से दूर होगा पितृदोष

Newstrack
Published on: 8 Feb 2016 7:50 AM GMT
3 साल बाद फिर आया है ऐसा दुर्लभ योग, ये उपाय करने से दूर होगा पितृदोष
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पं. सागरजी  महाराज पं. सागरजी महाराज

सहारनपुर: हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी महीने में अमावस्या अगर सोमवार को होती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये अमावस्या कालसर्प दोष और पितृदोष की शांति, निवारण और तर्पण कार्यो के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। वैसे तो अमावस्या हर महीने में पड़ती है, लेकिन बहुत दुर्लभ संयोग होने पर ही अमावस्या सोमवार को पड़ती है। इसबार 3 साल पर सोमवार को मौनी अमावस्या पड़ा है। इससे पहले सोमवार को अमावस्या 23 फरवरी 2012 को पड़ा था।

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

सोमवती अमावस्या का महत्व

* इस दिन व्रत करने, पीपल पेड़ के नीचे शनिदेव के बीज मंत्र का जाप करने, पीपल की 108 परिक्रमा करने और पूजा करने का नियम है,और स्नान, दान करने का विशेष महत्व दिया गया है। इसे सोमवती मौनी अमावस्या भी कहते है। इसलिए मौन रहने से श्रेष्ठ फल मिलता है। आज के दिन लोग गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

* ये व्रत खासतौर पर स्त्रियां द्वारा किया जाता है। इस दिन कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर में डूबकी लगाने से बहुत अधिक पुण्य मिलता है। इस स्थान पर आज के दिन स्नान और दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। मंत्रोच्चार के साथ सूर्योदय से सूर्यास्त तक पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि सोमवार की अमावस्या करने से बहुत पुण्य से मिलता है, पाण्डवों ने पूरे जीवन सोमवती अमावस्या का इंतजार किया था, लेकिन उन्हें नहीं मिला था। इस दिन सूर्य और चंद्र एक सीध में रहते हैं, इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य देने वाला होता है।

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

* सोमवार को शिव जी का दिन भी माना जाता है। इसलिए अमावस्या शिव जी को समर्पित होती है। इस दिन भगवान शंकर, पावर्ती और तुलसी की पूजा करनी चाहिए। फिर पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमाएं करें, और प्रत्येक परिक्रमा में कोई वस्तु चढ़ाना चाहिए। प्रदक्षिणा के समय 108 फल अलग रखकर समापन के समय सभी वस्तुएं ब्राह्मणों और गरीबों को दान करें। ऐसा करने से पितृदोष नहीं होता है।

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