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1700 साल पुराना है ये मंदिर, 12 देवियां करती हैं इच्छा पूरी
कानपुर: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरुप की पूजा की जाती है। लेकिन कानपुर के एक मंदिर में पहले ही दिन माता के दर्शन के लिए लाखों भक्तों की भीड़ लगती है। कानपुर का बारा देवी मंदिर पौराणिक और प्राचीनतम मंदिरो में से एक है। इस मंदिर का सटीक इतिहास तो किसी को नहीं पता। लेकिन कानपुर और आस-पास के जिलों में रहने वालो लोगों में इस मंदिर की देवी के प्रति गहरी आस्था है। तभी साल के बारह महीनों और खास कर नवरात्रि में लाखों भक्तों की अटूट आस्था बारा देवी मंदिर में भीड़ के रूप में देखने को मिलती है।
मंदिर में दर्शन के लिए लगी लाइन
देवी के नाम पर ही हैं कई इलाकों के नाम
-कानपुर के दक्षिणी इलाके में स्थित बारा देवी मंदिर का इलाका, बारा देवी के असली नाम से जाना जाता है।
-सिर्फ इतना ही नहीं देवी के नाम से कानपुर दक्षिण के ज्यादातर इलाकों के नाम रखे गए हैं।
-इन इलाकों में बर्रा 01 से लेकर बर्रा 09 तक, बिन्गवा, बारासिरोही आदि।
-बर्रा विश्व बैंक का नाम भी देवी के नाम पर ही रखा गया है।
चुनरी बांधकर पूरी होती है मनोकामना
-बारा देवी मंदिर में आने वाला हर भक्त अपनी मनोकामना मांग कर चुनरी बांधता है।
-मन्नत पूरी होने पर वह चुनरी को खोल देता है।
-यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसपर लोगों का अटूट विश्वास है ।
चुनरी बांधकर मनौती मांगते भक्त
मूर्ति है करीब 1700 साल पुरानी
-मंदिर में रहने वालों का कहना है कि कुछ समय पहले एएसआइ की टीम ने इस मंदिर का सर्वेक्षण किया था।
-सर्वेक्षण में पाया गया कि मंदिर की मूर्ति लगभग 15 से 17 सौ वर्ष पुरानी है।
-वास्तव में मंदिर के इतिहास के बारे में सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है।
-फिर भी बारा देवी के प्रति लोगों की आस्था बरकरार है।
-इस मंदिर में लम्बे समय से आने वाले भक्तों का कहना है कि मां उनकी हर मुराद पूरी करती है।
-इसी वजह से वह मां के आशीर्वाद पर पूरा भरोसा रखते हैं।
नवरात्रि पर होती है खास भीड़
-यूं तो साल भर माता के दर्शनों को लिए भक्तों की कतार रहती है।
-पर नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भक्तों का सैलाब देखते ही बनता है।
-लाखों भक्त नवरात्रि के दिनों में मां के दर्शन कर अपनी मनोकामना का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
-बिधनू से आए ब्रजलाल के मुताबिक बारा देवी पर उनकी आस्था बहुत गहरी है।
-हर साल वह परिवार के साथ माता के दर्शन के लिए आते हैं।
-उनका कहना है कि माता के दर्शन से एक आत्मविश्वास जगता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है
दर्शन के लिए जुटी भीड़
जानिए क्या है मंदिर की कथा
-इस मंदिर के बारे में हर व्यक्ति एक अलग ही कथा बताता है।
-मंदिर के पुजारी दीपक के मुताबिक इन कथाओं में एक कथा सबसे प्रसिद्ध है।
-एक बार पिता से हुई अनबन पर उनके कोप से बचने के लिए घर से एक साथ 12 बहनें भाग गई।
-सारी बहनें किदवई नगर में मूर्ति बनकर स्थापित हो गई।
-पत्थर बनी यही 12 बहनें कई सालों बाद बारादेवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुई।
-कहा जाता है कि बहनों के श्राप से उनके पिता भी पत्थर हो गए थे।
बारा देवी मंदिर
मनौती पूरी होने पर चढ़ाते हैं ज्वारा की भेंटे
-मंदिर परिसर में ही बच्चों के मुंडन संस्कार व कन छेदन जैसे काम लोग बड़ी ही शिद्दत से करते हैं।
-इस पावन पर्व पर इस प्राचीन मंदिर में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है l
-नौ दिनों तक चलने वाले इस मेले में कानपुर के साथ साथ आस पास के जिले के लोग भी आते हैं l
-इस दौरान यहां पर जिनकी मन्नतें पूरी होती है, वो ज्वारा लेकर माता के दरबार आते हैंl
मंदिर में कान छिदवाते हुए