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Vaikuntha Chaturdashi Puja Vidhi:वैकुंठ चतुर्दशी पर होते हैं पाप नष्ट, मिलता है मोक्ष, जानिए कैसे

Vaikuntha Chaturdashi Puja Vidhiवैकुंठ चतुर्दशी का व्रत रखने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट होते हैं, उसे दीर्घायु, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है और अंत में उसे वैकुंठ की प्राप्ति होती है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 14 Nov 2024 10:52 AM IST
Vaikuntha Chaturdashi Puja Vidhi:वैकुंठ चतुर्दशी पर होते हैं पाप नष्ट, मिलता है मोक्ष, जानिए कैसे
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Vaikuntha Chaturdashi Puja Vidhi कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण तिथि है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन को भगवान विष्णु के "वैकुंठ प्राप्ति" की कामना के साथ मनाते हैं, साथ ही इसे मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक भी माना जाता है। आज यानि 14 नवंबर 2024, को वैकुण्ठ चतुर्दशी है। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व

वैकुण्ठ चतुर्दशी का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि भगवान विष्णु इस तिथि पर काशी के मणिकर्णिका घाट पर भगवान शिव से मिलने आए थे। यही कारण है कि इस दिन भगवान शिव और विष्णु की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है। ऐसा भी कहा गया है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है।

इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव के अद्वितीय मिलन का उत्सव होता है, और इस दिन भगवान विष्णु काशी में भगवान शिव के साथ निवास करते हैं।मान्यता है कि जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा करता है, उसे वैकुंठधाम की प्राप्ति होती है और उसके पाप समाप्त हो जाते हैं।वैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर श्रद्धालु काशी (वाराणसी) में विशेष पूजा-अर्चना और दीपदान करते हैं।

वैकुण्ठ चतुर्दशी शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी तिथि आरंभ: 13 नवंबर 2024 को रात 8:15 बजे से

चतुर्दशी तिथि समाप्त: 14 नवंबर 2024 को रात 6:50 बजे तक

चंद्रोदय- दोपहर 04 बजकर 10 मिनट पर

चंद्रास्त- 14 नवंबर को सुबह 05 बजकर 53 मिनट पर

पूजा का विशेष मुहूर्त सूर्योदय के बाद से लेकर अगले दिन सूर्यास्त तक रहता है। इस दौरान श्रद्धालु गंगास्नान, दीपदान, और विशेष आराधना करते हैं। मान्यता है कि इस मुहूर्त में भगवान की आराधना करने से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

वैकुण्ठ चतुर्दशी पूजा विधि

सबसे पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।भगवान शिव और विष्णु की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और फूल अर्पित करें।“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। इस दिन कथा सुनते हैं और व्रत रखते हैं।. शाम को दीपदान का विशेष महत्व है, जिसमें दीपों को जलाकर भगवान विष्णु और शिव की कृपा प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।

वैकुण्ठ चतुर्दशी अन्य मान्यताएं

कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने भगवान शिव को एक सहस्र कमल अर्पित किए थे, जिसमें से एक कमल खो गया था। भगवान विष्णु ने अपनी आंख को कमल मानकर अर्पण कर दिया था, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र का वरदान दिया था। इसी कारण से यह तिथि शिव और विष्णु दोनों के प्रति भक्ति भाव का प्रतीक मानी जाती है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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