×

Vaisakha Month 2024 :वैशाख का महीना कब से लगेगा, जानिए इसकी महिमा और इस माह के व्रत-त्योहार और नियम

Vaisakha Month 2024 : हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख का महीना दूसरा महीना है। हिन्दू धर्म महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते है। हिन्दू धर्म में महीना का बदलना चन्द्र चक्र पर निर्भर करता है, चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 24 April 2024 6:45 AM GMT (Updated on: 24 April 2024 6:40 AM GMT)
Vaisakha Month 2024 :वैशाख का महीना कब से लगेगा, जानिए इसकी महिमा और इस माह के व्रत-त्योहार और नियम
X

Vaisakha Month 2024 Date Start( वैशाख का महीना आज से लगेगा,) सनातन धर्म में हर मास को भगवान से जोड़कर देखा गया है और उसी के अनुसार काम किए जाते हैं। इसकी के अनुसार अभी चल रहा वैशाख मास जो 24 अप्रैल से शुरू हो रहा है 22-23 मई तक रहेगा। इस माह में गंगा स्नान के साथ दान करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ-साथ भगवान विष्णु, परशुराम की पूजा करने के साथ बांके बिहारी जी की दर्शन करने से व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। जानिए वैशाख माह कब से कब तक है और इस मास का महत्व।

वैशाख मास का महत्व-मान्यताएं

इस माह में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और पूजा की जाती है। स्कंद पुराण में वैशाख मास को सभी महीनों में उत्तम बताया गया है। पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस महीने में सूर्योदय से पहले स्नान करता है और व्रत रखता है। वो कभी दरिद्र नहीं होता। उस पर भगवान की कृपा बनी रहती है और उसे सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान विष्णु ही है। वैशाख महीने में जल दान का विशेष महत्व है।

स्कंदपुराण के अनुसार, महीरथ नाम के राजा ने केवल वैशाख स्नान से ही वैकुण्ठधाम प्राप्त किया था। इस महीने में सूर्योदय से पहले किसी तीर्थ स्थान, सरोवर, नदी या कुएं पर जाकर या घर पर ही नहाना चाहिए। घर में नहाते समय पवित्र नदियों का नाम जपना चाहिए। नहाने के बाद सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।

वैशाख माह में भगवान विष्णु की पूजा करने के विधान है। इसी के कारण इस मास हो माधव मास भी कहा जाता है। इसलिए इस मास भगवान विष्णु की तुलसीपत्र से माधव रूप की पूजा की जाती है।

स्कन्द पुराण के वैष्णव खण्ड अनुसार..

न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।

न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।

अर्थ -माधवमास यानी वैशाख मास के समान कोई मास नहीं है। सतयुग के समान कोई युग नहीं है। वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगा जी के समान कोई तीर्थ नहीं है।

ऐसा माना जाता है कि इस माह के शुक्ल पक्ष को अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु ने कई अवतारों धारण किय थे। जैसे नर-नारायण, परशुराम, नृसिंह और ह्ययग्रीव के अवतार। शुक्ल पक्ष की नवमी को देवी लक्ष्मी माता सीता के रूप में धरती से प्रकट हुई थी।

ऐसा भी माना जाता है कि त्रेतायुग की शुरुआत भी वैशाख माह से हुई। इस माह की पवित्रता और दिव्यता के कारण ही कालान्तर में वैशाख माह की तिथियों का सम्बंध लोक परंपराओं में अनेक देव मंदिरों के पट खोलने और महोत्सवों के मनाने के साथ जोड़ दिया।

यही कारण है कि हिन्दू धर्म के चार धाम में से एक बद्रीनाथधाम के कपाट वैशाख माह की अक्षय तृतीया को खुलते हैं। इसी वैशाख के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को एक और हिन्दू तीर्थ धाम पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी निकलती है। वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या को देववृक्ष वट की पूजा की जाती है।

वैशाख पूर्णिमा को दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, तिब्बत और मंगोलिया के बौद्धों के बीच बुद्ध पूर्णिमा या गौतम बुद्ध के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।वैशाख शुक्ल पंचमी को हिंदू धर्म के महान दार्शनिक और धर्मशास्त्री आदि शंकराचार्य के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

वैशाख पूर्णिमा को तमिलनाडु में ‘वैकाशी विशाकम’ के रूप में जाना जाता है जिसे भगवान मुरुगन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। जो कि भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र है।वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को सिंहाचलम में श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह स्वामीवारी मंदिर में नरसिंह जयंती उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

वैशाख के महीना में क्या करें

वैशाख मास में जल दान का विशेष महत्व है। यदि संभव हो तो इन दिनों में प्याऊ लगवाएं या किसी प्याऊ में मटके का दान करें। किसी जरुरतमंद व्यक्ति को पंखा, खरबूजा, अन्य फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए। मंदिरों में अन्न और भोजन दान करना चाहिए। इस महीने में ब्रह्मचर्य का पालन और सात्विक भोजन करना चाहिए। वैशाख महीने में पूजा और यज्ञ करने के साथ ही एक समय भोजन करना चाहिए।

वैशाख के महीना में क्या नहीं करें

इस महीने में मांसाहार, शराब और अन्य हर तरह के नशे से दूर रहें।, वैशाख माह में शरीर पर तेल मालिश नहीं करवानी चाहिए। दिन में नहीं साेना चाहिए। कांसे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए। रात में भोजन नहीं करना चाहिए और पलंग पर नहीं सोना चाहिए।

वैशाख मास में कौन -कौन से त्योहार मनाये जायेंगे

गणेश चतुर्थी व्रत-27 अप्रैल, शनिवार

श्री शीतला अष्टमी- 1 मई

वरुथिनी एकादशी-4 मई, शनिवार

प्रदोष व्रत -5 मई, रविवार

मासिक शिवरात्रि - 6 मई, सोमवार

अमावस्या-8 मई, बुधवार

परशुराम जयंती10 मई शुक्रवार

अक्षय तृतीया- 10 मई शुक्रवार

गंगा सप्तमी- 14 मई मंगलवार

सीता नवमी-16 मई

मोहिनी एकादशी-19 मई, रविवार

प्रदोष व्रत-20 मई, सोमवार

नरसिम्हा जयंती21- 22मई,

बुद्ध पूर्णिमा- 23 मई

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story