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Vaishakh Purnima 2023 Kab Hai :वैशाख माह की पूर्णिमा कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व, इस दिन कब लगेगा चंद्र ग्रहण,
Vaishakh Purnima 2023 Kab Hai
वैशाख पूर्णिमा 2023 कब है?
वैशाख पूर्णिमा का बड़ा ही महत्व है। इस दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म के अनेक कार्य किये जाते हैं। इसे सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु का तेइसवां अवतार महात्मा बुद्ध के रूप में हुआ था, इसलिए बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।
वैशाख पूर्णिमा पर व्रत और पुण्य कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
वैशाख पूर्णिमा का महत्व
स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश और पकवान देने से गोदान के समान फल मिलता है। 5 या 7 जरुरतमंद व्यक्तियों और ब्राह्मणों को शक्कर के साथ तिल देने से पापों का क्षय होता है।
इस दिन तिल के तेल के दीपक जलाएँ और तिलों का तर्पण विशेष रूप से करें। इस दिन व्रत के दौरान एक समय भोजन करें।वैशाख पूर्णिमा पर धर्मराज की पूजा करने का विधान है, इसलिए इस व्रत के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के बचपन के साथी सुदामा जब द्वारिका उनके पास मिलने पहुंचे थे, तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें सत्य विनायक पूर्णिमा व्रत का विधान बताया। इसी व्रत के प्रभाव से सुदामा की सारी दरिद्रता दूर हुई।
वैशाख पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
वैशाख पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 मई 2023 को 11 . 44 मिनट से हो रही है। अगले दिन 5 मई 2023 को रात 11. 03 मिनट तक इसकी समाप्ति होगी।
- स्नान मुहूर्त - सुबह 04.12 - सुबह 04.55
- सत्यनारायण पूजा मुहूर्त - सुबह 07:18 - सुबह 08:58
- चंद्रोदय को अर्घ्य देने का समय - शाम 06.45
- लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त - 05 मई 2023, रात 11:56 - 06 मई 2023, प्रात: 12:39
- कूर्म जयंती पूजा मुहूर्त - शाम 04.18 - शाम 06.59
वैशाख पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण 5 मई को वैशाख पूर्णिमा तिथि पर रात 08.45 मिनट पर लगेगा और देर रात 01.00 बजे ग्रहण समाप्त होगा। चंद्र ग्रहण का परमग्रास समय रात 10.53 मिनट पर है। चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है लेकिन साल का पहला चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। उपच्छाया की अवधि - 04 घंटे 15 मिनट्स 34 सेकण्ड्स,उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण - 0.95।