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वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर में ना रखें ऐसी मूर्तियां

Newstrack
Published on: 19 Jan 2018 5:57 PM IST
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर में ना रखें ऐसी मूर्तियां
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लखनऊ: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मेन गेट से लेकर कमरे, रसोई घर, सीढिय़ां, बेडरूम और यहां तक कि घर का मंदिर भी वास्तु दोष रहित होना चाहिए। जिस तरह के से घर के अन्य स्थान महत्वपूर्ण है, ठीक उसी तरह घर का मंदिर भी एक अहम स्थान है। इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि यहां कोई वास्तु दोष जन्म ना ले पाए।

वास्तु शास्त्र के नियम : घर के मंदिर का स्थान, दिशा और मंदिर में किन-किन चीजों को शामिल किया जाए यह सब सोच समझकर कर ही करना चाहिए। एक बार अगर आपने सही दिशा में मंदिर की स्थापना कर ली है तो यह ना सोचें कि आगे के लिए कोई मेहनत नहीं करनी होगी। घर के मंदिर में गंदगी नहीं फैलनी चाहिए, यहां धूल-मिट्टी ना बनने दें। इसके साथ ही मंदिर में आवश्यक रोशनी हो। मंदिर में अंधेरा होना शुभ नहीं माना जाता है। मंदिर में खंडित मूर्ति भी नहीं होनी चाहिए, किंतु मूर्तियों के संदर्भ में एक और बात है जिसका आपको ख्याल रखना होगा और वह यह कि मंदिर में कुछ खास प्रकार की मूर्तियां नहीं होनी चाहिए।

भैरव देव : भगवान शिव का अवतार माने गए भैरव देव की मूर्ति घर में नहीं लानी चाहिए और इसे लाकर मंदिर में तो कभी भी स्थापित ना करें। यूं तो ये भगवान शिव का ही अवतार माने जाते हैं लेकिन भैरव देव तंत्र विधा के देवता हैं और इनकी उपासना घर के भीतर ना होकर बाहर ही होनी चाहिए।

नटराज : आपके कई बार नटराज की मूर्ति देखी होगी, यह देखने में बेहद आकर्षक लगती है लेकिन इसे घर में रखने की भूल ना करें। नटराज भगवान शिव का रौद्र रूप है यानि क्रोधित अवस्था और ऐसी मूर्ति घर में लाने से अशांति फैलती है।

शनि देव : सूर्य पुत्र शनि देव की मूर्ति को भी घर के मंदिर में नहीं रखना चाहिए। अगर आप इनकी पूजा करते हैं तो घर के बाहर किसी मंदिर में ही करें, इनकी मूर्ति घर में ना लाएं।

राहु-केतु : शनि देव की तरह ही राहु-केतु की मूर्ति भी घर में नहीं लानी चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि, राहु एवं केतु तीनों ही पापी ग्रह हैं। इनकी पूजा अर्चना करने और इन्हें प्रसन्न करने से जीवन के कष्ट अवश्य कम होते हैं लेकिन इनकी मूर्ति घर में लाने से हम इनसे जुड़ी ऊर्जा को भी घर में ले आते हैं।

दिन में एक बार आता है गोल्डन मिनट

जो लोग चमत्कार, आध्यात्म और दैवीय शक्तियों पर विश्वास करते हैं वो ये भी जानते हैं कि ईश्वर अपने होने की आहट किसी भी क्षण दे सकता है। वह हमारी इच्छा को सुन सकता है और अगर सच्चे दिल से कोई भी मुराद मांगी चाहिए तो वो उसे पूरा भी करता है। जानकारों का कहना है कि दिन के 24 घंटों में एक मिनट या पल वो भी आता है जब उसके मुंह से निकली हर दुआ कुबूल होती है। वह जो भी मांगता है वह अवश्य पूर्ण होता है।

इस मिनट को गोल्डन मिनट कहा जाता है। इस गोल्डन मिनट की गणना करने का भी विशेष सिद्धांत है। आपको महीने की शुरुआत और दिन का आंकलन करना है। मसलन ये जुलाई का महीना है और तारीख है 21 तो आपका गोल्ड मिनट होगा 21:07 यानि रात के 9 बजकर 7 मिनट। अब अगर महीना होता अगस्त और तारीख होती 10 तो आपका गोल्डन मिनट होता 10:08 मिनट। 25 से 31 तारीख के बीच हम इसका उलटा काउंट करेंगे। जैसे कि जनवरी 25 है तो हम 1:25 की गणना करेंगे। इस समय को अपने ध्यान में रखें और पूरे दिल और भावनाओं के साथ अपने दिल की इच्छा को ईश्वर तक पहुंचाएं। लेकिन ये सब सिर्फ तभी संभव है जब आप ईश्वर की सत्ता पर अपना विश्वास हर हाल में कायम रखें।



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