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Vat Savitri Vrat: बन रहा अद्भुत संयोग, सुहागिनें राशि के अनुसार पहने कपड़े, शुभ-अशुभ मुहूर्त का रखें ख्याल
वट सावित्री व्रत के दिन ग्रहों की शुभ स्थिति और वृष राशि में सूर्य और साथ में इस दिन 4 ग्रहों के शुभ संयोग की वजह सावित्री व्रत का महत्व और बढ़ गया है। लेकिन इस दिन राहुकाल, यमगण्ड दुर्महूर्त और गुलिक काल में पूजा से परहेज करना चाहिए।
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat ) 10 जून को कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन व्रत किया जाएगा। अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए रखे जाने इस व्रत में वट के वृक्ष की पूजा कर महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। मान्यता है कि वट के वृक्ष में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है और इसी वट सावित्री के दिन ही यमराज से लड़कर अपने पति सत्यवान की जान बचाई थी।
वट सावित्री व्रत बहुत शुभ संयोग
बुधवार 09 जून दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर अमावस्या तिथि शुरू होगी 10 जून गुरुवार शाम 04 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।
अमृत काल -08:09 AM से 09:57 AM, 04:42 AM
अभिजीत मुहूर्त- 11:30 AM से 12:25 PM
विजय मुहूर्त- 02:14 PM से 03:09 PM
ब्रह्म मुहूर्त- 03:44 AM से 05.15
इस बार वट सावित्री व्रत के दिन शनि जयंती के साथ ग्रहण भी लग रहा है। इसके बावजूद अखंड सौभाग्य की कामना और संतान प्राप्ति के लिए रखा जाने वाला सावित्री व्रत के दिन ग्रहों की स्थिति बहुत ही शुभ है।
वट सावित्री व्रत के दिन चारग्रही संयोग
इस बार वट सावित्री अमावस्या के दिन शुक्र ग्रह की वृष राशि में सूर्य, चंद्र, बुध, और राहु यह चारों ग्रह एक साथ विराजमान रहेंगे। वृष राशि के स्वामी शुक्र ग्रह हैं, जो दांपत्य जीवन और सुंदरता के कारक हैं। इन्हीं की राशि वृष में एक साथ चार ग्रहों का विराजमान होना किसी अद्भुत संयोग से कम नहीं है। ज्योतिषर्विद पंकज पाठक के अनुसार 4 ग्रह वट सावित्री के दिन एक साथ है जो बढ़िया 4 ग्रहों का योग बना रहे हैं और वृष राशि में 4 ग्रहों का योग शादीशुदा महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं है। इस दिन सुहागिनें सज-धजकर व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती है और माता सावित्री से सुहाग की रक्षा के लिए कामना करती है।
वट सावित्री व्रत वटवृक्ष की पूजा महत्व
कोरोना काल में पूरी दुनिया इस समय संक्रमण से जूझ रही है। देश में इस दौरान कोरोना संक्रमितों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में वट वृक्ष की एक डाल को घर पर लाकर उसे गमले में लगाकर उसकी पूजा करें।धर्मानुसार वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा, बीच में विष्णु और आगे के भाग में शिव रहते हैं। है। बरगद का पेड़ स्वर्ग से आया देव वृक्ष है। देवी सावित्री भी इस वृक्ष में निवास करती हैं। कथानुसार, वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुन: जीवित किया था, तब से ये व्रत 'वट सावित्री' के नाम से जाना जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अखंड सौभाग्य के लिए वट की पूजा करती हैं। वट की परिक्रमा में 108 बार कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा कर कथा सुनती हैं। सावित्री की कथा सुनने से पति के संकट दूर होते हैं।
वट सावित्री व्रत की पूजा इस मुहूर्त में ना करें
ज्योतिषर्विद पंकज पाठक के अनुसार राहुकाल, यमगण्ड दुर्महूर्त और गुलिक काल को शुभ योगों में नहीं गिना जाता है, साथ ही दोपहर 01.30 मिनट से 03.13 मिनट तक राहुकाल में, सुबह 04.57 मिनट से सुबह 06.40 मिनट तक यमगण्ड में, सुबह 04 .57 मिनट से दोपहर 11.45 मिनट तक, सुबह 09 .31 मिनट से सुबह 10 .25 मिनट तक दुर्मुहूर्त में, - सुबह 08.22 मिनट से सुबह 1.05 मिनट तक गुलिक काल में वट सावित्री व्रत की पूजा ना करें।
वट सावित्री व्रत के दिन राशि के अनुसार पहने कपड़े
- वट सावित्री व्रत के दिन मेष, वृश्चिक और मकर राशि की महिलाएं लाल रंग साड़ी और लाल रंग के लिपस्टिक का इस्तेमाल पूजा के दौरान करें।
- वट सावित्री व्रत के दिन वृष , कन्या और मीन राशि की महिलाएं हल्के रंग या हल्का गुलाबी रंग की साड़ी और न्यूड लिपस्टिक का इस्तेमाल पूजा के समय करें।
- वट सावित्री व्रत के दिन मिथुन, सिंह और धनु राशि की महिलाएं पीले रंग की साड़ी और हल्का गुलाबी लिपस्टिक का इस्तेमाल पूजा के समय करें।
- वट सावित्री व्रत के दिन कर्क, तुला और कुंभ राशि की महिलाएं नीले रंग की साड़ी और हल्का बैंगनी लिपस्टिक का इस्तेमाल पूजा के समय करें।