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बहुत ही खतरनाक मरने के बाद भी नहीं छोड़ता है ये केतु

इसके दुष्प्रभाव इतने जबर्दस्त होते हैं कि व्यक्ति को जीते जी मृत्यु तुल्य कष्ट देते ही हैं और व्यक्ति के न रहने पर भी इसका प्रभाव पीछा नहीं छोड़ता अगले जन्म में भी ये ग्रह अपना बकाया कष्ट वसूल करने पहुंच जाता है। यानी केतु से पीडित व्यक्ति मरने के बाद भी इससे मुक्त नहीं हो सकता।

राम केवी
Published on: 20 Feb 2020 9:22 PM IST
बहुत ही खतरनाक मरने के बाद भी नहीं छोड़ता है ये केतु
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प. रामकृष्ण वाजपेयी

स्त्री हो या पुरुष दोनो के ऊपर केतु का प्रभाव चमत्कारिक ढंग से जबर्दस्त होता है हालांकि यह छाया ग्रह है जो दिखायी नहीं देता लेकिन इसके दुष्प्रभाव इतने जबर्दस्त होते हैं कि व्यक्ति को जीते जी मृत्यु तुल्य कष्ट देते ही हैं और व्यक्ति के न रहने पर भी इसका प्रभाव पीछा नहीं छोड़ता अगले जन्म में भी ये ग्रह अपना बकाया कष्ट वसूल करने पहुंच जाता है। यानी केतु से पीडित व्यक्ति मरने के बाद भी इससे मुक्त नहीं हो सकता। ऐसे में धैर्य के साथ सामना करना बेहतर होता है।

जन्म-कुण्डली में 12 भाव होते हैं और विभिन्न भावों में केतु की उपस्थिति भिन्न-भिन्न प्रभाव दिखाती हैं।

केतु के प्रभाव

  • प्रथम भाव में अर्थात लग्न में केतु हो तो जातक चंचल, भीरू, दुराचारी होता है। इसके साथ ही यदि वृश्चिक राशि में हो तो सुखकारक, धनी एवं परिश्रमी होता है।
  • द्वितीय भाव में हो तो जातक राजभीरू एवं विरोधी होता है।
  • तृतीय भाव में केतु हो तो जातक चंचल, वात रोगी, व्यर्थवादी होता है।
  • चतुर्थ भाव में हो तो जातक चंचल, वाचाल, निरुत्साही होता है।
  • पंचम भाव में हो तो वह कुबुद्धि एवं वात रोगी होता है।
  • षष्टम भाव में हो तो जातक वात विकारी, झगड़ालु, मितव्ययी होता है।
  • सप्तम भाव में हो तो जातक मंदमति, शत्रुसे डरने वाला एवं सुखहीन होता है।
  • अष्टम भाव में हो तो वह दुर्बुद्धि, तेजहीन, स्त्रीद्वेषी एवं चालाक होता है।
  • नवम भाव में हो तो सुखभिलाषी, अपयशी होता है।
  • दशम भाव में हो तो पितृद्वेषी, भाग्यहीन होता है।
  • एकादश भाव में हर प्रकार से लाभदायक होता है। इस प्रकार का जातक भाग्यवान, विद्वान, उत्तम गुणों वाला, तेजस्वी किन्तु उदर रोग से पीड़ित होता है।
  • द्वादश भाव में जातक उच्च पद वाला, शत्रु पर विजय पाने वाला, बुद्धिमान, धोखा देने वाला तथा शक्की स्वभाव का होता है।

ये थे इस ग्रह के कुछ प्रभाव जो आजीवन आपके जीवन को प्रभावित करते रहते हैं। क्योंकि केतु महादशा अंतर दशा, प्रत्यंतर दशा में जब जब इन घरों में आएगा अपना प्रभाव छोड़ेगा।



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राम केवी

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