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Vijaya Ekadashi 2024 Kab Hai विजया एकादशी व्रत कब पड़ रहा है, जानते हैं महत्व ,मुहूर्त और विधि
Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी को श्रीविष्णु के साथ विष्णुप्रिया लक्ष्मी जी पूजा जरूर करनी चाहिए। तभी इस दिन का पूजा व्रत सफल होता है। जानते हैं इसे जुड़ें महत्वपूर्ण बातें...
Vijaya Ekadashi 2024 विजया एकादशी व्रत कब है?
विजया एकादशी, हिन्दू परंपरा में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान विष्णु की पूजा और भक्ति का महत्वपूर्ण दिन है। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन श्रीविष्णु भगवान की पूजा, भक्ति और व्रत करने से भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त होती है। इस तरह, विजया एकादशी का पावन व्रत करने से विशेष शुभकामनाएं और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
विजया एकादशी का महत्व
विजया एकादशी का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन विष्णुप्रिया लक्ष्मी माता की पूजा और व्रत का महत्वपूर्ण स्थान है। लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। इस व्रत में भक्त श्रीविष्णु के लिए व्रत रखते हैं और उनकी पत्नी लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। यह व्रत और पूजा भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता के आशीर्वाद को प्राप्त करने में मदद करता है और उनकी कृपा को प्राप्त करता है।
विजया एकादशी का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन का पूजा व्रत सफल होता है और भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त होती है। यह त्योहार हमें धर्म, श्रद्धा और प्रेम की अहमियत को याद दिलाता है और हमें समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति में मदद करता है। इसलिए, विजया एकादशी का त्योहार हमें आत्म-समर्पण और उच्च आदर्शों की ओर ले जाता है।
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं।और शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी कहते हैं। इस साल 2024 में विजया एकादशी व्रत 6 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिनुसार व्रत रखने , पूजा करने से विजय की प्राप्ति होती है। युग-युगांतर तक शौर्य का बखान होता है। पुराणों मे ंवर्णन है कि इसी दिन श्रीराम ने समुद्र पर लंका पार करने में सफलता पाई थी, जब लंका जाने के दौरान समुद्र ने रास्ता रोका था तब से जुड़ा प्रसंग है। तो इस एकादशी व्रत करके जीवन में आप किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकते है, बशर्ते लग्न और मेहनत ईमानदारी से की हो...
फरवरी में विजया एकादशी 2024
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की तिथि 6 मार्च को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 7 मार्च को 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। 6 मार्च को एकादशी का व्रत रखा लाएगा।
विजया एकादशी आरंभ - 6 मार्च को सुबह 6. 31 मिनट से शुरू होकर
विजया एकादशी समाप्त - 7 मार्च को 4. 14 मिनट तक रहेगी
विजया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन मास की विजया एकादशी
अभिजीत मुहूर्त - 12:18 PM से 01:08 PM
अमृत काल –04:59 PM से 06:27 PM
ब्रह्म मुहूर्त –04:51 AM से 05:42 AM
विजय मुहूर्त- 02:05 PM से 02:51 PM
गोधूलि बेला- 05:41 PM से 06:05 PM
विजया एकादशी पारण समय-8 मार्च को 08 : 01 AM से 09:13 AM
विजया एकादशी की पूजा विधि
किसी भाी एकादशी के दिन पद्मपुराण और भागवतपुराण के अनुसार इस विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए । क्योंकि मान्यता है कि भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने और फलाहार से इस दिन परमार्थ का प्राप्ति होती है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी के नाम से जानी जाती है। अपने नाम के अनुसार ही एकादशी का यह व्रत विधि-विधान से रखने वाला व्यक्ति सदा अपने शत्रुओं और विरोधियों पर विजयी रहता है। प्राचीन काल में कई राजा-महाराजा इस व्रत के प्रभाव से भीषण युद्ध में जीत हासिल की है। विजया एकादशी व्रत के बारे में पुराणों में भी वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि जब जातक शत्रुओं से घिरा हो तब विकट परिस्थिति में भी विजया एकादशी के व्रत से जीत हासिल की जा सकती है। कहा जाता है कि विजया एकादशी का व्रत करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन सुबह उठकर मिटटी के लेप और कुशा से स्नान करना चाहिए। उसके बाद विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत, कथा महात्मय सुनने के साथ दान-पुण्य का भी महत्व है। इस दिन पूरे समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए वस्त्र ,चन्दन ,जनेऊ ,गंध, अक्षत ,पुष्प , धूप-दीप नैवेध,पान-सुपारी चढ़ाकर करनी चाहिए। इससे श्रीहरि की कृपा बरसती है।