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Vijayadashami Neelkanth Bird: विजयदशमी के दिन दिख जाये नीलकंठ पक्षी तो जान लीजिए क्या होगा आपके साथ

Vijayadashami Neelkanth Bird :विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ होता है,जानिए कैसे...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 12 Oct 2024 7:01 AM IST (Updated on: 12 Oct 2024 7:02 AM IST)
Vijayadashami Neelkanth Bird: विजयदशमी के दिन दिख जाये नीलकंठ पक्षी तो जान लीजिए क्या होगा आपके साथ
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Neelkanth Ka Chamtkar : हिन्दू धर्म से जुड़ी कई प्रकार की मान्यताएं भी जुड़ी हुई है। दशहरा जिसे सभी विजयदशमी बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ मनाते आ रहे हैं। दशहरा के दिन रावण का दहन किया जाता है। इस दिन असत्य पर सत्य की हुई थी जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा और नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इतना ही नहीं विजयादशमी पर रावण दहन के बाद कई प्रांतों में शमी के पत्ते को सोना समझकर देने का प्रचलन है, तो कई जगहों पर इसके वृक्ष की पूजा का प्रचलन. आइए जानते हैं क्यों पूजनीय है यह वृक्ष और क्यों शुभ है नीलकंठ पक्षी .

ऐसे में इस दिन एक पक्षी के दर्शन बेहद शुभ माने गए हैं। हालांकि इस पक्षी के दर्शन वैसे तो बड़े ही दुर्लभ हैं।आखिर वह पक्षी कौन सा है जिसके दर्शन शुभ संकेत देता है।

नीलकंठ पक्षी देता है शुभ संकेत

दशहरा का पर्व धूम धाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के 9 दिन पूर्ण होने के बाद दशमी तिथि जिसे विजयादशमी कहा जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।. इस उत्साह भरे पर्व को लेकर कई मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं, जिनमें से एक दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन होना। यदि किसी को भी इस खास दिन में नीलकंठ पक्षी के दर्शन होते हैं तो समझ लीजिए कि आपके बुरे दिनों का अंत हो गया। इनके दर्शन बेहद दुर्लभ होते है, जिसे होते है वे अपने आपको सौभाग्यशाली समझते है।

आपको नीलकंठ के दर्शन होते है तो आपके काम में आपको सफलता मिलती है। सोमवार या दशहरा के दिन दर्शन करना भी लाभदायक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने इस पक्षी को देखने के बाद ही रावण को युद्ध में पराजित किया था। तभी से नीलकंठ को विजय का प्रतीक माना जाने लगा।

नीलकंठ पक्षी शिवजी का स्वरूप

नीलकंठ पक्षी को वैसे तो शिव जी का ही स्वरूप व भगवान शिव के समान बताया गया है।भगवान शिव ने जब समुद्र मंथन के दौरान विष पिया था उनका कंठ नीला पड़ गया था। इसी तरह इस दुर्लभ पक्षी नीलकंठ का भी कंठ नीला ही है। घर से आप निकल रहे हो या छत पर हो अगर आपको दशहरा के दिन यह नीलकंठ पक्षी दिख जाए, समझ लीजिए आपकी किस्मत चमकने वाली है. यानि आपके अच्छे दिन शुरू होने वाले है. इस पक्षी के दर्शन वैसे तो बेहद दुर्लभ हैं.। यदि दर्शन हो जाए तो लोग अपने आपको किस्मती समझते हैं।

नीलकंठ से जुड़ीं कई मान्यताएं हैं

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक प्रभू श्री राम जब रावण से युद्ध करने जा रहे थे तभी श्रीराम चन्द्र जी को इस दुर्लभ पक्षी नीलकंठ के दर्शन हुए थे और प्रभू ने रावण का अंत कर अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य की जीत का पताका फहराया. एक और महत्व भी दर्शाया गया है, जब प्रभू के हाथों रावण का वध हुआ तो उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लगा. इस दोष से मुक्ति के लिए प्रभू ने अनुज लक्ष्मण के साथ भगवान शिव की आराधना की, तब शिव जी नीलकंठ पक्षी रूप में प्रकट हुए और उन्हें दर्शन दिए.जिसके बाद उनका ब्रह्म हत्या का दोष मुक्त हुआ.

नीलकंठ दिखने पर ये संकेत

विजयदशमी के दिन लकड़ी की डाल या अन्य जगह नीलकंठ पक्षी बैठा दिखाई दे तो यह शुभकारी है. इससे धन योग बनने की संभावना रहती है. अविवाहित महिला हो या पुरुष यदि इस दिन इन्हें नीलकंठ के दर्शन हो जाए तो समझ लें विवाह में आ रही समस्याओं का अंत हो जाता है. किसी पुरुष को दशहरा के दिन नीलकंठ दिखे तो आपके हर बिगड़े कामों से मुक्ति और सभी काम सही से बनने लगेंगे, किसी महिला को अगर दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन हो जाए और यदि नीलकंठ आपके दाहिनी ओर उड़ता हुआ दिख जाए तो इससे विवाह योग बनते हैं.

नीलकंठ पक्षी दिखे तो इस मंत्र का करें जाप

दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी दिख जाएं तो

कृत्वा नीराजनं राजा बालवृद्धयं यता बलम्।

शोभनम खंजनं पश्येज्जलगोगोष्ठसंनिघौ।।

नीलग्रीव शुभग्रीव सर्वकामफलप्रद।

पृथ्वियामवतीर्णोसि खच्चरीट नमोस्तुते।।‘



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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