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Vijyadashami Aur Dussehra Me Antar विजयादशमी और दशहरा में अंतर क्या है, जानिए इस दिन शस्त्र पूजन का महत्व

Vijyadashami Aur Dussehra Me Antar विजयादशमी और दशहरा में अंतर क्या है:अहंकार पर विजय का पर्व दशहरा शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन आता है। इस बार 2023 में दशहरा या विजयादशमी का पर्व 24 अक्टूबर मनाया जाएगा।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 14 Oct 2023 8:15 AM IST (Updated on: 14 Oct 2023 8:15 AM IST)
Vijyadashami Aur Dussehra Me Antar विजयादशमी और दशहरा में अंतर क्या है, जानिए इस दिन शस्त्र पूजन का महत्व
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Vijyadashami Aur Dussehra Me Antar विजयादशमी और दशहरा में अंतर क्या है: विजयादशमी में पूरे दस दिनों तक त्यौहार मनाया जाता है जिसमे शुरू के नौ दिनों तक देवी की पूजा अर्चना की जाती है। कई जगह दुर्गा माता की मूर्तियां रख कर पूजा की जाती है। दसवें दिन उन मूर्तियों का किसी नदी में विसर्जन कर दिया जाता है। कई लोग नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। विजयादशमी को शक्ति पूजा भी कहते हैं। इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है। कहा जाता है कि प्रभु राम ने भी रावण वध करने के पहले शक्ति की पूजा की थी और उनसे आशीर्वाद लिया था।

  • दशहरा राम द्वारा रावण का वध करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जबकि विजयादशमी देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर की हत्या करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
  • दशहरा में रावण और मेघनाथ के पुतले का दहन किया जाता है । विजयादशमी में नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा करने के पश्चात् उनकी मूर्तियों का किसी नदी में विसर्जन किया जाता है।
  • दशहरा में दस दिनों तक रामलीलाएं आयोजित की जाती हैं। विजयादशमी में नौ दिनों तक देवी दुर्गा की जगह जगह प्रतिमाएं रखकर पूजा की जाती है।
  • दशहरा में राम के द्वारा देवी दुर्गा की शक्ति पूजा की जाती है जबकि विजयादशमी में ऐसा नहीं किया जाता है।
  • दशहरा में राम, लक्ष्मण, हनुमान पूजनीय हैं । विजयादशमी में देवी दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिकेय पूजनीय हैं।
  • दशहरा और विजयादशमी दोनों ही त्योहारों का उद्द्येश्य बुराई पर अच्छाई की जीत या असत्य पर सत्य की विजय है।
  • अहंकार पर विजय का पर्व दशहरा शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन आता है। इस बार 2023 में दशहरा या विजयादशमी का पर्व 24 अक्टूबर मनाया जाएगा।


विजयादशमी क्यों मनाया जाता है

विजयादशमी हर उसी दिन पड़ता है जिस दिन दशहरा होता है विजय दशमी को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। यह भी दस दिनों तक चलने वाला त्यौहार है। इसमें शुरू के नौ दिनों को नवरात्रि दसवें दिन को विजयादशमी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक असुर राजा था जिसका नाम महिषासुर था। उसने ब्रह्मा से वरदान पा लिया था जिसकी वजह से देवता समेत कोई भी उसे मार नहीं सकता था। अपनी इसी क्षमता और शक्तियों के बल पर उसने देवताओं को हराकर इंद्रलोक पर अपना अधिपत्य हासिल कर लिया था। यही नहीं समस्त पृथ्वीलोक पर भी उसी का अधिकार चलता था। महिषासुर अत्यंत ही अत्याचारी राजा था। लोग उसके अत्याचार से त्राहि त्राहि कर रहे थे। आख़िरकार ब्रह्मा,विष्णु और महेश तीनों ने अन्य देवताओं की सहायता से अत्याचारी महिषासुर का अंत करने के लिए एक शक्ति की रचना की। इसी शक्ति का नाम देवी दुर्गा पड़ा। देवी दुर्गा में सभी देवताओं की शक्तियां समाहित थी। देवी और महिषासुर में भयंकर युद्ध हुआ। नौ दिन तक लगातार युद्ध होने के पश्चात् दसवें दिन देवी ने महिषासुर का वध किया और संसार को उसके आतंक और अत्याचार से मुक्ति दिलाई। इसी जीत के उपलक्ष्य में हर साल देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और इस त्यौहार को विजयादशमी कहा जाता है।

दशहरा पर अस्त्र-शस्त्र की पूजा की परंपरा

पौराणिक कथाओं के अनुसार दशहरे के दिन ही भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध किया था। इसी की खुशी में दशमी तिथि को विजयादशमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। युद्ध में विजय के कारण और पांडवों से जुड़ी एक कथा के कारण विजयदशमी को हथियार (अस्त्र-शस्त्र) पूजने की परंपरा भी है। दशहरे के दिन अगर किसी को नीलकंठ पक्षी दिख जाए तो काफी शुभ होता है। नीलकंठ भगवान शिव का प्रतीक है जिसके दर्शन से सौभाग्य और पुण्य की प्राप्ति होती है। दशहरे के दिन गंगा स्नान करने को भी बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। दशहरे के दिन गंगा स्नान करने का शुभ फल कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए दशहरे दिन लोग गंगा या अपने इलाके की पास किसी नदी में स्नान करने जाते हैं।



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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