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Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा जयंती
Vishwakarma Puja 2024: भगवान विश्वकर्मा की कृपा हम सभी पर बनी रहे, सभी के जीवन में सुख, शांति व समृद्धि का वास हो,
Vishwakarma Puja 2024: निर्माण व सृजन के अधिष्ठाता, देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पावन जयंती की आपसभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!भगवान विश्वकर्मा की कृपा हम सभी पर बनी रहे, सभी के जीवन में सुख, शांति व समृद्धि का वास हो,यही प्रार्थना है।
नमोस्तु विश्वरूपाय विश्वरूपाय ते नमः।
नमो विश्वात्माभूताय विश्वकर्मा नमोस्तुते।।
विश्व जिसका रूप है तथा विश्व जिसकी आत्मा है,
उन विश्वकर्मा जी को मैं नमन करता हूं।
ऋग्वेद के दशम मंडल में सूक्त ८१ एवं सूक्त ८२ के १४ मंत्रों को विश्वकर्मा सूक्त कहते हैं ।विश्वकर्मा जयंती कन्या संक्रांति को मनाई जाती है।भगवद्गीता समूह विश्वकर्मा जयंती को श्रम दिवस के रूप में पालन करता है।संस्कृत साहित्य में विश्वकर्मा शब्द के कई अर्थ हैं।विश्वकर्मा का प्रथम अर्थ उस विराट शक्ति का बोधक है,जिसने सृष्टि की रचना की।यो विश्व जगत् करोत्यत: स: विश्वकर्मा ।अर्थात् जो संसार की रचना करता है,वह विश्वकर्मा है।इस दृष्टि से सृष्टिकर्ता,परमात्मा आदि अर्थ विश्वकर्मा के होते हैं ।
दूसरा अर्थ
अंगिरा वंश में उत्पन्न विश्वकर्मा नामक एक विभूति से जुड़ा हुआ है,जो विश्व के आदि शिल्पाचार्य का द्योतक है।इनके पिता आठवें वसु प्रभास और माता देवगुरु बृहस्पति की भगिनी वरस्त्री थी।इनका विवाह भक्त प्रहलाद की पुत्री " रचना " से हुआ था।"विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र" ग्रंथ के रचयिता विश्वकर्मा जी माने जाते हैं।जगत का यह सर्वप्रथम ग्रंथ वास्तुकला को शास्त्र के रूप में प्रस्तुत करता है।
सौर शक्ति का उपयोग करके विश्वकर्मा जी ने विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र, शिव के लिए त्रिशूल और देवराज इंद्र के लिए विजय नामक रथ बनाया था।विश्वकर्मा जी ने इंद्र के लिए इंद्रलोक और सुतल नामक पाताल तथा दानवों के लिए लंका का निर्माण किया था।भगवान श्रीकृष्ण के लिए द्वारिका और वृंदावन का तथा पांडवों के लिए हस्तिनापुर का निर्माण किया था।प्रसिद्ध पुष्पक विमान इन्होंने ही बनाए थे।जिस प्रकार आधुनिक युग में वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने विविध क्षेत्र में 2000 से अधिक खोजें की थीं,
उसी प्रकार अति प्राचीन काल में श्री विश्वकर्मा जी ने समाज के उत्कर्ष के लिए 12000 छोटे-बड़े तंत्र-यंत्रों का निर्माण किया था।वर्तमान समय में जहां राजनेता वंशवाद को बढ़ावा देते हुए अपने पुत्रों को सत्ता सौंपने के लिए बेशर्मी से लालायित एवं प्रयत्नशील रहते हैं ,वहीं श्री विश्वकर्मा जी अपने अत्याचारी पुत्र के वध के लिए वज्र बनाने को तैयार हुए थे।ऋषि दधीचि द्वारा प्रदत्त अस्थि से श्री विश्वकर्मा जी ने अपने पुत्र के वध के लिए वज्र बनाया था,जिससे देवराज इंद्र ने वृत्रासुर का वध किया था।अत: सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन के लिए श्री विश्वकर्मा जी हमारे आदर्श हैं।
तीसरा अर्थ है -
' विश्वकर्मा ' उपाधि अर्थात् विशिष्ट कार्यों में दक्ष होने के कारण अनेक व्यक्तियों को विश्वकर्मा उपाधि प्रदान की गई थी।आज भी भारत के स्वर्णकार (सोनार ) , लौहकार (लोहार) , कुंभकार (कुम्हार) आदि स्वयं को विश्वकर्मा के वंशज मानते हैं और गौरव का अनुभव करते हैं। कई लोगों की उपाधि ( टाइटल ) आज भी विश्वकर्मा है।