Bhagavad Gita: त्याग से ही कल्याण

Bhagavad Gita: भगवान्‌ मिले हुए और बिछुड़ने वाले नहीं हैं,प्रत्युत सदा से ही मिले हुए हैं,सदा मिले हुए ही रहते हैं, कभी बिछुड़ते नहीं । भगवान्‌ के सिवाय जो कुछ है,वह सब-का-सब बिछुड़ने वाला है‒

Sankata Prasad Dwived
Published on: 10 Aug 2024 1:52 PM GMT
Bhagavad Gita: त्याग से ही कल्याण
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Bhagavad Gita: बाहर से वस्तु का त्याग करने से कल्याण नहीं होता । कल्याण भीतर के भाव से होता है, अर्थात् भीतर से वस्तुओं का त्याग करने से,उनके साथ अपना सम्बन्ध न मानने से कल्याण होता है ।जड़ वस्तुओं का सम्बन्ध ही पतन करता है और उनसे सम्बन्ध-विच्छेद ही उद्धार करता है।स्वयं चेतन होते हुए भी जीव ने जड़को सत्ता और महत्ता देकर उसके साथ सम्बन्ध जोड़ लिया‒यही बन्धन है ।इसने जड़ शरीर को सत्ता दे दी कि,’ शरीर है।’उसको महत्ता दे दी कि ‘शरीर के बिना सुख नहीं मिल सकता’ और उसके साथ सम्बन्ध जोड़ लिया कि,’मैं शरीर हूँ,’ शरीर मेरा है और मेरे लिये है।’

हमारे को जो कुछ मिला है,वह सब बिछुड़ने वाला ही मिला है ।शरीर मिला है तो बिछुड़ने वाला मिला है,कुटुम्ब मिला है तो बिछुड़ने वाला मिला है,धन मिला है तो बिछुड़ने वाला मिला है,योग्यता मिली है तो बिछुड़ने वाली मिली है,बल मिला है तो बिछुड़ने वाला मिला है ।बिछुड़ने वाली वस्तु का त्याग कर दें तो स्वतः कल्याण होता है‒यह भगवान्‌ की बड़ी विलक्षण कृपा है !भगवान्‌ मिले हुए और बिछुड़ने वाले नहीं हैं,प्रत्युत सदा से ही मिले हुए हैं,सदा मिले हुए ही रहते हैं, कभी बिछुड़ते नहीं । भगवान्‌ के सिवाय जो कुछ है,वह सब-का-सब बिछुड़ने वाला है‒

आब्रह्मभुवनाल्लोका पुनरावर्तिनोऽर्जुन ।

मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते ॥
( गीता ८ । १६ )

हे अर्जुन !

ब्रह्मलोक तक सभी लोक पुनरावर्ती वाले हैं,अर्थात् वहाँ जाने पर पुनः लौटकर संसार में आना पड़ता है; परन्तु हे कौन्तेय ! मुझे प्राप्त होने पर पुनर्जन्म नहीं होता। मनुष्य शरीर केवल त्याग करने के लिये ही मिला है ।त्याग करने से अपने घर का कुछ भी खर्च नहीं होगा और कल्याण मुफ्त में हो जायगा !अतः मिली हुई वस्तु का हृदय से त्याग कर दें,कि यह हमारी नहीं है और हमारे लिये भी नहीं है, तो कल्याण हो जायगा‒यह पक्का सिद्धान्त है ।त्याग से तत्काल शान्ति मिलती है‒त्यागाच्छान्तिरनन्तरम्।

(गीता १२ ।१२ )

क्योंकि शरीर, योग्यता, बल, बुद्धि आदि जो कुछ मिला है,त्याग करने के लिये ही मिला है । त्याग नहीं करेंगे तो भी वे बिछुडेंगे ही। साथ में रहने वाली कोई भी चीज नहीं है ।

( लेखक धर्म व अध्यात्म के विशेषज्ञ हैं ।)

Shalini Rai

Shalini Rai

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