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धार्मिक रहस्य: मौत के बाद नहीं होता सब आसान, जानिए क्यों रहते हैं शव के पास

जब भी मृत्यु आती है तो शरीर से आत्मा निकल जाती है जोकि मरने वाले वक्त के आस-पास ही भटकती रहती है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 7 May 2021 2:14 AM GMT
मृत्यु के बाद शव को इन 3 कारणों से अकेला नहीं छोड़ना चाहिए
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डिजाइन फोटो, (साभार-सोशल मीडिया)

लखनऊ: मनुष्य (Humans)की जिंदगी(Life) का असली सच मृत्यु(Death) है। इंसान ही नहीं, बल्कि हर जीव को भी एक ना एक दिन अपना शरीर त्याग कर जाना ही पड़ता है। कहते हैं जब मृत्यु आती है तो मरने वाले व्यक्ति को पहले ही उस मृत्यु का संकेत मिल जाता है। मनुष्य उन संकेतों को सही से समझ नहीं पाते और अनजान बने रहते हैं। आज भले ही विज्ञान(Science) ने बहुत उन्नति कर ली है, लेकिन बड़े बड़े विज्ञानी भी मौत के रहस्य( Mystery) को नहीं समझ पाए हैं।

बता दें कि मौत कभी भी आ जाती है। एक पल इंसान हँसता खेलता होता है तो अगले ही पल मृत्यु उसे हमेशा के लिए दूर ले जाती है। यह सत्य है कि जो जन्मा है वह मरेगा ही चाहे वह मनुष्‍य हो, देव हो, पशु या पक्षी सभी को मरना है। ग्रह और नक्षत्रों की भी आयु निर्धारित है और हमारे इस सूर्य की भी। इसे ही जन्म चक्र कहते हैं। जन्म मरण के इस चक्र में व्यक्ति अपने कर्मों और चित्त की दशा अनुसार नीचे की योनियों से उपर की योनियों में गति करता है और पुन: नीचे गिरने लगता है। यह क्रम तब तक चलता है जब तक की मोक्ष नहीं मिल जाता है। कई बार स्थितियां बदल जाती हैं।

इस समय हो मौत तो ना जलाए शव

धर्मशास्त्रों के अनुसार मरने के बाद क्यों नहीं मृत शरीर को अकेला छोड़ा जाता है। सूर्यास्त के बाद हुई है मृत्यु तो शव को जलाया नहीं जाता है। इस दौरान शव को रातभर घर में ही रखा जाता और किसी न किसी को उसके पास रहना होता है। उसका दाह संस्कार अगले दिन किया जाता है। यदि रात में ही शव को जला दिया जाता है तो इससे व्यक्ति को अधोगति प्राप्त होती है और उसे मुक्ति नहीं मिलती है। ऐसी आत्मा असुर, दानव अथवा पिशाच की योनी में जन्म लेते हैं।

सांकेतिक तस्वीर, (साभार-सोशल मीडिया)

पंचक में हो मौत तो जानें क्या करें

यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल में हुई है तो पंचक काल में शव को नहीं जलाया जाता है। जब तक पंचक काल समाप्त नहीं हो जाता, तब तक शव को घर में ही रखा जाता है और किसी ना किसी को शव के पास रहना होता है।

कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके साथ उसी के कुल खानदान में पांच अन्य लोगों की मौत भी हो जाती है। इसी डर के कारण पंचक काल के खत्म होने का इंतजार किया जाता है परंतु इसका समाधान भी है कि मृतक के साथ आटे, बेसन या कुश (सूखी घास) से बने पांच पुतले अर्थी पर रखकर इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।

यदि कोई मर गया है परंतु उसका दाह संस्कार करने के लिए उसका पुत्र या पुत्री से दाह दिलाना चाहिए। कहते हैं कि पुत्र या पुत्री के हाथों ही दाह संस्कार होने पर मृतक को शांति मिलती है नहीं तो वह भटकता रहता है।

इसलिए रहें शव पास

शव को अकेला न छोड़ने के पीछे वैसे तो कईं कारण हो सकते हैं। लेकिन इनमे से सबसे अहम कारण यह है कि जब भी मृत्यु आती है तो शरीर से आत्मा निकल जाती है जोकि मरने वाले वक्ती के आस-पास ही भटकती रहती है। ऐसे में यदि शव को अकेला छोड़ा जाए तो वह आत्मा उस शरीर पर पुन: अधिकार जमा सकती है।अगर उस बॉडी को अकेल छोड़ दे तो कई सारी गलत आत्मा उसके अंदर प्रवेश कर सकती है इसलिए हमेंशा उसके पास किसी ना किसी को बिठाकर रखना पड़ता है। इसलिए रात के दौरान शव को अकेला नहीं रखा जाता।

सांकेतिक तस्वीर, (साभार-सोशल मीडिया)

मौत के बाद आत्मा का विचरण

महाभारत काल में खुद भीष्म पितामह ने अधोगति से बचने के लिए ही सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था। उत्तरायण में प्रकृति और चेतना की गति उपर की ओर होने लगती है।

पुराणों के अनुसार व्यक्ति की आत्मा प्रारंभ में अधोगति होकर पेड़-पौधे, कीट-पतंगे, पशु-पक्षी योनियों में विचरण कर ऊपर उठती जाती है और अंत में वह मनुष्य वर्ग में प्रवेश करती है। मनुष्य अपने प्रयासों से देव या दैत्य वर्ग में स्थान प्राप्त कर सकता है।

उपनिषदों के अनुसार एक क्षण के कई भाग कर दीजिए उससे भी कम समय में आत्मा एक शरीर छोड़ तुरंत दूसरे शरीर को धारण कर लेता है। यह सबसे कम समयावधि है। सबसे ज्यादा समायावधि है 30 सेकंड। परंतु पुराणों के अनुसार यह समय लंबा की हो सकता है 3 दिन, 13 दिन, सवा माह या सवाल साल। इससे ज्यादा जो आत्मा नया शरीर धारण नहीं कर पाती है वह मुक्ति हेतु धरती पर ही भटकती है, स्वर्गलोक चली जाती है, पितृलोक चली जाती है या अधोलोक में गिरकर समय गुजारती है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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