Ram Mandir: आखिर किसी शुभ कार्य से पूर्व क्यों की जाती है प्रायश्चित पूजा, जानें इसका महत्व

Ram Mandir: वैदिक परंपरा के अनुसार किसी भी अनुष्ठान से पूर्व प्रायश्चित पूजा का आयोजन महत्वपूर्ण माना गया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों की जाती है प्रायश्चित पूजा और इसका महत्व।

Shishumanjali kharwar
Published on: 16 Jan 2024 8:28 AM GMT (Updated on: 16 Jan 2024 8:36 AM GMT)
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शुभ कार्य से पूर्व क्यों की जाती है प्रायश्चित पूजा (सोशल मीडिया)

Ram Mandir: रामनगरी में दिव्य और भव्य मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अब केवल पांच दिन शेष हैं। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व मंगलवार से अनुष्ठान प्रारंभ हो गये हैं। मंगलवार को सर्वप्रथम प्रायश्चित पूजा का अनुष्ठान किया जा रहा है। 121 ब्राह्मणों की उपस्थिति में लगभग पांच घंटे तक प्रायश्चित पूजा की जाएगी। प्रायश्चित पूजा के साथ रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन की शुरूआत हो जाएगी। वैदिक परंपरा के अनुसार किसी भी अनुष्ठान से पूर्व प्रायश्चित पूजा का आयोजन महत्वपूर्ण माना गया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों की जाती है प्रायश्चित पूजा और इसका महत्व।

आखिर क्या है प्रायश्चित पूजा

प्रायश्चित एक धार्मिक शब्द है जिसका अर्थ होता है अपनी त्रुटियों या गलियों को स्वीकार करना। हिंदू धर्म के अनुसार जाने- अनजाने में हुई गलती का विभिन्न तरीकों से पश्चाताप किया जा सकता है। जैसे गलती को स्वीकार कर, तपस्या, उपवास, तीर्थयात्रा और पवित्र जल में स्नान, तपस्वी जीवन शैली, यज्ञ (अग्नि बलिदान, होम), प्रार्थना करना और गरीब-जरूरतमंदों की सेवा कर। सनातन धर्म के अनुसार जीवन में हर किसी के जाने-अनजाने में कोई न कोई गलती जरूर हो जाती है। जिसका उसे पछतावा भी होता है। हिंदू धर्म में भगवान की पूजा-पाठ के लिए विशेष नियम पद्धतियां बतायी गयी हैं।

यदि प्राणी से पूजा पद्धति का पालन नियम अनुसार नहीं हो पाता है तो उसके मन में इस बात का खेद रहता है कि उसे भूलवश गलती हो गयी है। इन्हीं गलतियों के प्रायष्चित के लिए इस पूजा को किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि भगवान की अराधना या किसी धार्मिक अनुष्ठान में कोई कसर रह जाती है। तो प्रायश्चित पूजा संपन्न कराने से किसी भी तरह का पाप नहीं लगता है। शास्त्रों के अनुसार प्रायश्चित पूजा कराने से भूलवश हुई गलती का पाप मिट जाता है। इसी कारण जब किसी मंदिर का निर्माण या देव प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जाता है तो इससे पूर्व प्रायश्चित पूजा अनिवार्य माना जाता है। ताकि जाने-अनजाने मंदिर निर्माण के समय जीव-जंतु, कीटाणुओं की हत्या का दोष न लगने पाए और उन्हें भी शांति मिल सके।

इसलिए भी राम मंदिर में हो रहा प्रायश्चित पूजन

अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व प्रायश्चित पूजन किया जा रहा है। यह पूजन इसलिए संपन्न हो रहा है कि क्योंकि जिस शिलाखंड से भगवान रामलला की प्रतिमा बनाई गयी है। उसे तैयार करने में छेनी-हथौड़ी से कई चोट किए गये हैं। ताकि भगवान के सुंदर स्वरूप को आकार दिया जा सके। धार्मिक मान्यता के मुताबिक शिलाखंड को ही प्रभु का शरीर माना गया है। इसी में प्राण प्रतिष्ठा होनी है। ऐसे में भगवान को पहुंचाई गई चोट को लेकर क्षमा मांगने के लिए भी प्रायश्चित पूजन किया जा रहा है।

प्रायश्चित पूजा कौन करता है?

हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य करने के लिए अनुष्ठान या यज्ञ की परंपरा रही है। किसी अनुष्ठान, यज्ञ अथवा पूजा पर यजमान ही बैठता है। इसलिए प्रायश्चित पूजा को भी यजमान की उपस्थिति में ही संपन्न करानी होती है। ब्राह्मण इस पूजा में मात्र जरिया होते हैं, जो मंत्रों का जाप करते हैं।

प्रायश्चित पूजन के साथ होगा कर्मकुटी पूजन

प्रायश्चित पूजा के खत्म होने के बाद कर्मकुटी पूजन का आयोजन होगा। कर्मकुटी पूजन का अर्थ यज्ञशाला पूजन से है। यज्ञशाला पूजन के साथ ही हवन कुंड का पूजन किया जाता है। कर्मकुटी पूजन के दौरान भगवान विष्णुजी का विधिवत पूजन किया है। इस पूजा के साथ ही मंदिर में अंदर प्रवेश मिलता है। मंदिर के हर क्षेत्र में प्रवेश के लिए पूजन किया जा रहा है।

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Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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