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Ban Vehicle Horn: सैकड़ों की संख्या में शोर करते हॉर्न पर लगेगी लगाम, सरकार कर रही ये तैयारी

Ban Vehicle Horn in India: केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है जिसमें गाड़ियों के हॉर्न की आवाज़ को कम करके 50 डेसिबल तक कर दिया जाएगा।

Durgesh Sharma
Published on: 16 Sep 2023 2:05 AM GMT
Transport Minister Nitin Gadkari
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Transport Minister Nitin Gadkari (Pic:Newstrack)

Ban Vehicle Horn in India: सड़कों पर अधीर हो चिल्ल-पो कर शोर मचाते असंख्य वाहनों की कर्कश आवाज यदि सुरीली धुन के साथ शास्त्रीय संगीत का कोई राग छेंडती सुनाई पड़े तो आपको कैसा महसूस होगा। हो सकता है कि ट्रैफिक के इस शोर के आदी हो चुके आपके कान इस बदलाव के साथ जल्द सहज न हो पाए। लेकिन एक बात तो पक्की है कि हमारे वातावरण को बुरी तरह प्रभावित कर रहे ध्वनि प्रदूषण की रफ्तार जरूर ठहर जाएगी। सड़कों और चौराहों पर रेंगते असंख्य वाहन और ट्रैफिक में गैर जरूरी हॉन्किंग और बेवजह हॉर्न बजाने वालों के साथ इससे प्रभावित होने वाले लोगों के स्वास्थ पर भी इस बदलाव का अनुकूल असर पड़ेगा। आइए जानते हैं इस खबर पर विस्तार से-

हॉर्न की आवाज़ को कम करके 50 डेसिबल तक करने की योजना

सड़कों पर जब बेवजह चीखते हॉर्न की आवाज से झुंझला कर कई बार आपको अहसास होता है कि लोगों की सहूलियत के लिए बनाए गए हॉर्न का कितना ज्यादा दुष्प्रयोग किया जा रहा है। इस समस्या को खत्म किए जाने की जरूरत को महसूस करते हुए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है जिसमें गाड़ियों के हॉर्न की आवाज़ को कम करके 50 डेसिबल तक कर दिया जाएगा।

सरकार जल्द ही वाहनों में हॉर्न के लिए स्वीकृत अधिकतम शोर स्तर को कम करने की योजना को धरातल पर उतारने जा रही है। अब वाहनों में तेज आवाज में हॉर्न नहीं बज सकेंगे।इसके लिए सरकार वर्तमान में हॉर्न के शोर के स्तर की अधिकतम सीमा घटाने का निर्णय कर रही है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि केंद्र ने तेज आवाज वाले वाहनों के हॉर्न पर रोक लगाने के लिए शोर का अधिकतम स्तर करीब 50 डेसिबल करने की योजना बनाई है।ध्वनि प्रदूषण को कम करने की दिशा में भारत सरकार बडा कदम उठाने जा रही है।

शास्त्रीय संगीत की धुनों के साथ अब संगीतमय हो जाएगा ट्रैफिक

एक साक्षात्कार के दौरान परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वायु प्रदूषण के साथ ध्वनि प्रदूषण भी बड़ी समस्या बन कर हम सबके सामने खड़ी है। जो कि सभी के स्वास्थ्य पर बेहद बुरा प्रभाव डाल रही है। नितिन गडकरी ने कहा, सरकार हॉर्न के लिए भारतीय शास्त्रीय संगीत और वाद्ययंत्रों की धुनों को अपनाने का सुझाव दे सकती है, ताकि इसकी आवाज अच्छी लगे।उन्होंने कहा कि "हम केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन कर रहे हैं, ताकि हॉर्न के अधिकतम स्वीकार्य शोर स्तर को 70 से घटाकर 50 डेसिबल किया जा सके।

स्वास्थ पर बुरा असर डाल रहे तेज हॉर्न वाले वाहन

सड़कों पर चीखते हॉर्न हमारे स्वास्थ पर काफी अधिक बुरा प्रभाव डाल रहें हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार, सप्ताह में 5 दिन 6 से 8 घंटे तक 80 डेसिबल से अधिक शोर का अनुभव करने से बहरापन और मानसिक विकार हो सकता है। जबकि इस समस्या से निपटने के लिए फिलहाल सरकार द्वारा वर्तमान में, सभी वाहनों के लिए अधिकतम 80-91 डेसिबल तक ही शोर स्तर की अनुमति निर्धारित कर दी गई है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से निर्धारित मानकों के अनुसार दिन में 53 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल से कहीं अधिक है। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के परिवहन मंत्री ने हॉर्न को संगीतमय किए जाने की पुष्टि अब से दो वर्ष पूर्व यानी 2021 में ही कर दी थी।

उन्होंने इस बात की जानकारी देते हुए दो वर्ष पूर्व दिए अपने एक संबोधन में कहा था कि वह एक लॉ वीक की योजना बना रहे हैं जिसके तहत केवल भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की ध्वनि का उपयोग एलेक्जेंड्रा के हॉर्न के रूप में किया जा सकता है। एक एवेन्यू उद्घाटन समारोह में नितिन गडकरी ने कहा कि वह एम्बुलेंस और पुलिस टीम का उपयोग करके सायरन का भी अध्ययन कर रहे हैं। उन्हें ऑल इंडिया रेडियो पर लगभग जाने वाले अधिक मधुर धुनों से बदल देंगे। उन्होंने कहा कि गाड़ियों की छतों और शोर मचाने वाली लाल मशीनरी को खत्म कर दिया। “अब मैं इन सायरनों को भी ख़त्म करना चाहता हूँ।” अब मैं एम्बुलेंस और पुलिस द्वारा उपयोग किए जाने वाले सायरन का अध्ययन कर रहा हूं।

हॉर्न की आवाज़ के लिए क्या हैं नियम

सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों में लगे हॉर्न के प्रयोग पर परिवहन मंत्रालय द्वारा सीमाएं तय की गईं हैं । जिनके अनुसार तीन पहिया, कार और कमर्शियल गाड़ियों में दिन के समय 53 डेसिबल और रात के समय 45 डेसिबल की सेफ सीमा निर्धारित की गई है जबकि दो पहिया गाड़ियों के हॉर्न में अधिकतम 80 से 91 डेसिबल आवाज़ का इस्तेमाल किया जा सकता है। जबकि हकीकत ठीक इसके विपरित है। भारतीय सड़कों पर निर्धारित मानकों के विपरित नोइस लेवल 100 डेसिबल के करीब बना रहता है। कहीं गाड़ी चालक इन नियमों की अनदेखी कर ट्रक, बस और कई बाइक चालक तय लिमिट से ज्यादा आवाज़ वाले हॉर्न्स का आज भी प्रयोग कर रहें हैं, जिन पर नियम तोड़ने के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कारवाई दर्ज नहीं की जा रही है।

Durgesh Sharma

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