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BS6 Vehicle Ban: 1 अप्रैल से BS6 का पहला संस्करण वाहन बैन, ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ेगा असर! जानें यहां

BS6 Vehicle Ban: BSES की घोषणा सन् 2000 में की गई। इसके बाद BS2, BS3, BS4, BS5 और BS6 स्टैंडर्ड के बाद अब BS6 के दूसरे संस्करण को लागू किया जा रहा है।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 3 March 2023 4:34 PM IST
BS6 Vehicle Ban
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BS6 Vehicle Ban (सोशल मीडिया) 

BS6 Vehicle Ban: जीवन जीने के लिए स्वच्छ वातावरण और ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिए ऑटोमोबिल सेक्टर में वाहनों से बढ़ते हुए प्रदूषण से परेशान होकर भारत सरकार ने क्या 1 अप्रैल से BS6 के पहले संस्करण इंजन वाले सभी वाहनों पर बैन लगा दिया है। क्या आप जानते है, BS6 क्या है और यह क्यों इतना आवश्यक है। इस पोस्ट में हमने बीएस 6 से संबंधित जानकारी देने जा रहें हैं लेकिन इससे पहले BSES के बारे में जानते है कि BSES क्या है।

क्या होता है BSES और कैसे करता काम?

BSES की फुल फॉर्म “Bharat Stage Emissions Standards” होती है। यह भारत सरकार द्वारा वायु प्रदुषण को मापने का मानक है। इस मानक द्वारा वाहनों के इंजन से निकलने वाले प्रदुषण को मापा जाता है। यह सभी स्टैंडर्डस Ministry of Environment और Climate change के अंतर्गत कार्यान्वित Central Pollution Control Board के द्वारा सेट किए जाते है। साथ ही कुछ नियम निर्धारित किए गए है, जिनका वाहन निर्माताओं का पालन करना होता है। इन नियमों में, इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ईसीयू), इग्निशन कंट्रोल, टेलपाइप उत्सर्जन आदि शामिल है। BS के संबंध एमिशन स्टैंडर्ड से है। BS यानी भारत स्टेज से पता चलता है कि आपकी गाड़ी कितना प्रदूषण फैलाती है। बीएस के जरिए ही भारत सरकार गाड़ियों के इंजन से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को रेगुलेट करती है। BS के साथ जो नंबर होता है उससे ये पता चलता है कि इंजन कितना प्रदूषण फैलाता है। यानी जितना बड़ा नंबर उतना कम प्रदूषण। इसी तर्ज पर BS3, BS4 और BS6 निर्धारित किया जाता है।

BSES की घोषणा सन् 2000 में की गई। इसके बाद BS2, BS3, BS4, BS5 और BS6 स्टैंडर्ड के बाद अब BS6 के दूसरे संस्करण को लागू किया जा रहा है।

BS6 के दूसरे फेज से क्या हो बदलाव?

अप्रैल से लागू होने वाले सख्त इमिशन स्टैंडर्ड्स को ध्यान में रखकर अपनी गाड़ियों को अपग्रेड करने पर व्हीकल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों का निवेश बढ़ने से पैसेंजर और कमर्शियल गाड़ियों की कीमतें बढ़ने की संभावना है। भारतीय वाहन उद्योग फिलहाल अपनी गाड़ियों को भारत स्टेज-6 (BS-6) इमिशन स्टैंडर्ड के दूसरे फेज के हिसाब से ढालने की कोशिश में लगा हुआ है। ऐसा होने पर इमिशन स्टैंडर्ड यूरो-6 स्टैंडर्ड जैसे हो जाएंगे। फोर व्हीलर पैसेंजर और कमर्शियल गाड़ियों को अपग्रेडेड स्टैंडर्ड्स के अनुरूप बनाने के लिए उनमें एडवांस्ड डिवाइस शामिल किए जाएंगे। इससे व्हीकल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ सकती है जिसका बोझ अगले वित्त वर्ष से खरीदारों पर ही इसका बोझ पड़ने वाला है।

पर्यावरण को प्रदूषित करते हुए, सड़क पर चलने वाले वाहनों से निकास उत्सर्जन पर कुछ प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। ये उत्सर्जन मानदंड अलग-अलग देशों में अलग-अलग हैं। बीएस या भारत स्टेज मानदंड भारत में मानदंड हैं। उत्सर्जन नियमों में हुए ताजा बदलाव के मुताबिक इस साल पहली अप्रैल से यूरो6 लागू हो जाएगा।

क्या है बीएस6 और यूरो 6 का उत्सर्जन मानदंड

एमिशन नॉर्म्स में हालिया बदलाव बीएस4 से बीएस6 के बाद यूरो 6 हैं जो अगले महीने से लागू हो जाएंगे। इसे विशाल तकनीकी छलांग कहा जाता है क्योंकि बीएस5 को बीच में ही छोड़ दिया गया था। उत्सर्जन मानदंड 2017 में BS4 से बदलकर 2020 (3 वर्ष) में BS6 हो गए थे । वहीं यूरो 6 के नवीनतम बदलाव के साथ ऑटोमोबाइल और तेल कंपनियां दोनों प्रभावित हैं क्योंकि उनके ऊपर इस बदलाव से दोहरी मार पड़ी है।

यूरोप में उत्सर्जन मानदंडों में यूरो 6 जिसे सितंबर 2014 में ही लागू किया गया था। यूरो6 को वाहनों के निकास गैसों से हानिकारक प्रदूषकों को कम करने के लिए लागू किया गया था। वहीं अब भारत में लागू यूरो 6 इनमें डीजल के साथ-साथ पेट्रो इंजनों से NOx (नाइट्रोजन ऑक्साइड्स), SOx (सल्फर ऑक्साइड्स), COx (कार्बन ऑक्साइड्स) और डीजल इंजनों से PM (पार्टिकुलेट मैटर) की कमी करना शामिल है।

यूरोप में यात्री कारों और हल्के ट्रकों के लिए 1992 में पहला यूरो उत्सर्जन मानदंड यूरो1 लागू किया गया था। वहां पर नवीनतम एग्जॉस्ट एमिशन नॉर्म्स यूरो6डी हैं जो यूरो6 से थोड़ा अपग्रेड है।

यूरोप और भारत दोनों ही जगहों पर गाड़ी चलाने का तरीका बिल्कुल अलग है। औसत गति और ड्राइविंग नियम थोड़े अलग हैं। यह देखते हुए कि दोनों उत्सर्जन मानदंड बड़े अंतर से अलग नहीं हैं।

नजर रखने वाले लगाए जाएंगे डिवाइस

अपग्रेडेड इमिशन स्टैंडर्ड पर खरा उतरने के लिए गाड़ियों में ऐसे डिवाइस लगाने होंगे जो चलती गाड़ी के इमिशन लेवल पर नजर रख सके। इसके लिए ये डिवाइस कैटेलिक कन्वर्टर और ऑक्सीजन सेंसर जैसे कई अहम हिस्सों पर नजर रखेगा। गाड़ी का इमिशन लेवल एक तय स्टैंडर्ड से ज्यादा होते ही ये डिवाइस लाइट जलाकर अलर्ट देने लगेगा और बताएगा कि गाड़ी की सर्विस कराने का समय आ चुका है।

इसके अलावा गाड़ी चलाने के लिए यूज होने वाले फ्यूल के लेवल को भी कंट्रोल में रखने के लिए गाड़ियों में एक प्रोग्राम्ड फ्यूल इंजेक्टर भी लगाया जाएगा। ये डिवाइस पेट्रोल इंजन में भेजे जाने वाले फ्यूल की मात्रा और उसके समय पर भी नजर रखेगा। ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट्स का कहना है कि गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले सेमीकंडक्टर चिप को भी इंजन के तापमान, ज्वलन के लिए भेजी जाने वाली हवा के दबाव और उत्सर्जन में निकलने वाले कणों पर नजर रखने के लिए अपग्रेड करना पड़ेगा।

तैयारियों में जुटी कार मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां

प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा के अध्यक्ष (ऑटोमोटिव क्षेत्र) विजय नाकरा ने कहा कि कंपनी के सभी वाहनों को बीएस-6 के दूसरे चरण वाले मानकों पर खरा उतरने के लायक इंजनों को बनाया जा रहा है।इंजन की क्षमता को अपग्रेड करने पर खास जोर दिया जा रहा है। इनमें डीजल के साथ-साथ पेट्रो इंजनों से NOx (नाइट्रोजन ऑक्साइड्स), SOx (सल्फर ऑक्साइड्स), COx (कार्बन ऑक्साइड्स) और डीजल इंजनों से PM (पार्टिकुलेट मैटर) की कमी शामिल है। टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने कहा कि कंपनी इस बदलाव के अंतिम दौर में पहुंच चुकी है और इंजीनियरिंग क्षमता का एक बड़ा हिस्सा इस विकास कार्य के निर्माण पर काम कर रहा है। देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता मारुति सुजुकी इंडिया के कार्यकारी अधिकारी (कॉरपोरेट मामले) राहुल भारती ने कहा कि कंपनी बीएस-6 के दूसरे चरण के लिए भी पूरी तरह तैयार है।

नए मानक पर कंपनियों को इतना करना होगा निवेश

नए मानक के अनुरूप ढालने पर घरेलू वाहन कंपनियों को कहीं एक बड़ी रकम तो नहीं चुकानी पड़ेगी, क्योंकि उससे पहले हुए बदलाव में करोड़ों रुपये का निवेश करना पड़ा था। इक्रा रेटिंग्स के उपाध्यक्ष और रीजन हेड रोहन कंवर गुप्ता ने कहा, ‘‘नए स्टैंडर्ड्स के लागू होने से गाड़ियों की कुल कीमत में थोड़ी बढ़ोतरी होने की संभावना है। हालांकि, ये बढ़ोतरी बीएस-4 से बीएस-6 फेज की तरफ बढ़ते समय हुई वृद्धि से तुलनात्मक रूप से कम होगी। उन्होंने कहा कि इस निवेश का बड़ा हिस्सा गाड़ियों में इमिशन डिटेक्शन डिवाइस लगाने के साथ सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन में लगेगा। उन्होंने कहा कि बीएस-6 के पहले चरण की तुलना में दूसरे चरण में लगने वाला खर्च तुलनात्मक रूप से कम होगा। भारत में नई इमिशन स्टैंडर्ड के तौर पर 1 अप्रैल, 2020 से बीएस-6 का पहला फेज लागू किया गया था। नए मानक के अनुरूप ढालने पर घरेलू वाहन कंपनियों को करीब 70,000 करोड़ रुपये का निवेश करना पड़ा था।



Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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