TRENDING TAGS :
BS4 vs BS6 Difference: BS4 और BS6 इंजन में क्या है अंतर ? आइये जाने सब कुछ डिटेल में
Difference Between BS4 and BS6: दिन पर दिन प्रदूषण की बिगड़ती साथियों पर लगाम लगाने के लिए Bharat Stage Emission Standards (BSES) को शामिल किया गया। जिसके तहत सख्ती से नियमों को लागू करने के लिए नॉर्म्स बनाए गए।
Difference Between BS4 and BS6: पर्यावरण प्रदूषण मौजूदा समय की एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आकर खड़ी हो चुकी है। भारत में तेजी से प्रदूषण अपनी जड़े फैला रहा है। जिसके कारण प्राकृतिक आपदाएं नए नए रूप में विनाशकारी रूप में सामने आ रहीं हैं। मानव जीवन को असामान्य स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। दिन पर दिन प्रदूषण की बिगड़ती साथियों पर लगाम लगाने के लिए Bharat Stage Emission Standards (BSES) को शामिल किया गया। जिसके तहत सख्ती से नियमों को लागू करने के लिए नॉर्म्स बनाए गए। जिसके अंतर्गत BS4 और BS6 का अस्तित्व हम सबके बीच सामने आया। आइए जानते हैं इस विषय पर विस्तार से....
कैसे हुई भारत स्टेज एमिसन स्टैंडर्ड यानी BSES की शुरुआत
भारत में स्थापित पर्यावरण वन मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन के तहत CPCB यानी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा सन 2000 में BSES को अस्तित्व में लाया गया था। CPCB ने रेल के इंजन से निकलने वाले धुवें से वायु प्रदूषण के प्रभाव को देखने के लिए भारत स्टेज एमिसन स्टैंडर्ड यानी BSES की जरूरत महसूस की थी। चूंकि विदेशों में प्रदूषण संरक्षण की दिशा में काफी पहले से काम चल रहा है अतः BSES की यह पूरी प्रक्रिया यूरोपीय मानकों पर बेस्ड है। इन मानदंडों के अंतर्गत वाहन निर्माता कंपनियों को बीएसईएस द्वारा निर्धारित उत्सर्जन परीक्षण के अनुकूल ही इंजन बनाने की इजाजत होती है।
वहीं तेल कंपनियों से कम सल्फर सामग्री सुनिश्चित करने के लिए ईंधन की गुणवत्ता को बढ़ाने की उम्मीद की जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि BS ’का संक्षिप्त नाम भारत स्टेज है और यह विशेष उत्सर्जन मानदंडों के पुनरावृत्ति को निर्धारित करता है। भारतीय उत्सर्जन मानक यूरोपीय मानकों की तर्ज पर आधारित हैं, जिन्हें आमतौर पर यूरो 2, यूरो 3 और इसी तरह से जाना जाता है। मुनिकर इंडिया 2000 के साथ पहला नियम 2000 में पेश किया गया था, तथा दूसरा और तीसरा पुनरावृति 2001 और 2005 में मुनिकर BS2 और BS3 के साथ शुरू किया गया था।
चौथा पुनरावृत्ति BS4 2017 में पेश किया गया था और BS3 और BS4 की शुरूआत के बीच देरी के परिणामस्वरूप BSV या BS5 मानदंडों के बजाय BSVI या BS6 उत्सर्जन को तेजी से प्रभाव में लाया गया। जिसके उपरांत भारत सरकार ने ये घोषणा कि की बीएस 5 में कदम रखने के बजाय वे सीधे बीएस 6 से शुरू करेंगे। यहां पर एक के बाद एक प्रभाव में लाए गए प्रत्येक उत्सर्जन मानदंड अपनी पिछली पीढ़ी की तुलना में कहीं सख्त उत्सर्जन मानक के तौर पर शामिल किए गए।
BS4 नॉर्म्स क्या होते हैं
BS4 नॉर्म्स को 2017 में लागू किया गया था और पिछले BS3 मानदंडों की तुलना में इस उत्सर्जन मानदंड के नियम कहीं ज्यादा सख्त थे। जिसके लागू होने के पश्चात एक रिपोर्ट के आधार पर सामने आए तथ्य के अनुसार इससे ईंधन में सल्फर सामग्री और नाइट्रोजन ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और पार्टिकुलेट मैटर में भारी कमी होती देखी गई। BS4 मानदंडों के अनुसार, पेट्रोल से चलने वाले घरेलू वाहनों से पैदा होने वाला वायु प्रदूषण 1.0 g प्रति किलोमीटर के कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन और 0.18 g प्रति km के हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड के डिस्चार्ज और 0.025 के श्वसन योग्य सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर डिस्चार्ज तक ही सीमित हो चुका था।
BS6 नॉर्म्स क्या होता है
इसे एक अप्रैल 2020 को लागू किया गया था। BS6 उत्सर्जन मानदंड के अंतर्गत एक पेट्रोल वाहन से नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन की अधिकतम अनुमानित सीमा 60mg प्रति किमी निर्धारित है। जबकि BS4 मानदंडों के अनुसार, यह 80mg प्रति किमी थी। वहीं आपको बता दे पेट्रोल वाहनों के लिए पीएम की सीमा 4.5 मिलीग्राम प्रति किमी से कम है, जबकि डीजल ईंधन वाले वाहनों के लिए, बीएस 6 मानकों के तहत एनओएक्स उत्सर्जन की सीमा 80 मिलीग्राम प्रति किमी ही निर्धारित की गई है। तुलना के अनुसार BS6 ने सामान्य से ऊपर की सीमा 250 mg प्रति किमी निर्धारित की थी। इससे नई इंजन प्रौद्योगिकियों और निकास प्रणालियों का विकास हुआ है जो अधिक कुशल और स्वच्छ स्वक्ष पर्यावरण के निर्माण में मदद मिलेगी।
डीजल वाहनों के लिए क्या है मानदंड
डीजल वाहनों के लिए निर्धारित उत्सर्जन मानदंड की बात करें तो BS6 मानदंड के अनुरूप डीजल और पेट्रोल दोनों वाहनों के लिए पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर की सीमा 4.5 मिलीग्राम प्रति किमी रखी गई है जो पहले बीएस 4 मानकों के तहत डीजल वाहनों के लिए 25 मिलीग्राम प्रति किमी निर्धारित की गई थी। BS4 मानदंडों ने समान डीजल वाहन के लिए हाइड्रोकार्बन + NOx उत्सर्जन 250 mg प्रति किमी निर्धारित की गई थी जबकि BS6 मानदंड के अनुरूप हाइड्रोकार्बन + NOx उत्सर्जन को 170 mg प्रति किमी निर्धारित किया गया हैं। तुलनात्मक दृष्टि से BS4 मानदंडों के तहत निर्धारित 300 mg प्रति किलोग्राम की अपेक्षा अब नए उत्सर्जन मानदंड के लागू होने के बाद इसमें भारी कमी आई है।