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E- Challan Scam: ई-चालान साइबर ठगों का एक नया हथकंडा, लोग हो रहे शिकार, बरते ये सावधानियां

E- Challan Scam: ई-चालान के नाम पर साइबर ठगी की घटनाओं में निरंतर वृद्धि आती जा रही है। इस नए जाल में फासंकर साइबर ठग ई-चालान से जुड़े मैसेज भेजकर आसानी से धन उगाही कर रहें हैं।

Jyotsna Singh
Published on: 20 July 2024 7:17 PM IST
E- Challan Scam
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E- Challan Scam

E- Challan Scam: डिजिटल क्रांति के साथ ही साथ साइबर फ्रॉड जैसी एक बड़ी चुनौती आकर सामने खड़ी हो चुकी है। जिससे निपटने के लिए साइबर सुरक्षा सेल बड़ी-बड़ी कोशिशें और नई तकनीकों को शामिल कर रही है लेकिन स्कैमर्स हर बार कुछ नया हथकंडा अपना कर लोगों को लंबा चूना लगा रहें हैं। इसी कड़ी में पिछले कुछ समय में ई-चालान के नाम पर साइबर ठगी की घटनाओं में निरंतर वृद्धि आती जा रही है। इस नए जाल में फासंकर साइबर ठग ई-चालान से जुड़े मैसेज भेजकर आसानी से धन उगाही कर रहें हैं। इस तरह के साइबर फ्रॉड से खुद को सुरक्षित रखने के लिए थोड़ा सचेत होने की जरूरत है।

जिसमें फांसने का आपका अपना मोबाइल ही एक बहुत बड़ा जरिया होता है। अगर आपके व्हाट्सएप पर, टैक्स पर या ईमेल पर ई-चालान का मैसेज आता है तो पेमेंट करने से पहले उसे मैसेज की ठीक तरह से पड़ताल करने की जरूरत होती है। जल्दबाजी में पेमेंट करने से आप साइबर ठगी का शिकार हो सकते हैं। क्योंकि यह एक हैकर्स द्वारा बिछाया गया जाल भी हो सकता है। बात करते हैं ई चालान की तो ई-चालान असल में एक डिजिटल दस्तावेज़ है जो ट्रैफ़िक नियमों का उल्लंघन करने पर आपको चुकाए जाने वाले जुर्माने को दर्शाता है। ट्रैफ़िक पुलिस अधिकारी स्वाइपिंग मशीन के ज़रिए चालान प्रिंट कर सकता है और उसे मौके पर ही ट्रैफ़िक उल्लंघनकर्ता को सौंप सकता है।


Android यूजर्स को टारगेट कर रहा Maorrisbot

साइबर ठग ई-चालान के नाम पर Android यूजर्स को अपना निशाना बना रहे हैं। भारत में Maorrisbot नामक एक नया साइबर सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती बन चुका है। साइबर खतरों, डेटा लीक, ब्रांड उल्लंघन और पहचान की चोरी का पता लगाने वाली कंपनी CloudSEK की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब साइबर क्रिमिनल्स व्हाट्सएप को अपना ठगी का आसान जरिया बना लिया है। इस प्लेटफार्म पर लोगों को फर्जी ट्रैफिक चालान भेज कर उनसे पैसे वसूले जा रहें हैं। माना जा रहा है कि इस तरह की ठगी को अंजाम देने में वियतनाम के हैकर्स का सीधा हाथ है। जिसमें व्हाट्सएप पर एंड्रॉयड यूजर्स को ई-चालान के नाम पर एक मैसेज भेजा जा रहा है। इस मैसेज में वाहन परिवहन की एक फेक फाइल भेजी जा रही है और मैसेज में लिखा जा रहा है कि आपने ट्रैफिक के नियमों का उल्लंघन किया है।लेकिन अगर आपने सावधानी पूर्वक उस मैसेज को परखने की कोशिश की ओर इसका मिलान ओरिजिनल टैक्स के फॉर्मेट से किया तो आप इन दोनों के बीच के अंतर को समझ सकेंगे।


कर्नाटक और गुजरात बने साइबर ठगों का पहला निशाना

इस स्कैम अब तक अपना बड़ा नेटवर्क बिछाकर पूरे भारत के हजारों यूजर्स को शिकार बनाया है। ये ठग अपनी पहचान छिपाने लिए ये स्कैमर्स एक फर्जी प्रॉक्सी से पहले आईपी का इस्तेमाल करते हैं। ठगी के सबसे ज्यादा मामलो में गुजरात का नाम इस तरह के हमले के शिकार होने वाले राज्यों में सबसे ऊपर आता है। कहीं दूसरे नंबर पर कर्नाटक का नाम है। फर्जी ईचालान करने के लिए स्कैमर्स अपने शिकार को एक एपीके लिंक भेजते हैं। फिर उससे लिंक पर क्लिक करने के बाद यूजर्स को फोन में एक ऐप डाउनलोड करने को कहा जाता है। जिसके बाद आपसे कॉन्टैक्ट, फोन कॉल, मैसेज को ओपन करने के लिए एक्सेस मांगी जाती है। तो यह एपीके (एंड्रॉइड एप्लिकेशन पैकेज) डाउनलोड करने का संकेत देते हैं। जैसे ही कोई यूजर मैसेज के साथ आई एपीके फाइल पर क्लिक करता है तो उसके फोन में Maorrisbot डाउनलोड हो जाता है।आप अगर उसके जाल में फसकर ऐसा कर देते हैं तो आप बड़ी आसानी से साइबर ठग का शिकार बन जाएंगे। यह स्कैमर एक मैलवेयर Wromba परिवार का हिस्सा है, जिसने अब तक करीब 4400 से भी ज्यादा डिवाइस को नुकसान पहुंचाया है।


ये बरते सावधानियां

स्कैमर से बचने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप अपने डिवाइस पर एंटीवायरस और एंटी-मैलवेयर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें। साथ ही साथ गैर जरूरी ऐप को अपने डिवाइस से हटा दें और ऐप परमिशन की लिमिट भी मिनिमाइज कर दें। अनवैरिफाइड ऐप्स, फिशिंग को लेकर सदैव सचेत रहें और अपने सर्कल में जितने लोग हों उन्हें भी इस बारे में अवगत करवाएं। फोन में सबसे सुरक्षित डाउन लोडिंग ऐप Google Play Store से ही ऐप्स डाउनलोड करें। हमेशा अपने डिवाइस का ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप्स अपडेटेड रखें।बैंकिंग से संबंधित या वित्तीय आदान प्रदान से संबंधित अन्य संवेदनशील सेवाओं के लिए डिवाइस में अलर्ट सेट को शामिल करें। किसी भी संदिग्ध एसएमएस या मेल की जानकारी हासिल करने के लिए टूल का इस्तेमाल करें।



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Shalini singh

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