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EV Sector Job Opening: आने वाले समय में ईवी उद्योग देगा ढेरों नौकरियों की सौगात
EV Sector Job Opening: सरकार के 2030 तक कुल वाहनों में इलेक्ट्रिकल वाहनों (ईवी) की स्वीकार्यता को 30 प्रतिशत के लप्य तक पहुंचाने के लिए भारतीय वाहन उद्योग को उस समय तक दो लाख कुशल लोगों की आवश्यकता होगी
EV Sector Job Opening: देश में ईवी स्कूटरों के प्रति बढ़ते आकर्षण को देखते हुए आने वाले समय में इस क्षेत्र में हजारों नौकरियां निकलेगी। 2030 से 2050 तक इस क्षेत्र में बड़ी क्रांति आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। सरकार के 2030 तक कुल वाहनों में इलेक्ट्रिकल वाहनों (ईवी) की स्वीकार्यता को 30 प्रतिशत के लप्य तक पहुंचाने के लिए भारतीय वाहन उद्योग को उस समय तक दो लाख कुशल लोगों की आवश्यकता होगी।
सियाम का कहना है कि सरकार के 2030 तक कुल वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की स्वीकार्यता को 30 प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए भारतीय वाहन उद्योग को उस समय तक 2 लाख कुशल लोगों की आवश्यकता होगी। उद्योग निकाय ने कहा कि कार्यबल को काम पर रखने और प्रशिक्षित करने के लिए कुल 13,552 करोड़ रुपये के प्रतिभा निवेश की उम्मीद है।
क्या कहते हैं सियाम के उपाध्यक्ष शैलेश चंद्र
सियाम के उपाध्यक्ष शैलेश चंद्र ने कहा कि 2030 तक भारत को 30 प्रतिशत ईवी अपनाने के सरकार के मिशन को पूरा करने के लिए विशिष्ट कौशल वाले लगभग एक से दो लाख लोगों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रतिभावान लोगों की जरूरत कार्यालय में काम करने वालों से लेकर कारखाने में काम करने वालों तक होगी।भारतीय वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम ने मंगलवार को यह बात कही। उद्योग निकाय ने कहा कि कार्यबल को काम पर रखने और प्रशिक्षित करने के लिए कुल 13552 करोड़़ रुपये के प्रतिभा निवेश की उम्मीद है।सियाम के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने भारतीय वाहन उद्योग में ईवी से संबंधित कार्यबल को मजबूत बनाने पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा ‘वाहन उद्योग के सामने सबसे बड़़ी बाधाओं में से एक इलेक्ट्रिकल वाहन के लिए कुशल और सक्षम जनशक्ति की कमी है।
अग्रवाल वोल्वो आयशर कमर्शियल व्हीकल लिमिटेड़ के प्रबंध निदेशक और सीईओ भी हैं। उन्होंने कहा कि बैटरी प्रौद्योगिकी संचालित इलेक्ट्रानिक्स और मोटर ड़िजाइन के क्षेत्रों में विशेष रूप से कुशल कामगारों की जरूरत है। उन्होंने कहा ‘वैश्विक रुझानों की गति को बनाए रखने और हमारे वाहन उद्योग को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इस बात की तत्काल आवश्यकता है कि हमारे कार्यबल का कौशल विकास हो। सियाम उपाध्यक्ष शैलेश चंद्र ने कहा कि 2030 तक भारत को 30 प्रतिशत ईवी अपनाने के सरकार के मिशन को पूरा करने के लिए विशिष्ट कौशल वाले दो लाख लोगों की जरूरत है। यह जरूरत कार्यालय में काम करने वालों से लेकर कारखाने में काम करने वालों तक होगी।
वहीं एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ग्रीन एनर्जी यानी हरित ऊर्जा में सबसे अधिक निर्भरता सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जैव ऊर्जा पर होने जा रही है। उद्योगों ने खुद को इन नए विकल्पों में ढालने के लिए समयबद्ध लक्ष्य तय कर इस दिशा में काम भी तेज कर दिया है।
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी बढ़ेंगी रोजगार की क्षमता
विशेषज्ञों का अध्ययन है कि 2050 तक सौर ऊर्जा के क्षेत्र में ही लगभग 32 लाख कुशल कामगारों की आवश्यकता होगी। इसी तरह पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 2030 तक एक लाख 80 हजार, जैव ऊर्जा में दो लाख 70 हजार तो ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर में करीब छह लाख नए रोजगार के अवसर तैयार होने का अनुमान है।उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेजी से लोगों का रुझान बढ़ रहा है। आटोमोबाइल उद्योग इस तकनीक को लेकर काफी गंभीर हैं और नए मॉडल बाजार में उतार रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योग ही 2030 तक एक करोड़ प्रत्यक्ष और पांच करोड़ अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर तैयार कर सकता है।