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Semiconductor Shortage: ऑटोमोबाइल उद्योग पर पड़ रहा वैश्विक सेमीकंडक्टर की कमी का असर, धीमी हो रही वाहनों के निर्माण की चाल
Semiconductor Ki Kami: हाल के वर्षों में वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर की भारी कमी देखने को मिली है, जिसका असर ऑटोमोबाइल उद्योग पर व्यापक रूप से पड़ा है। आइए जानें क्या है इसकी वजह।
Semiconductor Shortage (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Global Semiconductor Shortage Impact: 21वीं सदी में ऑटोमोबाइल उद्योग तकनीकी प्रगति के कारण बहुत तेजी से बदल रहा है। वाहनों में डिजिटल कनेक्टिविटी, सेफ्टी फीचर्स और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स की बढ़ती भूमिका के कारण सेमीकंडक्टर की मांग भी बढ़ी है। हालांकि, हाल के वर्षों में वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर की भारी कमी देखने को मिली है, जिसका असर ऑटोमोबाइल उद्योग (Automobile Industry) पर व्यापक रूप से पड़ा है। आइए जानते हैं सेमीकंडक्टर की कमी के कारण ऑटोउद्योग पर पड़ रहे प्रभाव और इससे निपटने के संभावित समाधान के बारे में विस्तार से:-
सेमीकंडक्टर क्या है और इनकी जरूरत क्यों बढ़ रही है?
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
सेमीकंडक्टर एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट है, जिसका उपयोग वाहनों में इंजन कंट्रोल यूनिट (ECU), इंफोटेनमेंट सिस्टम, ऑटोमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम, ADAS (Advanced Driver Assistance Systems), और बैटरी प्रबंधन सहित कई तकनीकी प्रणालियों में किया जाता है। आधुनिक कारों में लगभग 1,500 से 3,000 सेमीकंडक्टर चिप्स का उपयोग होता है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में इनकी संख्या और भी अधिक होती है।
वैश्विक सेमीकंडक्टर की कमी के कारण (Global Semiconductor Shortage Reason)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
1. COVID-19 महामारी का प्रभाव
वैश्विक सेमीकंडक्टर की कमी के पीछे कई कारण हैं जिसमें से मुख्य तौर पर 2020 में COVID-19 महामारी के कारण कई सेमीकंडक्टर उत्पादन इकाइयां अस्थायी रूप से बंद हो गईं थीं। लॉकडाउन के दौरान लोगों की डिजिटल डिवाइसेस (लैपटॉप, स्मार्टफोन, गेमिंग कंसोल) की मांग तेजी से बढ़ी, जिससे चिप्स की सप्लाई इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की ओर चली गई। इसके परिणामस्वरूप, ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए सेमीकंडक्टर की कमी हो गई।
2. उत्पादन केंद्रों पर आपूर्ति बाधाएं
सेमीकंडक्टर उत्पादन मुख्य रूप से ताइवान, दक्षिण कोरिया, चीन और अमेरिका में केंद्रित है।
ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) और सैमसंग दुनिया के दो सबसे बड़े सेमीकंडक्टर निर्माता हैं, जिनका वैश्विक बाजार में 70% से अधिक योगदान है।
इन देशों में प्राकृतिक आपदाएं (जैसे ताइवान में सूखा) और आपूर्ति श्रृंखला में समस्याएं उत्पन्न हुईं, जिससे उत्पादन बाधित हुआ।
3. रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव
यूक्रेन वैश्विक नियोन गैस उत्पादन का लगभग 50% आपूर्ति करता है, जो सेमीकंडक्टर निर्माण में उपयोग होता है। युद्ध के कारण नियोन और अन्य महत्वपूर्ण सामग्री की आपूर्ति बाधित हुई, जिससे सेमीकंडक्टर निर्माण धीमा हो गया।
4. अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और प्रतिबंध
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण चिप्स और सेमीकंडक्टर उत्पादन पर प्रतिबंध लगाए गए, जिससे आपूर्ति प्रभावित हुई।
अमेरिका ने कई चीनी कंपनियों पर निर्यात प्रतिबंध लगाए, जिससे वैश्विक चिप उत्पादन पर असर पड़ा।
5. इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग
इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में पारंपरिक पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में अधिक सेमीकंडक्टर की आवश्यकता होती है। कई ऑटोमोबाइल कंपनियां EVs के उत्पादन में तेजी ला रही हैं, जिससे चिप्स की मांग और अधिक बढ़ गई है।
सेमीकंडक्टर की कमी का ऑटोमोबाइल उद्योग पर प्रभाव (Semiconductor Shortage Impact On Automobile Industry)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
1. वाहन उत्पादन में देरी
सेमीकंडक्टर की कमी के कारण प्रमुख वाहन निर्माता कंपनियां जैसे कि मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, महिंद्रा, फोर्ड, जनरल मोटर्स और वोल्वो को अपने उत्पादन को सीमित करना पड़ा। कई कंपनियों ने अपने उत्पादन प्लांट्स को अस्थायी रूप से बंद कर दिया या उनकी उत्पादन क्षमता को घटा दिया।
2. वाहनों की डिलीवरी में देरी
भारत सहित कई देशों में नए वाहनों की डिलीवरी में देरी हो रही है। ग्राहक जो नए वाहन बुक कर रहे हैं, उन्हें 6 महीने से लेकर 1 साल तक का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
हाई-टेक फीचर्स वाली कारों की डिलीवरी पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है क्योंकि इनमें चिप्स की अधिक जरूरत होती है।
3. वाहनों की कीमतों में वृद्धि
सेमीकंडक्टर की कमी से उत्पादन लागत बढ़ गई, जिससे वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई। भारत में कई कंपनियों ने 2021-2023 के बीच 5 से 10 बार कीमतें बढ़ाईं हैं।
4. सेकेंड-हैंड कार बाजार में उछाल
नए वाहनों की उपलब्धता में कमी के कारण सेकेंड-हैंड कार बाजार की मांग तेजी से बढ़ी।
ग्राहकों ने लंबा इंतजार करने के बजाय पुराने वाहनों की ओर रुख किया, जिससे उनकी कीमतों में भी इजाफा हुआ।
5. नई टेक्नोलॉजी और फीचर्स पर असर
कई कंपनियां वाहनों से नॉन-एसेंशियल टेक्नोलॉजी (जैसे डिजिटल डिस्प्ले, एडवांस्ड इंफोटेनमेंट सिस्टम) को अस्थायी रूप से हटा रही हैं। कई कंपनियों ने सेमीकंडक्टर की कम खपत वाली तकनीकों का उपयोग करना शुरू कर दिया है।
कमी से निपटने के लिए उठाए गए कदम
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
इस तरह से सेमीकंडक्टर की कमी से निपटने के लिए उद्योग द्वारा कई तरह के कदम उठाए गए हैं जो कि इस प्रकार हैं:-
1. वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की खोज
कंपनियां नई सेमीकंडक्टर आपूर्ति स्रोत खोज रही हैं और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं।
भारत सरकार सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए PLI (Production Linked Incentive) योजना के तहत निवेश को आकर्षित कर रही है।
2. चिप निर्माण संयंत्रों में निवेश
दुनिया भर में सेमीकंडक्टर कंपनियां अपने उत्पादन संयंत्रों का विस्तार कर रही हैं।
भारत, अमेरिका, और यूरोप में नए चिप निर्माण संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।
3. वाहन डिजाइन में बदलाव
कई कंपनियां अब ऐसे डिजाइन पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं जिसमें कम सेमीकंडक्टर की आवश्यकता हो।
बेस वेरिएंट मॉडल्स में कम डिजिटल फीचर्स दिए जा रहे हैं।
4. सरकारी पहल और निवेश
भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 76,000 करोड़ रुपये की निवेश योजना की घोषणा की है।
भारत में माइक्रोचिप मैन्युफैक्चरिंग के लिए वेदांत और टाटा ग्रुप जैसी कंपनियां आगे आई हैं। सेमीकंडक्टर की कमी ने वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। वाहन उत्पादन में देरी, कीमतों में वृद्धि और तकनीकी नवाचारों पर असर पड़ा है। हालांकि, सरकार और कंपनियां इस संकट से निपटने के लिए नए उपाय अपना रही हैं, जिससे आने वाले वर्षों में स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। भविष्य में, स्थानीय उत्पादन बढ़ाने, सप्लाई चेन को मजबूत करने और नए तकनीकी समाधानों को अपनाने से ऑटोमोबाइल उद्योग को इस संकट से उबरने में मदद मिलेगी।