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Automobile News: अब चलेंगे प्रेशर हॉर्न के बिना साइलेंसर वाले दोपहिया वाहनों, हाईकोर्ट का निर्देश
Automobile News: वायु प्रदूषण के साथ ही साथ ध्वनि प्रदूषण की समस्या भी हमारे सामने एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आकर खड़ी है। इस समस्या से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सख्त आदेश पारित कर दिया है।
Automobile News: वायु प्रदूषण के साथ ही साथ ध्वनि प्रदूषण की समस्या भी हमारे सामने एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आकर खड़ी है। इस समस्या से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सख्त आदेश पारित कर दिया है। जिसके अंतर्गत हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को प्रेशर हॉर्न के इस्तेमाल और बिना साइलेंसर वाले दोपहिया वाहनों को चलाने पर नकेल कसने और कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश पारित किया है।
आइए जानते हैं विस्तार से-
20 नवंबर को अगली सुनवाई तक पेश करना होगा विस्तृत हलफनामा
अदालत ने मुख्य सचिव को 20 नवंबर को अगली सुनवाई तक प्रेशर हॉर्न और बिना साइलेंसर वाले दोपहिया वाहनों से बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए राज्य मशीनरी द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए पाए जाने वाले दोषियों को सबक सिखाने के लिए कानूनन कड़ी से कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
उठाए गए कदम पर चर्चा के लिए हुई एक बैठक
29 सितंबर को उच्च न्यायालय के आदेश के अंतर्गत मे मुख्य सचिव ने एक प्रश्न पेश किया, जिसमें बताया गया कि 4 अक्तूबर को डीजीपी, सभी संभागीय आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, जिला मजिस्ट्रेट और छत्तीसगढ़ के सभी एसपी के साथ ध्वनि प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदम पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई गई।
ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले नियमों और विनियमों की हुई अनदेखी
ध्वनि प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए निर्धारित मानकों को उद्देश्य के अनुसार लागू करने में ढिलाई बरती गई है और संबंधित अधिकारियों ने लाउडस्पीकर, प्रेशर हॉर्न, म्यूजिकल हॉर्न और साउंड एम्पलीफायरों से पैदा होने वाले ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले नियमों और विनियमों के बारे में जानकारी होने के बावजूद उसे लगातार नज़रंदाज़ किया गया है। छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदनों की सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश एन.के. चंद्रवंशी की खंडपीठ ने कहा कि अदालत ने राज्य भर में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न आदेश जारी किए हैं। हालांकि, इन उपायों को उद्देश्य के अनुसार लागू नहीं किया गया है और संबंधित अधिकारियों ने लाउडस्पीकर, प्रेशर हॉर्न, म्यूजिकल हॉर्न और साउंड एम्पलीफायरों से पैदा होने वाले ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले नियमों और विनियमों के बारे में जानकारी होने के बावजूद, ढीला रवैया अपनाया।खंडपीठ ने टिप्पणी की कि ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए नियमों और विनियमों के अस्तित्व के बावजूद, राज्य मशीनरी द्वारा विशेष रूप से त्योहारी सीजन के दौरान बहुत ज्यादा मामलों में अनदेखी की गई।
ध्वनि प्रदूषण के कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा समाज
अदालत ने 29 सितंबर, 2023 को समाचार पत्रों में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें ध्वनि प्रदूषण के कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित क्षेत्रों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों, बुजुर्गों, बच्चों और निवासियों को होने वाली समस्यायों को प्रमुखता के साथ उठाया गया था। कोर्ट की दखलंदाजी के बाद राज्य मशीनरी ने इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाया है। इसी के साथ इस समस्या को एक हस्तक्षेप याचिका के जरिए अदालत के सम्मुख प्रस्तुत किया गया कि सड़क पर यात्रा करते समय नागरिकों के लिए ध्वनि से प्रदूषण एक भयावाह रूप धारण कर चुका है।प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल और हाई स्पीड पर साइलेंसर के बिना मोटरसाइकिलों का चलना जारी है। जिसके चलते स्वास्थ से जुड़ी गंभीर बीमारियां जन्म लें रहीं हैं और साथ में दुर्घटनाएं भी बनी रहती है।