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Electric Vehicles: मेक इन इंडिया नीति के तहत अब अपने देश में निर्मित होंगे इलेक्ट्रिक वाहन, सरकार देगी बढ़ावा
Electric Vehicles: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सुधार के लिए इलेक्ट्रिक वाहन एक बड़ा घटक साबित हुए हैं। इसी के साथ अब सरकार 2030 तक अपने टोटल इलेक्ट्रिक के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में इलेक्ट्रिक वाहनों के होम प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए योजना तैयार कर रही है।
Electric Vehicles: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सुधार के लिए इलेक्ट्रिक वाहन एक बड़ा घटक साबित हुए हैं। इसी के साथ अब सरकार 2030 तक अपने टोटल इलेक्ट्रिक के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में इलेक्ट्रिक वाहनों के होम प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए योजना तैयार कर रही है। जिसके अंतर्गत इलेक्ट्रिक कारों के स्थानीय मैन्युफेक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार की जा रही नीति का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों को कम करना एवं इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए ज्यादा से ज्यादा संभावनाओं के अवसर प्रदान करना है। इलेक्ट्रिक वाहनों के होम प्रोडक्शन से ग्राहकों के लिए ये वाहन रियायती मूल्य में उपलब्ध होने के साथ-साथ उद्योग के बढ़ने के साथ लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी मुहैया होंगें। यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब टेस्ला और विनफास्ट जैसे कई विदेशी कार निर्माता कंपनियां और साथ ही घरेलू वाहन निर्माता कम्पनियां जैसे मारुति सुजुकी, ह्यूंदै मोटर इंडिया, किआ, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) भारतीय बाजार में कई इलेक्ट्रिक वाहन लाने पर विचार कर रहे हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों के स्थानीय निर्माण पर मिलेगी सब्सिडी
संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने जिन कंपनियों द्वारा किए गए निवेश से देश में चार पहिया वाहनों का उत्पादन होगा उन वाहन निर्माताओं को सब्सिडी देने की एक योजना बनाने के लिए चर्चा शुरू कर दी है। इस दिशा में यह स्पष्ट कर देना जरूरी है कि इलेक्ट्रिक वाहनों में सब्सिडी के लिए बनाए गए FAME II मानकों के विपरीत तैयार की जा रही सब्सिडी की नई नीति उपभोक्ताओं को दी जाने वाली अग्रिम सब्सिडी है, यह एक मैन्युफेक्चरिंग इंसेंटिव के तौर पर मान्य होगी।"
इंसेंटिव को बढ़ाने पर कर रही विचार
केंद्र सरकार इस योजना के लिए परिव्यय पर विचार कर रही है। सरकार स्थानीय स्तर पर इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए ऑटो मेकर कंपनियों द्वारा किए गए निवेश से जुड़े इंसेंटिव में वृद्धि किए जाने के प्रस्ताव पर अपना मन बना रही है। योजना के तहत लाभ हासिल करने के लिए कार निर्माताओं द्वारा किए जाने वाले आवश्यक निवेश की सीमा निर्धारित करने के लिए परामर्श आयोजित किए जा रहे हैं क्योंकि केंद्र इस योजना के लिए परिव्यय पर विचार कर रहा है।
क्या कहते हैं वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल
उन्होंने कहा, "मैंने कई विदेशी ऑटो उद्योग प्रतिभागियों से इस विषय में चर्चा की। ये विदेशी कंपनियां भारत में अपने प्रोडक्शन यूनिट को स्थापित करने में रुचि दिखा रहीं हैं। जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि हमारी प्रोडक्शन नीति ईवी के भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगी।"
पिछले महीने, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि कुछ ऑटोमोबाइल उद्योग प्रतिभागियों ने भी भारत आने में रुचि व्यक्त की है, उद्योग में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए "सब कुछ समान रूप से किया जाएगा।" उन्होंने कहा, "मैंने कुछ अन्य ऑटो उद्योग प्रतिभागियों के साथ बातचीत की और उन्हें भारत आने में रुचि है। इसलिए, मुझे विश्वास है कि यह (ईवी) भविष्य है।"