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Maruti Suzuki Price Hike: मारुति सुजुकी द्वारा कारों की कीमतों में वृद्धि की तैयारी, जानिए इसकी वजह

Maruti Suzuki Cars Price Hike: मारुति सुजुकी ने आधिकारिक बयान में कहा कि कच्चे माल की लागत में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, और अन्य परिचालन खर्चों में बढ़ोतरी के कारण उन्हें अपने वाहनों की कीमतें बढ़ानी पड़ रही हैं...

Jyotsna Singh
Published on: 18 March 2025 6:07 PM IST
Maruti Suzuki Cars Price Increase in Aprail 2025
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Maruti Suzuki Cars Price Increase in Aprail 2025 

Maruti Suzuki Cars Price Hike: भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (MSIL) ने हाल ही में घोषणा की है कि वह अप्रैल 2025 से अपने वाहनों की कीमतों में 4% तक की वृद्धि करेगी। यह वृद्धि कंपनी द्वारा इस वित्तीय वर्ष में की गई तीसरी मूल्य वृद्धि होगी। इससे पहले, जनवरी 2025 और फरवरी 2025 में भी मारुति सुजुकी ने अपने विभिन्न मॉडलों की कीमतों में वृद्धि की थी। आइए जानते हैं कंपनी द्वारा इस मूल्य वृद्धि के पीछे के कारणों, इसके उपभोक्ताओं और उद्योग पर प्रभाव, और भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में संभावित भविष्य के रुझानों के बारे में विस्तार से...

मारुति सुजुकी द्वारा मूल्य वृद्धि का निर्णय

मारुति सुजुकी ने आधिकारिक बयान में कहा कि कच्चे माल की लागत में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, और अन्य परिचालन खर्चों में बढ़ोतरी के कारण उन्हें अपने वाहनों की कीमतें बढ़ानी पड़ रही हैं। कंपनी ने यह भी उल्लेख किया कि विभिन्न मॉडल्स पर अलग-अलग दरों से कीमतें बढ़ेंगी, जो बाजार की मांग और उत्पादन लागत पर निर्भर करेगा।

इस वित्तीय वर्ष में अब तक की मूल्य वृद्धि

  1. जनवरी 2025: मारुति सुजुकी ने अपने वाहनों की कीमतों में 4% तक की वृद्धि की थी।
  2. फरवरी 2025: कंपनी ने कुछ विशेष मॉडलों की कीमतों में ₹1,500 से ₹32,500 तक की बढ़ोतरी की थी।
  3. अप्रैल 2025: अब, एक बार फिर, कीमतों में 4% तक की वृद्धि होने जा रही है।

मूल्य वृद्धि के प्रमुख कारण

1.कच्चे माल की लागत में वृद्धि

कार निर्माण के लिए स्टील, एल्यूमीनियम, तांबा और प्लास्टिक जैसे कच्चे माल की आवश्यकता होती है। पिछले कुछ वर्षों में, वैश्विक स्तर पर इन सामग्रियों की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है।

  1. स्टील की बढ़ती कीमतें (₹60,000 प्रति टन से अधिक)
  2. एल्यूमीनियम और तांबे की कीमतों में वृद्धि
  3. इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और बैटरियों की ऊंची लागत

इन बढ़ी हुई लागतों का प्रभाव सीधे कार निर्माताओं पर पड़ता है, जिससे वे अपने वाहनों की कीमतों में वृद्धि करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

2.वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान

कोविड-19 महामारी के बाद से अर्धचालकों (Semiconductors) की कमी, रसद लागत में वृद्धि, और वैश्विक व्यापार मार्गों में रुकावटों के कारण ऑटोमोबाइल सेक्टर प्रभावित हुआ है।

  1. शिपिंग और लॉजिस्टिक्स की बढ़ी हुई लागत
  2. चीन और अन्य देशों में उत्पादन क्षमता में गिरावट
  3. अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों में तनाव

3. रुपये का अवमूल्यन और आयात शुल्क में वृद्धि

भारत में अधिकांश ऑटोमोबाइल कंपनियां कुछ महत्वपूर्ण पुर्जे और तकनीकें विदेशी बाजारों से आयात करती हैं।

  1. रुपये के डॉलर के मुकाबले कमजोर होने से आयातित सामान महंगा हो जाता है।
  2. सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों पर नए टैक्स लगाए जाने से भी ऑटोमोबाइल कंपनियों को कीमतें बढ़ानी पड़ी हैं।

4.नई सुरक्षा और उत्सर्जन नियम

भारत सरकार ने हाल ही में BS6 फेज़ 2 उत्सर्जन मानकों को लागू किया है, जिससे कंपनियों को अपने इंजनों और उत्सर्जन सिस्टम में बदलाव करने पड़े हैं। जिसमें BS6 मानकों के चलते इंजनों की उत्पादन लागत बढ़ी है साथ ही सुरक्षा मानकों के अनुसार एयरबैग और अन्य सुरक्षा फीचर्स को जोड़ना अनिवार्य हुआ है।

5.ब्याज दरों में वृद्धि और वित्तीय लागत

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने के कारण कार ऋण महंगे हो गए हैं, जिससे नई कारों की बिक्री प्रभावित हो रही है।

मूल्य वृद्धि का उपभोक्ताओं पर प्रभाव

1. नई कारों की मांग में गिरावट

कार की कीमतें बढ़ने से मध्यमवर्गीय ग्राहकों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। वे या तो नई कार खरीदने का फैसला टाल सकते हैं या सस्ते विकल्पों की तलाश कर सकते हैं।

2. पुरानी कारों का बाजार मजबूत होगा

नई कारें महंगी होने से अधिक ग्राहक सेकंड-हैंड कार बाजार की ओर रुख करेंगे।

3 ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) सेगमेंट को बढ़ावा मिल सकता है

पेट्रोल और डीजल कारों की कीमतों में वृद्धि से ग्राहक इलेक्ट्रिक वाहनों को एक बेहतर विकल्प मान सकते हैं, जिससे EV उद्योग को फायदा होगा।

ऑटोमोबाइल उद्योग पर प्रभाव

1.अन्य कंपनियों की रणनीति

मारुति सुजुकी के बाद अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियां भी मूल्य वृद्धि की घोषणा कर सकती हैं।

हुंडई मोटर इंडिया: जनवरी 2025 में कीमतों में ₹25,000 तक की वृद्धि कर चुकी है।

टाटा मोटर्स: जनवरी 2025 में 3% तक की बढ़ोतरी कर चुकी है।

2.बिक्री में कमी का खतरा

ऑटोमोबाइल कंपनियों को कीमतें बढ़ाने के बावजूद बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए नए ऑफर्स और डिस्काउंट देने पड़ सकते हैं।

डीलरशिप पर असर

कीमतें बढ़ने से कारों की बिक्री धीमी हो सकती है, जिससे डीलर्स को अपने इन्वेंटरी पर अधिक समय तक कारें रखनी पड़ सकती हैं।

भविष्य की संभावनाएं

1. ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहन

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ रही है, और यह ट्रेंड भविष्य में और तेज़ हो सकता है। मारुति सुजुकी भी 2025 तक अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करने की योजना बना रही है।

2. ऑटो फाइनेंस और लीज़िंग में वृद्धि

नई कारों की कीमतें बढ़ने से लोग कार लीजिंग और ईएमआई योजनाओं की ओर आकर्षित हो सकते हैं।

3. डिजिटल बिक्री और ऑनलाइन कार खरीद

ऑटोमोबाइल कंपनियां अब ऑनलाइन बिक्री प्लेटफार्म को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे ग्राहकों के लिए खरीदारी आसान हो जाएगी। मारुति सुजुकी द्वारा कीमतों में वृद्धि का निर्णय कई आर्थिक, वैश्विक और औद्योगिक कारणों से प्रेरित है। बढ़ती उत्पादन लागत, कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला में समस्याएं, और नए सरकारी नियमों के कारण यह कदम उठाना पड़ा है। हालांकि, इससे मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह उद्योग के लिए आवश्यक था। भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों, डिजिटल बिक्री और वित्तीय योजनाओं के ज़रिए संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। यदि आप नई कार खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो जल्दी निर्णय लेना फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि अप्रैल 2025 के बाद आपको अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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