Electric Vehicles: अब नहीं रहेगा EV में चार्जिंग का झंझट, डायनमो पद्वति से सेल्फ चार्ज होंगें वेहीकल्स, जानिए डिटेल

Electric Vehicles : अंतरराष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठन (आईईई) ने एक नई तकनीक विकसित की है जो इलेक्ट्रिक वाहनों को स्वत: चार्ज करने में मदद कर सकती है। इस तकनीक को 'डायनामिक इंडक्शन चार्जिंग' या 'डायनमो पद्धति से सेल्फ चार्जिंग' के नाम से जाना जाता है।

Jyotsna Singh
Published on: 7 May 2023 12:16 PM GMT
Electric Vehicles: अब नहीं रहेगा EV में चार्जिंग का झंझट, डायनमो पद्वति से सेल्फ चार्ज होंगें वेहीकल्स, जानिए डिटेल
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Okaya Faast F3 Vs Ola S1 Air (social media)

Electric Vehicles : पर्यावरण प्रदूषण पर निर्भरता को खत्म करने के लिए दुनिया भर में युद्ध स्तर पर इस समस्या से निपटने के लिए प्रयास किए जा रहें हैं। सभी राज्य की सरकारें प्रदूषण स्तर में सुधार के लिए तमाम कोशिशों में जुटी हैं। यही वजह है कि ग्रीन एनर्जी की मांग में तेजी आई है और ऑटोमोबाइल मार्केट में इलेक्ट्रिक व्हीकल की एक लंबी रेंज ने अपनी जगह बना ली है। इन इलेक्ट्रिक कारों के साथ जो समस्या आकर खड़ी हो रही है वो है इसकी चार्जिंग की। डीजल या पैट्रोल गाड़ियों में फ्यूल को एक बार फुल करवा कर लॉन्ग रूट पर बिना किसी टेंशन के लंबी यात्रा करना संभव होता है वहीं EV सेगमेंट की गाड़ियों को बार-बार चार्ज करना पड़ता है।

अगर चार्जर मिल भी जाए तो इनके चार्ज होने में लगने वाला घंटों का समय यानी 7से 8 घंटे बिताना बेहद मुश्किल साबित हो सकता है। वहीं दूसरी एक और समस्या चार्जिंग स्टेशंस की है। जिनकी डिमांड के अनुरूप अभी संख्या बेहद कम है। चार्जिंग स्टेशंस की संख्या बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर काम अभी चल है, पर अभी जरूरत के अनुरूप बेहद कम है। इस कड़ी में जर्मनी की कंपनी न्यूट्रिनो एनर्जी क्लीन रिन्यूएबल पावर ने एक बड़ा धमाका किया है। जिसे वह ईंधन के एक बड़े विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। जर्मनी कंपनी अब क्वांटम टेक्नोलॉजी एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इंटीग्रेशन की मदद से एनर्जी पैदा करने का काम कर रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में इस कंपनी ने इंडियन कंपनी स्पेल के साथ समझौता किया है जो सुपरकैपेसिटर बनाने का काम करती है।

इस जर्मन कंपनी न्यूट्रिनो ने एक नई परियोजना के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर ग्रीन एनर्जी डवलपमेंट के लिए 2.5 बिलियन यूरो के निवेश के इन्वेस्टमेंट का भी अनाउंसमेंट कर दिया है। इस तरह की म्यूचुअल साझेदारी के साथ ये दोनो कंपनियां ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक बड़ा बदलाव करने वाली है। यह साझेदारी इलेक्ट्रिक व्हीकलस के चार्जिंग को लेकर आने वाली दिक्कतों से बचने के लिए सेल्फ चार्जिंग इलेक्ट्रिक कार कॉन्सेप्ट पर काम पर रही है।इस तकनीक के साथ तैयार की जा रहीं कारों को पूरी तरह से मार्केट में पेश होने में अभी तीन से चार साल का समय लग सकता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से....

आखिर कैसे काम करती है ये तकनीक

इलेक्ट्रिक व्हीकलस के चार्जिंग को लेकर आने वाली दिक्कतों से बचने के लिए सेल्फ चार्जिंग इलेक्ट्रिक कार कॉन्सेप्ट की इस टेक्नोलॉजी को कार की बैटरी के साथ शामिल किया जाएगा। ये एक डायनमो मतलब एक पावर जेनरेटर की तरह से काम करेगी जो लगातार कार को चार्जिंग देती रहेगी । ऐसा होने से उसको कभी भी एक्सटर्नल चार्जर की जरूरत नहीं पड़ेगी और इस तकनीक के इस्तेमाल से आपकी कार जब भी चल रही होगी तो वो साथ में चार्ज भी हो रही होगी। इस पूरी प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से न केवल स्ट्रक्चरल बिहेवियर को स्टडी किया जाएगा बल्कि उसका पूरा एक पाथ भी तैयार होगा। इस तरह आप कार को लंबी यात्रा पर या ट्रैफिक में कहीं पर भी बिना बैटरी के चार्ज की फिक्र किए अपनी ड्राइव को स्मूथली एंजॉय कर सकेंगे।

हालांकि यह तकनीक इलेक्ट्रॉनिक बाजार के लिए कोई नई नहीं है, बाजार में कई उपकरण इस तकनीक के इस्तमाल के साथ देखें जा सकते हैं। फिलहाल कंपनी इस तकनीक को पूरी तरह से ऑटोमोबाइल मार्केट में लॉन्च करने के बजट पर अपनी योजना बना रही है। इस प्रोजेक्ट पर काम पूरा हो जाने के बाद इस तकनीक से तैयार की गई कारों की कीमत क्या हो सकती है, इस संबंध में अभी तक किसी भी तरह की आधिकारिक जानकारी खुलकर सामने नहीं आ पाई है। लेकिन आटोमेटिव मीडिया में चल रही कुछ चर्चाओं की अगर मानें तो इसे काफी कम दामों में पेश किया जाएगा। कंपनी द्वारा इस सेगमेंट की मार्केटिंग योजना के फलस्वरूप ज्यादा से ज्यादा यूनिट्स को मार्केट में लॉन्च कर उन्हें मार्केट में मौजूद कम मार्जिन पर ही उपलब्‍ध करवाएगी।

Jyotsna Singh

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