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EV पर मोदी सरकार का फोकस, देश की सड़कों पर दौड़ेंगी 10,000 इलेक्ट्रिक बसें, दमघोंटू धुआं से मिलेगी मुक्ति
PM E-Bus Seva: प्रधानमंत्री इलेक्ट्रिक बस सेवा योजना के तहत देश के 100 शहरों में 10 हजार इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होगा। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इसे बड़ा कदम माना जा रहा है।
PM e-bus sewa: पर्यावरण प्रदूषण (Pollution in India) मौजूदा समय में विकराल समस्या बन चुकी है। काफी समय से रफ्तार पकड़ रहीं प्राकृतिक आपदाएं (Natural Disasters) पर्यावरण क्षरण का ही प्रतिफल हैं। मानव जीवन की रक्षा के लिए अब बेहद जरूरी हो चुका है कि पर्यावरण को ज्यादा से ज्यादा संरक्षित किया जाए। इस दिशा में अब वैश्विक पटल पर पुरजोर प्रयास किए जा रहें हैं। जिसके अंतर्गत सबसे ज्यादा बदलाव ऑटो सेक्टर में होता नजर आ रहा है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लगातार काम कर रहीं संस्थाओं द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान हवा में घुल रही जहरीली गैसों से हो रहा है। जिसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार असंख्य वाहनों से निकलने वाला काला धुआं जिम्मेदार है। जिसमें सुधार के लिए अब इलेक्ट्रिक वाहनों को चलन में लाया जा रहा है। वहीं भारत में अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की रेंज में इलेक्ट्रिक बसों (Electric Buses) को संचालित किए जाने पर लंबे समय से कवायद चल रहीं थीं। लेकिन अब इसे भी मंजूरी मिल चुकी है।
मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला, 10000 इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी
अब डीजल से चलने वाली रोडवेज की बसें जो अभी तक पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित कर रहीं थीं, उनको बाहर किया जा रहा है। उनकी जगह अब पर्यावरण अनुकूल इलेक्ट्रिक बसों को लाने की तैयारी की जा रही है। जिसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बीते 16 अगस्त को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और अश्विनी वैष्णव ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कैबिनेट ने पीएम ई-बस सेवा पीएम विश्वकर्मा योजना, रेलवे की सात मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है। देश में हरित आवाजाही को बढ़ाने के लिए ई-बस सेवा के तहत 10,000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद को मंजूरी दे दी गई है।
क्या है पीएम-ई बस सेवा योजना?
पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करने के लिए कार्बन उत्सर्जन करने वाली डीजल इंजन बसों के संचालन को बंद करने के साथ इलेक्ट्रिक नगरीय बस परिवहन सेवा का विस्तार करने एवं उसे सुविधाजनक बनाने और इलेक्ट्रिक आवागमन साधनों को बढ़ावा देने के लिए पीएम-ई बस सेवा (PM-e Bus Service) को मंजूरी दी गई है। इस योजना पर कुल 10 साल में 57,613 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। इसके तहत 10 हजार इलेक्ट्रिक बसों को संचालित करने का निर्णय लिया गया है।
चयनित 100 शहरों को केंद्र सरकार देगी 20000 Cr. रुपए
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को धरातल पर लाने की योजना के तहत केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि इसके लिए केंद्र सरकार 20 हजार करोड़ रुपये देने की घोषणा कर चुकी है, इसी के साथ इस योजना को आगे बढ़ाने में लगने वाली धनराशि का बाकी पैसा राज्यों को देना उनका उत्तरादित्व होगा। जिनमें से पहले 100 शहरों का चयन किया जायेगा। फिलहाल भारत में 3 लाख से 40 लाख की आबादी वाले कुल 169 शहर हैं जिनमें से पहले चयनित 100 शहरों में इस योजना को पूरी तरह फलीभूत करने के लिए तेज़ी से इस दिशा में कदम उठाया जाएगा।
आबादी के हिसाब से मिलेगी बसों की गिनती को मंजूरी
इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को लेकर मिली मंजूरी के साथ ही इस बात का भी खास ख्याल रखा गया है कि किस शहर में कितनी आबादी है, और वहां कितनी ज्यादा इलेक्ट्रिक बसों की अवश्यकता है। इसी क्रम में अब ई-बसें सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत खास चुने गए शहरों में चलाई जायेंगी। क्योंकि इलेक्ट्रिक बसों का निर्माण और फीचर्स शहरी माहौल और उच्च गुणवत्ता वाले मार्गों पर चलने के अनुरूप किया गया है। छोटे बड़े शहरों की आबादी के अनुरूप इसमें 20 लाख से 40 लाख तक आबादी वाले शहरों को सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक बसें दिए जाने का निर्णय लिया गया यानी की कुल 150 बसों का संचालन इस बड़ी आबादी वाले शहरों में किया जाएगा। पांच लाख की आबादी वाले नगरों को 50 बसें दिए जाने का निर्णय किया गया है वहीं पांच लाख से 20 लाख तक आबादी वाले नगरों में 100 बसों को संचालित किया जाएगा।