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Toyota Mirai: पेरिस ओलंपिक में टोयोटा की हाइड्रोजन-चालित मिराई पर पाबंदी लगाने की वैज्ञानिकों ने की अपील
Toyota Mira: पेरिस ओलंपिक आयोजकों से आग्रह किया गया है कि वे टोयोटा की हाइड्रोजन-चालित मिराई को ओलम्पिक खेलों के आधिकारिक वाहन के रूप में प्रतिबंधित कर दें
Toyota Mirai: पर्यावरण अनुकूल ईंधन विकल्पों से लैस वाहनों को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहे हैं। इस दिशा में सीएनजी और इलेक्ट्रिक विकल्पों के अलावा हाइड्रोजन और मिथेन, प्राकृतिक गैस एलएनजी यानी मुख्य रूप से मीथेन , सीएच 4 , इथेन , सी 2 एच 6 के कुछ मिश्रण से लैस ईधन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। एलएनजी का इस्तेमाल समुद्री परिवहन के लिए किया जाता है। इन सारे विकल्पों से जुड़ी समय-समय पर विपरीत प्रतिक्रियाएं भी मिलती रहती हैं। जिनमें से हाइड्रोजन चलित टोयोटा की मिराई कर को लेकर हाल ही में आपत्ती सामने आई है। जिसके इस्तेमाल को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए 120 वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और इंजीनियरों के एक समूह ने एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें पेरिस ओलंपिक आयोजकों से आग्रह किया गया है कि वे टोयोटा की हाइड्रोजन-चालित मिराई को ओलम्पिक खेलों के आधिकारिक वाहन के रूप में प्रतिबंधित कर दें। आइए जानते हैं इस तर्क के पीछे की क्या है मूल वजह.
टोयोटा की मिराई को ओलंपिक खेलों में इस्तेमाल से इसलिए किया जा रहा किनारे
टोयोटा की मिराई कार को लेकर वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और इंजीनियरों के एक समूह का तर्क है कि यह विकल्प पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति आयोजन की प्रतिबद्धता के विपरीत है। आपत्ति जताने वाले इस समूह के सदस्य कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय , कोलोराडो विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से संबंध रखते हैं।उन्होंने कहा: "टोयोटा द्वारा हाइड्रोजन कार को बढ़ावा देना वैज्ञानिक रूप से नेट-जीरो लक्ष्य के बिलकुल भी अनुकूल नहीं है और इन हाइड्रोजन गैस से चलित वाहनों के इस्तेमाल से 2024 के खेलों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचने के साथ ही पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
आधिकारिक जांच से इस बात का हुआ खुलासा
परिवहन एवं पर्यावरण (टीएंडई) द्वारा की गई एक नई जांच से पता चलता है कि इन्फ्रारेड छवियों में बिना जली मीथेन - एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस - को कथित रूप से 'ग्रीन' एलएनजी को जहाजों से जोड़ा जा रहा है। टीएंडई का कहना है कि यूरोपीय राजनेता एलएनजी के समर्थन में आग से खेल रहे हैं, क्योंकि 20 साल की अवधि में मीथेन कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक जलवायु वार्मिंग करता है। वहीं आपत्ति जताने वाले समूह का कहना है कि हाइड्रोजन कारें टेलपाइप में कोई कार्बन उत्सर्जित नहीं करतीं, लेकिन विश्व का 96% हाइड्रोजन मीथेन गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों से प्राप्त होता है। इससे अधिकांश हाइड्रोजन-चालित कारें इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में पर्यावरण के लिए कहीं ज्यादा हानिकारक साबित होती हैं, तथा कार्बन उत्सर्जित करने वाले पारंपरिक दहन इंजन मॉडल की तुलना में इनमें कोई बड़ा फर्क नजर नहीं आता।इस समूह का कहना है कि टोयोटा मिराई का इस्तेमाल धरती को और ज्यादा गर्म करने में मददगार साबित होगा।
पेरिस ओलंपिक खेलों में ग्रीनएनर्जी इस्तेमाल पर रहेगा जोर
इस बार आयोजित होने जा रहे पेरिस ओलंपिक में तैयारियों में ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल पर जोर रहेगा। खेल के आयोजकों का लक्ष्य "अब तक के सबसे हरित खेलों" का आयोजन करना है, जिसमें पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा के नए विकल्पों को बढ़ावा देने की पुरजोर कोशिश रहेगी। जिस पर काम करते हुए कार्बन फुटप्रिंट को 2010 के स्तर की तुलना में आधा करने के लक्ष्य की योजना पर काम किया जा रहा हैयही वजह है कि टोयोटा की कार्बन मुक्त करने की "बहु-मार्ग रणनीति" की आलोचना हो रही है, जिसके बारे में कुछ लोगों का कहना है कि इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों पर बहुत कम ध्यान दिया गया है। मिल रही प्रतिक्रियाओं के चलते टोयोटा के हाइड्रोजन-संचालित भविष्य को बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। टोयोटा कंपनी ने ई.वी. में निवेश करने के साथ ही ईंधन में दूसरे विकल्पों में हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड पर भी काफी तेजी से काम कर रही है।वैश्विक ऊर्जा-संबंधी कार्बन प्रदूषण में यात्री कारों और वैनों का योगदान लगभग 10% है।ग्रीन हाइड्रोजन गैस उपलब्धता में है बाधाएं
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रीन हाइड्रोजन - जो पवन और सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस से बनाई जाती है - अभी तक वाहन मालिकों के लिए ये विकल्प चलन नहीं आया है और इसके अलावा निकट भविष्य में भी इस विकल्प के पंपों पर उपलब्धता की संभावना भी दूर दूर तक नजर नहीं आती है।यह वाहन निर्माता कंपनी हाइड्रोजन-चालित वाहनों पर दांव लगाने वाली कुछ प्रमुख कंपनियों में से एक है। हाइड्रोजन से ईंधन भरने के लिए सीमित बुनियादी ढांचे के कारण हाइड्रोजन वाहन अभी भी उपभोक्ताओं के लिए लोकप्रिय विकल्प नहीं बन पाए हैं।