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बंगाल में उपचुनाव के मुद्दे पर टीएमसी-भाजपा आमने-सामने, ममता की कुर्सी के लिए पैदा हुआ खतरा
बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सीएम की कुर्सी छिन जाने का डर सताने लगा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास अब सिर्फ 64 दिन बचे हैं।
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अभी तक विधानसभा उपचुनाव की घोषणा न होने के कारण तृणमूल कांग्रेस की चिंताएं बढ़ गई हैं। तृणमूल कांग्रेस को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) की सीएम की कुर्सी छिन जाने का डर सताने लगा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास अब सिर्फ 64 दिन बचे हैं। इस दौरान अगर वह विधायक नहीं बन सकीं तो उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना होगा। पार्टी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि राज्य की सात विधानसभा सीटों पर चुनाव कार्यक्रम की तत्काल घोषणा की जाए। दूसरी ओर मुख्य विपक्षी दल भाजपा अभी राज्य में विधानसभा उपचुनाव नहीं चाहती। भाजपा का कहना है कि राज्य में नगर निगम के चुनाव ढाई साल से लंबित हैं। ऐसे में पहले नगर निगम के चुनाव कराए जाने चाहिए।
राज्य में चुनाव की घोषणा न होने से नाराज तृणमूल कांग्रेस हाईकोर्ट भी पहुंच गई है। तृणमूल कांग्रेस की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि वह चुनाव आयोग को राज्य में तत्काल विधानसभा उपचुनाव कराने का आदेश दे। हाईकोर्ट से अपील की गई है कि इस बाबत तत्काल आदेश जारी किया जाना चाहिए क्योंकि चुनाव आयोग ने टालमटोल का रवैया अपना रखा है।
टीएमसी की जल्द चुनाव कराने की मांग
तृणमूल कांग्रेस के नेता तापस रॉय का कहना है कि कोराना महामारी के दौरान राज्य में विधानसभा के चुनाव कराए गए। अब राज्य में कोरोना महामारी काफी हद तक नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक चुनाव छह महीने के भीतर कराए जाने चाहिए मगर चुनाव आयोग की ओर से इस बाबत कोई पहल ही नहीं की जा रही है। निर्वाचन आयोग का काम ही चुनाव करना है मगर वह अपनी ड्यूटी को पूरा नहीं कर रहा है। रॉय ने कहा कि राज्य की सात विधानसभा सीटों पर जल्द से जल्द उपचुनाव कराए जाने चाहिए।
भाजपा बोली-चुनाव लायक हालात नहीं
दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि राज्य में अभी विधानसभा उपचुनाव कराने के लिए हालात ठीक नहीं है। हमने चुनाव आयोग को पार्टी की राय से अवगत करा दिया है कि इस समय चुनाव कराना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यदि राज्य में चुनाव कराने लायक हालात हैं तो टीएमसी को इस बात का जवाब देना चाहिए कि ढाई साल से म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के चुनाव क्यों नहीं कराए गए।
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की असली चिंता ममता बनर्जी की मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर है क्योंकि उनकी कुर्सी चली जाएगी। यही कारण है कि टीएमसी की ओर से विधानसभा उपचुनाव की मांग की जा रही है। इस संबंध में चुनाव आयोग ही उचित फैसला लेगा।
ममता के पास बचा है काफी कम समय
वैसे इस बात में सच्चाई है कि तृणमूल कांग्रेस ममता बनर्जी की मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर परेशान है। विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद ममता बनर्जी ने 5 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। संवैधानिक नियमों के तहत उन्हें छह महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना है। ऐसे में अब उनके पास नवंबर के पहले हफ्ते तक का ही समय बचा है। इसी कारण तृणमूल कांग्रेस की ओर से जल्द से जल्द विधानसभा उपचुनाव कराने की मांग की जा रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस बाबत आयोग से मांग कर चुकी हैं। उनका कहना है कि कोरोना महामारी की आड़ में चुनाव नहीं टाले जाने चाहिए। स्वस्थ लोकतंत्र में लोगों को अपना मत देने और विधानसभा में चुने जाने का अधिकार है। यह अधिकार उनसे नहीं छीना जाना चाहिए। राज्य में उपचुनाव की मांग को लेकर टीएमसी नेताओं ने दिल्ली में भी चुनाव आयोग से मुलाकात की थी मगर अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है।
टीएमसी ने दायर की हाईकोर्ट में याचिका
तृणमूल कांग्रेस की ओर से इस संबंध में कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। याचिका में चुनाव आयोग को तय समय सीमा के भीतर चुनाव कराने के संबंध में आदेश देने का अनुरोध किया गया है। बंगाल सरकार के वकील रामप्रसाद सरकार ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 150 और 151 में कहा गया है कि चुनाव या उपचुनाव 6 महीने के भीतर हो जाना चाहिए। हमारी असली चिंता इस बात को लेकर है कि आयोग की ओर से राज्य की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा में आखिर क्यों देरी की जा रही है। इसीलिए हाईकोर्ट से इस बाबत चुनाव आयोग को तत्काल निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
नंदीग्राम में चुनाव हार गई थीं ममता
पश्चिम बंगाल के गत विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को भारी बहुमत से जीत दिलाई थी। भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद ममता बनर्जी अपनी पार्टी को भारी जीत दिलाने में तो कामयाब रहीं मगर वे खुद नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हार गईं। भाजपा के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी ने कड़े मुकाबले में उन्हें पराजित कर दिया था। इसके बावजूद तृणमूल कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में ममता को नेता चुना गया था।
गत विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस ने 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा में 213 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा को 77 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इस जीत के साथ ही ममता बनर्जी राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब हुई हैं।
अब भवानीपुर से चुनाव लड़ने की चर्चाएं
आयोग की ओर से विधानसभा उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित किए जाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भवानीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं। इस विधानसभा सीट से ममता दो बार चुनाव जीत चुकी हैं। इस सीट से चुनाव जीतने वाले तृणमूल कांग्रेस के नेता शोभन देव भट्टाचार्य ने इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि उन्होंने ममता बनर्जी के लिए ही यह सीट खाली की है। इस सीट पर ममता की मजबूत पकड़ रही है। यही कारण है कि उनके लिए इस सीट का चयन किया गया है। ममता के नंदीग्राम से चुनाव मैदान में उतरने से पहले भी उनके इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की चर्चाएं थीं मगर शुभेंदु अधिकारी को सबक सिखाने के लिए ममता ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला लिया था।