×

Bengal Politics News: बाबुल सुप्रियो को मनाने में भाजपा यूं हुई कामयाब, भाजपा को सता रहा था इस बात का डर

Bengal Politics News: पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से सांसद चुने गए बाबुल सुप्रियो ने साफ कर दिया है कि वे राजनीति से संन्यास लेने के फैसले पर अभी भी कायम हैं मगर वे सांसद पद से इस्तीफा नहीं देंगे।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Chitra Singh
Published on: 3 Aug 2021 11:36 AM IST (Updated on: 3 Aug 2021 11:39 AM IST)
Bengal Politics
X

जे.पी. नड्डा- बाबुल सुप्रियो (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Bengal Politics News: आखिरकार दो दिन की कवायद के बाद भाजपा नेतृत्व बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) को काफी हद तक मनाने में कामयाब रहा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (Jagat Prakash Nadda) से मुलाकात के बाद पश्चिम बंगाल (West Bengal) की आसनसोल सीट से सांसद चुने गए बाबुल सुप्रियो ने साफ कर दिया है कि वे राजनीति से संन्यास लेने के फैसले पर अभी भी कायम हैं मगर वे सांसद पद से इस्तीफा नहीं देंगे। हालांकि उन्होंने सांसद का बंगला और सुरक्षा का तामझाम छोड़ देने की बात कही है।

बाबुल सुप्रियो की ओर से राजनीति से सन्यास लेने और संसद से इस्तीफा देने की घोषणा के बाद ही भाजपा नेता उन्हें मनाने के लिए सक्रिय हो गए थे। खास तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (J.P. Nadda) ने उन्हें मनाने की खासी कवायद की। सियासी जानकारों का कहना है कि सुप्रियो के संसद से इस्तीफा देने पर पश्चिम बंगाल में उपचुनाव होता और मौजूदा सियासी हालात में भाजपा बंगाल में लोकसभा का उपचुनाव नहीं लड़ना चाहती। यदि इस चुनाव में भाजपा की हार होती तो इसका सियासी संदेश अच्छा नहीं जाता और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी बुरा असर पड़ता। इसी कारण पार्टी नेतृत्व की ओर से सुप्रियो को मनाने की कवायद की जा रही थी।

नड्डा की बाबुल के साथ दो बार बैठक

बाबुल सुप्रियो की रविवार को पार्टी अध्यक्ष के साथ करीब एक घंटे तक बैठक चली थी। हालांकि इस बैठक के दौरान कोई अंतिम नतीजा नहीं निकल सका और आखिरकार फिर सोमवार को एक और बैठक तय की गई। रविवार की बैठक के बाद भी सुप्रियो ने कहा था कि सोमवार को बैठक के बाद वे अपने भविष्य को लेकर कोई आखिरी फैसला लेंगे।

जेपी नड्डा-बाबुल सुप्रियो (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

सोमवार को पार्टी अध्यक्ष नड्डा के साथ सुप्रियो की एक बार फिर बैठक हुई। इस बैठक के दौरान सुप्रियो राजनीति में बने रहने के लिए तो तैयार नहीं हुए मगर उन्होंने शीर्ष नेतृत्व की संसद से इस्तीफा न देने की बात मान ली। बैठक के बाद सुप्रियो ने कहा कि वे अभी भी राजनीति से स॔न्यास लेने के अपने फैसले पर कायम हैं, लेकिन वे संसद से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि मैं एक सांसद के रूप में संवैधानिक रूप से अपने क्षेत्र आसनसोल के लिए काम करना जारी रखूंगा।

बंगला और सुरक्षा छोड़ देंगे बाबुल

पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात के बाद सुप्रियो ने अपने ट्वीट में कहा कि मैं राजनीति में किसी भी तरह से हिस्सा नहीं बनूंगा। इसके साथ ही उन्होंने किसी दूसरे सियासी दल में शामिल न होने की बात भी दोहराई है। सुप्रियो ने कहा कि सांसद के तौर पर दिल्ली में मिले बंगले को वे जल्दी ही खाली कर देंगे। उन्होंने सुरक्षा का तामझाम भी पूरी तरह छोड़ देने का ऐलान किया।

पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात के बाद सुप्रियो ने कहा कि सांसद का पद संवैधानिक है और राजनीति से दूर रहकर भी सांसद पद की जिम्मेदारी निभाई जा सकती है। इसी कारण उन्होंने सांसद बने रहने का फैसला किया है। सुप्रियों ने कहा कि वह अपने संसदीय क्षेत्र आसनसोल में तमाम विकास कार्य कराने की कोशिश में जुटे हुए हैं और भविष्य में भी वे इस अभियान को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष नड्डा की ओर से मुझे काफी प्यार मिला है और मुझे उम्मीद है कि आगे भी उनका प्यार और आशीर्वाद मेरे साथ बना रहेगा।

बाबुल सुप्रियो (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

इन कारणों से भाजपा से नाराज हैं बाबुल

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से भाजपा के सांसद सुप्रियो ने दो दिन पहले राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया था। वे पिछले कई दिनों से इस बाबत इशारा कर रहे थे। उन्होंने एक महीने के भीतर सांसद पद से भी इस्तीफा देकर सरकारी आवास छोड़ देने की भी घोषणा की है।

पिछले दिनों मोदी कैबिनेट में हुए फेरबदल के दौरान बाबुल सुप्रियो से भी मंत्री पद से इस्तीफा लिया गया था। बाबुल इस कदम के बाद से ही नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने मंत्री पद से हटाए जाने के तरीके को लेकर भी सवाल उठाए थे। जानकारों के मुताबिक सुप्रियो सांसद होने के बावजूद विधानसभा के चुनाव में उतारे जाने से भी नाराज थे। इसके साथ ही पार्टी के राज्य नेतृत्व के साथ भी उनके मतभेद थे जिसकी और उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में इशारा भी किया है।

राज्य नेतृत्व से नहीं बैठ रही थी पटरी

जानकार सूत्रों का कहना है कि सुप्रियो ने अपनी पोस्ट में राज्य भाजपा नेतृत्व के साथ अपने मतभेद की ओर इशारा किया था। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ सुप्रियो की पटरी न बैठने की खबरें हैं। विधानसभा चुनाव के पहले से ही दोनों के बीच अनबन चल रही है और और बाद के दिनों में दोनों नेताओं के बीच मतभेद और गहरा गए। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि दोनों नेताओं के बीच मतभेद की खबरें बाहर आने का अच्छा सियासी संदेश नहीं गया है। इस कारण भी सुप्रियो को मनाने की कवायद की गुओ है।

बाबुल सुप्रियो (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

सुप्रियो के एलान से इसलिए बेचैन थी पार्टी

सियासी जानकारों का कहना है कि राजनीति से संन्यास लेने के साथ ही लोकसभा से भी इस्तीफा देने के सुप्रियो के एलान से भाजपा नेतृत्व बेचैन था। उनके इस्तीफे के बाद आसनसोल लोकसभा सीट पर भाजपा को उपचुनाव का सामना करना पड़ता। यदि इस उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के हाथों भाजपा को पराजय मिलती तो इसका सियासी संदेश अच्छा नहीं जाता और इसके साथ है ही कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बुरी तरह प्रभावित होता।

माना जा रहा है कि इसी कारण भाजपा नेतृत्व सुप्रियो को मनाने की कवायद में जुटा हुआ था जिसमें आखिरकार नेतृत्व को कामयाबी मिल गई। अब सुप्रियो ने राजनीति से संन्यास लेने पर तो कायम रहने की बात कही है मगर अब वे संसद से इस्तीफा न देने पर राजी हो गए हैं।

Chitra Singh

Chitra Singh

Next Story