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ममता को सताने लगा सीएम की कुर्सी जाने का डर, आयोग पर बढ़ाया चुनाव कराने का दबाव
Bengal Politics News : मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद ममता बनर्जी का छह महीने का कार्यकाल नवंबर के पहले हफ्ते में पूरा हो रहा है और वे अभी तक विधानसभा की सदस्य नहीं बन सकी हैं।
Bengal Politics News : पश्चिम बंगाल में विधानसभा उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित न होने से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ममता को अपनी मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छिन जाने का डर सताने लगा है। यही कारण है कि उन्होंने चुनाव आयोग से पश्चिम बंगाल में जल्द से जल्द विधानसभा उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना महामारी की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। ऐसी स्थिति में चुनाव को टाला जाना उचित नहीं है।
दरअसल, मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद ममता बनर्जी का छह महीने का कार्यकाल नवंबर के पहले हफ्ते में पूरा हो रहा है और वे अभी तक विधानसभा की सदस्य नहीं बन सकी हैं। अगर आयोग की ओर से तब तक राज्य में विधानसभा उपचुनाव नहीं कराया गया तो ऐसी स्थिति में ममता को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना होगा। यही कारण है कि उन्होंने चुनाव आयोग पर उपचुनाव कराने के लिए दबाव बढ़ा दिया है।
कोरोना नियंत्रण में,जल्द कराएं चुनाव
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी की आड़ में पश्चिम बंगाल में विधानसभा उपचुनाव नहीं टाला जाना चाहिए क्योंकि राज्य सरकार के प्रयासों से महामारी पूरी तरह नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र में लोगों को अपना मत देने और विधानसभा में चुने जाने का अधिकार है और उन्हें इस अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को देने के लिए चुनाव आयोग की ओर से राज्य में शीघ्र चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जानी चाहिए। जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री की ओर से की गई इस मांग से साफ है कि उन्हें सीएम की कुर्सी हाथ से चली जाने का भय सताने लगा है। इसी कारण उन्होंने राज्य में शीघ्र विधानसभा उपचुनाव कराने की मांग की है।
नंदीग्राम में ममता को मिली थी हार
ममता बनर्जी ने अपनी अगुवाई में गत विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को भारी बहुमत से जीत दिलाई थी। भाजपा की ओर से की गई जबर्दस्त मोर्चेबंदी के बावजूद वे अपनी पार्टी को जीत दिलाने में कामयाब रहीं मगर ममता बनर्जी को खुद नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा। इस विधानसभा क्षेत्र में हुए कड़े मुकाबले में भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें हरा दिया था।
ममता की हार के बावजूद उन्हें तृणमूल कांग्रेस के विधायकों की ओर से विधायक दल का नेता चुना गया था। इस तरह ममता हार के बावजूद मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुई थीं। तृणमूल कांग्रेस ने 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल की विधानसभा में 213 सीटों पर जीत हासिल की थी। ममता की अगुवाई में पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में जरूर कामयाब हुई मगर ममता की हार ने हर किसी को हैरान कर दिया था।
ममता के पास बचा है काफी कम समय
मुख्यमंत्री बनने के बाद संवैधानिक नियमों के तहत ममता को 6 महीने के भीतर विधायक बनना है और यह समयसीमा नवंबर के पहले हफ्ते में समाप्त हो रही है। यही कारण है कि ममता और तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेताओं को विधानसभा उपचुनाव की चिंता सताने लगी है। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने इस मुद्दे पर दिल्ली में चुनाव आयोग के कार्यालय जाकर भी मुलाकात की थी। पार्टी की ओर से कोलकाता में भी आयोग के सीईओ को ज्ञापन दिया गया था। तृणमूल कांग्रेस की ओर से लगातार दबाव बनाने के बावजूद अभी तक आयोग की ओर से चुनाव कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गई है।
भवानीपुर से चुनाव लड़ सकती हैं ममता
आयोग की ओर से विधानसभा उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित किए जाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भवानीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं। इस विधानसभा सीट से ममता दो बार चुनाव जीत चुकी हैं। इस सीट से चुनाव जीतने वाले तृणमूल कांग्रेस के नेता शोभन देव भट्टाचार्य ने इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि उन्होंने ममता बनर्जी के लिए ही यह सीट खाली की है। इस सीट पर ममता की मजबूत पकड़ रही है और यही कारण है कि उनके लिए इस सीट का चयन किया गया है।