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NHRC की रिपोर्ट से बढ़ीं ममता की मुश्किलें, भाजपा के आरोपों की पुष्टि
NHRC Report On Bengal Violence: NHRC की रिपोर्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रिपोर्ट में ममता सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
NHRC Report On Bengal Violence: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (Bengal Assembly Elections 2021) के बाद हुई हिंसा के मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की रिपोर्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आयोग की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) में दाखिल रिपोर्ट में ममता सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में कानून का राज नहीं बल्कि शासक का कानून चलता है। आयोग ने हिंसा के मामलों की जांच सीबीआई (CBI) से कराने की भी सिफारिश की है।
एनएचआरसी की रिपोर्ट में घिरने के बाद ममता बनर्जी भड़क उठीं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की कानून व्यवस्था बिल्कुल चौपट हो चुकी है मगर वहां पर प्रधानमंत्री ने जांच के लिए कितने कमीशन भेजे। उन्होंने केंद्र सरकार पर एनएचआरसी की रिपोर्ट लीक करने का आरोप भी लगाया। जानकारों का कहना है कि इस रिपोर्ट से ममता की मुश्किलें बढ़ने वाली है क्योंकि इसमें उनकी सरकार और पार्टी की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
हिंसा पीड़ितों के प्रति दिखाई उदासीनता
एनएचआरसी की रिपोर्ट से ममता गहरी मुश्किलों में फंसती दिख रही हैं क्योंकि इस रिपोर्ट से भाजपा (BJP) की ओर से लगाए गए आरोपों की पुष्टि होती है। भाजपा भी हिंसा पीड़ितों के प्रति राज्य सरकार की ओर से उदासीनता बरतने का आरोप लगाती रही है और मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग करती रही है।
एनएचआरसी की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में भी कहा गया है कि बंगाल के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा की घटनाओं में राज्य सरकार ने पीड़ितों के प्रति भयानक तरीके से उदासीनता दिखाई है। राज्य सरकार के कई अंग और अफसर हिंसा की घटनाओं के प्रति आंख मूंदे रहे और उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि कई मामलों में तो अफसर इन घटनाओं में खुद शामिल तक रहे हैं।
सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश
रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं में मर्डर और रेप जैसे गंभीर अपराध भी हुए और इन मामलों की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए। हिंसा की घटनाओं में तृणमूल कांग्रेस की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक टीएमसी से जुड़े लोगों ने चुनाव के दौरान दूसरी पार्टी को समर्थन देने वालों के खिलाफ बदला लेने की नीयत से हमला किया।
पीड़ितों की ओर से इस बाबत शिकायत किए जाने के बावजूद प्रशासन और पुलिसकर्मी तमाशबीन बने रहे जिस कारण पीड़ितों का दर्द काफी बढ़ गया। हाईकोर्ट के आदेश पर हिंसा के मामलों की जांच कर रही एनएचआरसी की टीम ने 13 जुलाई को कोर्ट में इस बाबत अपनी रिपोर्ट पेश की है मगर गुरुवार को इस रिपोर्ट का खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया है।
हाईकोर्ट ने भी लगाई थी कड़ी फटकार
इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर ममता सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट का कहना था कि हिंसा की घटनाओं और नाबालिग से रेप के समय सरकार घटनाओं को नकारने में जुटी हुई थी जबकि उसे इस बाबत जांच पड़ताल करके उचित कार्रवाई करनी चाहिए थी। हाईकोर्ट का यह भी कहना था कि पश्चिम बंगाल सरकार हिंसा पीड़ितों के बीच विश्वास का माहौल पैदा करने में पूरी तरह नाकाम रही।
हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को हिंसा की घटनाओं की जांच करके अदालत में रिपोर्ट पेश करने को कहा था। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने हिंसा के मामलों की जांच के लिए टीम का गठन किया था।
रिपोर्ट लीक होने पर ममता भड़कीं
एनएचआरसी की रिपोर्ट सामने आने के बाद ममता भड़क उठीं और उन्होंने मोदी सरकार को घेरते हुए कई बड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी पश्चिम बंगाल को बदनाम करने की साजिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में हाथरस से लेकर उन्नाव तक कई घटनाएं हुईं। प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने इन मामलों की जांच के लिए कितने कमीशन भेजे।
ममता ने कहा कि एनएचआरसी की रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा करने के बजाय लीक कर दी गई और यह काम राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से किया गया। इसके पीछे बंगाल के लोगों को बदनाम करने की बड़ी साजिश है।
हार के डर से उपचुनाव न कराने का आरोप
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा चुनावी हार के डर की वजह से पश्चिम बंगाल में विधानसभा के उपचुनाव नहीं करा रही है। भाजपा को इस बात का डर सता रहा है कि सभी सातों सीटों पर उसे पराजय का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में अपमानजनक हार के बाद भाजपा नेताओं को अपना मुंह बंद रखना चाहिए। राजनीतिक प्रतिशोध के लिए केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग पर लगाम लगाई जानी चाहिए।
सियासी जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ और भाजपा की ओर से लगातार ममता सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। अब एनएचआरसी की रिपोर्ट में भी वही बातें कहीं गई हैं जिन्हें लेकर भाजपा ममता सरकार को भेजती रही है। इस रिपोर्ट ने ममता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं क्योंकि वे हिंसा की घटनाओं के मुद्दे पर लगातार घिरती जा रही हैं।
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