×

Bhawanipur By-election: ममता का भवानीपुर जहां भरे पड़े हैं गुजराती, मारवाड़ी और पंजाबी

Bhawanipur By-election: ममता बनर्जी जिस भवानीपुर से उपचुनाव लड़ रही हैं वह बंगाल का कोई सामान्य इलाका नहीं है। यह साउथ कोलकाता का इलाका है और पूरी तरह से कॉस्मोपॉलिटन है जहाँ अलग अलग समुदाय के लोग रहते हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shreya
Published on: 14 Sep 2021 8:54 AM GMT
Bhawanipur By-election: ममता का भवानीपुर जहां भरे पड़े हैं गुजराती, मारवाड़ी और पंजाबी
X

Bhawanipur By-election: ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) जिस भवानीपुर से उपचुनाव (Bhawanipur By-poll) लड़ रही हैं वह बंगाल का कोई सामान्य इलाका नहीं है। यह साउथ कोलकाता (Kolkata) का इलाका है और पूरी तरह से कॉस्मोपॉलिटन है जहाँ अलग अलग समुदाय के लोग रहते हैं। इस क्षेत्र में 65 फीसदी लोग गैर बांग्लाभाषी हिन्दू (Hindu) हैं। उनमें से भी अधिकाँश गुजराती (Gujarati) और मारवाड़ी (Marwari) हैं। कभी भवानीपुर कांग्रेस (Congress) का गढ़ हुआ करता था लेकिन अब यह तृणमूल (TMC) का गढ़ है। ममता बनर्जी का घर भी भी इसी निर्वाचनक्षेत्र में कालीघाट (Kalighat) में है। करीब दो लाख मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में मुस्लिमों (Muslims) की जनसंख्या 8 फीसदी है।

यहीं जड़ें जमाई थीं स्ट इंडिया कंपनी ने

भवानीपुर का इतिहास भी बहुत रोचक है। 11 जनवरी, 1713 से 28 फरवरी , 1719 तक औरंगाबाद से साम्राज्य चलाने वाले दसवें मुग़ल सम्राट फर्रुखसियर (Mughal Emperor Farrukhsiyar) ने बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) को अपनी जड़ें जमाने में मदद की थी। फर्रुखसियर (Farrukhsiyar) की मौत मात्र 33 साल की उम्र में हो गयी थी। लेकिन उनके एक फरमान ने बंगाल (Bengal) की तस्वीर ही बदल दी। दरअसल, बंगाल में ईस्ट इंडिया कंपनी को बिना किसी शुल्क के व्यापार करने की इजाजत इसी सम्राट ने दी थी। यानी यह कह सकते हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल में अपने पैर फर्रुखसियर के शासनकाल में ही जमाये थे।

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सम्राट के फरमान की बदौलत ईस्ट इंडिया कंपनी बिना सीमा शुल्क (Customs) अदा किये बंगाल में विदेशी वस्तुएं लाने लगी थी। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल में अपने ठिकाने या चौकी के इर्दगिर्द के 38 गांवों से किराया वसूलने का अधिकार भी मुग़ल सम्राट से हासिल कर लिया। इन्हीं गांवों में भवानीपुर भी था। 20वीं सदी की शुरुआत से भवानीपुर का विस्तार शुरू हुआ। देखते देखते यहां अलग अलग ट्रेड के लोग, वकील और संभ्रांत लोगों की बस्तियां बन गईं। भवानीपुर कोलकाता में एक अलग पहचान वाला इलाका बन गया।

धीरे धीरे उत्तरी कोलकाता के मारवाड़ी, तंग गलियों की बस्तियों को छोड़ कर भवानीपुर के खुले इलाकों में आ कर रहने लगे। यह कहा जा सकता है कि कोलकाता के भवानीपुर और अलीपुर- इन दो इलाकों को शहर के संभ्रांत और पैसे वाले बंगालियों और मारवाड़ियों ने अलग पहचान दिलाई है। भवानीपुर की आलीशान इमारतें उन्हीं लोगों की देन हैं। भवानीपुर को एक पुराने उपनगर से अपग्रेड करके एक आधुनिक शहरी इलाका बनाने में कलकत्ता इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (Kolkata Improvement Trust) का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है।

(फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सुभाष बोस से लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी तक

ईस्ट इंडिया कंपनी ने जिन 38 गांवों पर अपना कब्जा जमाया था वही सब आगे चल कर कोलकाता बने। जब भवानीपुर डेवलप हो रहा था, तभी बाकी इलाकों से कई संभ्रांत लोग भवानीपुर में आ कर बस गए जिनमें सुभाष चन्द्र बोस (Subhas Chandra Bose) से लेकर सत्यजित रे (Satyajit Ray), हेमंत कुमार (Hemant Kumar) और उत्तम कुमार (Uttam Kumar) तक के पुरखे शामिल रहे।

इनके अलावा देशबंधु चितरंजन दास (Deshbandhu Chittaranjan Das), श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Syama Prasad Mukherjee), सिद्धार्थ शंकर रे (Siddhartha Shankar Ray) और ढेरों अन्य वैज्ञानिक, खिलाड़ी, फ़िल्मी कलाकार, लेखक, कवि, बैरिस्टर भी इनमें शामिल हैं। इन सभी ने भवानीपुर (Bhawanipur) को एक अलग पहचान दी है।

भवानीपुर की ख़ास पहचान

सौ साल पहले बिजनेस के सिलसिले में बहुत से गुजराती व्यापारी यहां आये। उनमें से काफी लोग यहीं बस गए। वापस नहीं गए। भवानीपुर के लैंसडाउन, चक्रबेरिया और पुद्दापुकुर इलाकों में बड़ी संख्या में गुजराती रहते हैं। रेलवे, जूट और शिपिंग इंडस्ट्री से जुड़ने के लिए पंजाबी भी यहां आये। आज भवानीपुर का हरीश मुखर्जी रोड (Harish Mukherjee Road) इलाका पंजाबियों का गढ़ है। लेकिन समय के साथ जैसे जैसे कोलकाता और बंगाल में बिजनेस के अवसर कम होते गए तो बहुत से धनाढ्य गुजरातियों और पंजाबियों ने इस शहर को अलविदा कह दिया। अब यहां मध्यम वर्ग के लोगों की तादाद ज्यादा है। इनमें बिहारी भी काफी बड़ी संख्या में हैं।

खास बातें

-कोलकाता में भले ही मुस्लिम जनसंख्या काफी ज्यादा हो लेकिन भवानीपुर क्षेत्र में सिर्फ 8 फीसदी मुस्लिम हैं।

-1952 में भवानीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बना था। 1977 में सीमांकन के बाद यह निर्वाचन क्षेत्र ख़त्म कर दिया गया। 2011 में भवानीपुर फिर एक अलग निर्वाचन क्षेत्र बनाया गया।

-तृणमूल यहां सभी तीन विधानसभा चुनावों में विजयी रही है।

दोस्तों देश और दुनिया की खबरों को तेजी से जानने के लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shreya

Shreya

Next Story