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Bhawanipur Violence: भवानीपुर में हिंसा पर सियासत गरमाई, भाजपा ने ममता सरकार को घेरा, आयोग से चुनाव स्थगित करने की मांग
Bhawanipur Violence: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) के सोमवार को क्षेत्र में भ्रमण के दौरान हुई हिंसा की घटना पर भाजपा ने तीखा तेवर अपना लिया है। घोष का कहना है कि ऐसे हिंसक माहौल में भवानीपुर में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान नहीं कराया जा सकता। उन्होंने चुनाव आयोग (Chunaav Aayog) से मतदान स्थगित करने की मांग की है।
Bhawanipur Violence: पश्चिम बंगाल की भवानीपुर विधानसभा सीट (Bhawanipur Vidhan Sabha Seat) पर बुधवार को होने वाले मतदान से पहले सियासत गरमा गई है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) के सोमवार को क्षेत्र में भ्रमण के दौरान हुई हिंसा की घटना पर भाजपा ने तीखा तेवर अपना लिया है। घोष का कहना है कि ऐसे हिंसक माहौल में भवानीपुर में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान नहीं कराया जा सकता। उन्होंने चुनाव आयोग (Chunaav Aayog) से मतदान स्थगित करने की मांग की है। उन्होंने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हिंसा और गाली गलौज का आरोप लगाते हुए कहा कि जब हम अपने वोटर तक पहुंची ही नहीं पाए तो ऐसे चुनाव का क्या मतलब रह जाता है।
दूसरी ओर चुनाव आयोग (Election Commission) ने सोमवार को भवानीपुर क्षेत्र में हुई हिंसा की घटना पर ममता सरकार से रिपोर्ट तलब की है। ममता सरकार की रिपोर्ट के बाद अब आयोग के फैसले का इंतजार किया जा रहा है। वैसे भवानीपुर सीट का यह चुनाव मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) के सियासी भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है। ममता बनर्जी को नवंबर के पहले हफ्ते तक विधायक बनना है, नहीं तो उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी छिन जाएगी। इस कारण टीएमसी (TMC) और भाजपा (BJP) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है।
घोष के साथ भवानीपुर में धक्का-मुक्की
पश्चिम बंगाल में दिलीप घोष भाजपा का बड़ा चेहरा माने जाते रहे हैं। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने से पहले वे पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय भी उन्होंने भाजपा के लिए धुआंधार बैटिंग की थी। सोमवार को प्रचार के आखिरी दिन भाजपा ने भवानीपुर में बड़े स्तर पर प्रचार करने की योजना बनाई थी मगर घोष के साथ हुई हिंसा की घटना से सारा माहौल बदल गया।
घोष का कहना है कि जब वे चुनाव प्रचार में जुटे हुए थे तो तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हुजूम जुट गया और टीएमसी कार्यकर्ताओं ने धक्का-मुक्की शुरू कर दी। उन्होंने खुद पर हमला किए जाने का दावा करते हुए कहा की सुरक्षाकर्मियों ने बंदूकें निकालकर किसी तरह हमलावरों से मुझे बचाया। घोष का कहना है कि पूरे क्षेत्र में मुझे भय का माहौल दिखा। ऐसे माहौल में चुनाव कराने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए भवानीपुर में चुनाव स्थगित किया जाना चाहिए।
हिंसा के समय पुलिस बनी मूकदर्शक
भाजपा नेता ने कहा कि एक टीकाकरण केंद्र का दौरा करते समय टीएमसी कार्यकर्ताओं ने घेराव के बाद नारेबाजी शुरू कर दी। बाद में इन कार्यकर्ताओं ने उग्र रूप धारण कर लिया और भाजपा कार्यकर्ताओं की पिटाई की गई। घोष ने कहा कि भाजपा सांसद अर्जुन सिंह को भी टीएमसी कार्यकर्ताओं ने इसी तरह निशाना बनाया था।
पश्चिम बंगाल में इस तरह की घटनाएं रोज हो रही हैं मगर ममता सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। हिंसा की घटनाओं को लेकर पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती। हमने दौरे के संबंध में पुलिस प्रशासन को पहले ही सूचना दे दी थी मगर पुलिस कर्मियों की ओर से कोई मदद नहीं की गई। इससे साफ है कि ममता सरकार के निर्देश पर पुलिस प्रशासन टीएमसी कार्यकर्ताओं की मदद करने में जुटा हुआ है।
आयोग से कड़ी कार्रवाई की मांग
घोष ने कहा कि भाजपा की ओर से चुनाव आयोग को समय-समय पर पश्चिम बंगाल की जमीनी वास्तविकता की जानकारी दी जाती रही है। आयोग को ममता सरकार की कार्यप्रणाली के बारे में पूरी जानकारी है। इसलिए आयोग को इस बाबत कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। सच्चाई तो यह है कि भवानीपुर में टीएमसी कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी के कारण निष्पक्ष चुनाव संभव ही नहीं है। यही कारण है कि हम आयोग से चुनाव स्थगित किए जाने की मांग कर रहे हैं। हमें आयोग से सकारात्मक फैसले की उम्मीद है।
इस बीच नेता प्रतिपक्ष और नंदीग्राम में ममता को चुनाव हराने वाले शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि भाजपा की ओर से लगातार शिकायत किए जाने के बावजूद आयोग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। हमारी मांग है कि हिंसा से जुड़े मामले में आयोग को सख्त रवैया अपनाना चाहिए।
आयोग ने मांगी सरकार से रिपोर्ट
आयोग ने भी भवानीपुर में सोमवार को हुई हिंसा की घटना का संज्ञान लिया है। आयोग की ओर से इस संबंध में ममता सरकार से रिपोर्ट तलब की गई थी। अब ममता सरकार की रिपोर्ट पर आयोग के फैसले का इंतजार किया जा रहा है। यदि आयोग की ओर से इस बाबत कोई कड़ा फैसला लिया जाता है तो यह ममता बनर्जी के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकता है। ममता बनर्जी ने गत 5 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। नंदीग्राम में चुनाव हारने के बावजूद तृणमूल विधायकों ने ममता बनर्जी को ही विधायक दल का नेता चुना था। अब ममता के लिए नवंबर के पहले हफ्ते तक विधायक बनना जरूरी है। विधायक न बन पाने की स्थिति में उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा।
भवानीपुर में ममता का सामना करने के लिए भाजपा की ओर से प्रियंका टिबरेवाल को चुनाव मैदान में उतारा गया है। नामांकन के बाद टिबरेवाल इस चुनाव क्षेत्र में काफी सक्रिय रही हैं। हालांकि टीएमसी नेताओं की ओर से मुकाबला एकतरफा होने का दावा किया जा रहा है। मगर ममता की ओर से पूरी ताकत झोंके जाने से साफ है कि वे नंदीग्राम की हार के बाद चुनाव प्रचार में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहतीं।
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