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पश्चिम बंगाल में राज्यपाल हुए किनारे, अब ममता होंगी यूनिवर्सिटी चांसलर, बिल पास होने के बाद खुला नया मोर्चा
West Bengal News: सीएम ममता बनर्जी ने वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी अमेंडमेंट बिल 2022 के जरिए राज्यपाल से राज्य के विश्वविद्यालयों के चांसलर का पद छीन लिया है।
West Bengal News: पश्चिम बंगाल में बड़े विवाद की वजह बना वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी अमेंडमेंट बिल 2022 (West Bengal University Amendment Bill 2022) बंगाल विधानसभा (West Bengal Legislative Assembly) में पारित हो गया है। इस बिल के जरिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankhar) से राज्य के विश्वविद्यालयों के चांसलर का पद छीन लिया है। इस बिल के लागू होने के बाद अब राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य के विश्वविद्यालयों की चांसलर (WB Universities Chancellor) होंगी।
भाजपा (BJP) शुरुआत से ही ममता सरकार (Mamata Government) के इस बिल का तीखा विरोध करती रही है। भाजपा की ओर से सोमवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में भी इस बिल का तीखा विरोध किया गया। ममता सरकार के इस कदम के खिलाफ विरोध जताने के लिए भाजपा की ओर से प्रदर्शन भी किया गया, मगर इसके बावजूद ममता इस बिल को पारित कराने में कामयाब रहीं। इस बिल के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच विवाद का एक नया मोर्चा खुल गया है।
भाजपा ने किया तीखा विरोध
पश्चिम बंगाल विधानसभा में सोमवार को इस बिल पर सत्ता पक्ष और भाजपा सदस्यों के बीच तीखी तकरार हुई। भाजपा सदस्यों का कहना था कि इस बिल के जरिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विश्वविद्यालयों पर पूरी तरह कब्जा करना चाहती हैं। तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के सदस्यों ने इस बिल का पुरजोर समर्थन किया। बाद में इस बिल पर मतदान भी कराया गया जिसमें बिल के पक्ष में 182 मत और विरोध में सिर्फ 40 मत पड़े। इसके बाद बिल को विधानसभा में पारित कर दिया गया।
विधानसभा में इस बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और भाजपा के 96 सदस्यों को कार्यवाही में हिस्सा लेने से रोक दिया गया था। इसे लेकर विधानसभा परिसर में खूब हंगामा हुआ। विरोध जताने के लिए भाजपा सदस्यों ने सदन के बाहर प्रदर्शन भी किया। सदन के बाहर बैठे शुभेंदु अधिकारी ने बिल का तीखा विरोध करते हुए कहा कि विधानसभा में पारित होने के बाद यह बिल निश्चित रूप से एक केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है और इस तरह विधानसभा में बिल पारित कराकर व्यवस्था नहीं बदली जा सकती।
ममता कैबिनेट ने पास किया था बिल
विधानसभा में इस बिल को पेश किए जाने से पहले ममता कैबिनेट की ओर से गत 6 जून को इस बिल को मंजूरी दी गई थी। इस बिल में यह प्रावधान किया गया है कि अब राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति होंगी। इसके साथ ही राज्य मंत्रिमंडल की ओर से राज्य के निजी विश्वविद्यालयों के विजिटर पद से राज्यपाल को हटाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई थी। उनकी जगह अब इस पद पर शिक्षा मंत्री की तैनाती की जाएगी।
बंगाल की प्रमुख हस्तियां भी बिल के खिलाफ
इस बीच राज्य की कई प्रसिद्ध हस्तियों ने ममता सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम पर तीखा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि ममता सरकार का यह कदम विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के लिए बड़ा झटका साबित होगा। उन्होंने इस बिल को लोकतंत्र की भावना के विपरीत बताते हुए कहा पकि कुलाधिपति के पद पर किसी प्रसिद्ध शिक्षाविद की नियुक्ति की मांग लंबे समय से की जाती रही है मगर इस बिल में इस मांग की अनदेखी की गई है।
राज्य के प्रमुख लोगों की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता जरूरी है मगर इस बिल के जरिए इसे नष्ट करने की दिशा में कदम उठाया गया है। बयान पर दस्तखत करने वाले लोगों में अभिनेता विभास चक्रवर्ती, सामाजिक कार्यकर्ता मिरातुन नाहर, अभिनेता कौशिक सेन और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुजातो भद्र समेत कई हस्तियां शामिल हैं।
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