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ममता को करारा झटका: चुनाव के बाद हिंसा की होगी जांच, ह्यूमन राइट्स कमीशन ने बनाई कमेटी
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है।
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को करारा झटका लगा है। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आयोग की ओर से हिंसा के मामलों की जांच के पूरी तरह खिलाफ थीं।
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग को लेकर उन्होंने पुनर्विचार याचिका भी दायर की थी मगर सोमवार को हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस अरुण मिश्रा ने तत्काल कदम उठाते हुए हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
कलकत्ता हाईकोर्ट ने गत दिनों हिंसा की घटनाओं को लेकर ममता सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट का कहना था कि चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा की घटनाओं से जुड़ी शिकायतों का निस्तारण करने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को याद दिलाया था कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखना उसका कर्तव्य है। हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को हिंसा के मामलों की जांच के लिए समिति गठित करने का भी आदेश दिया था।
पश्चिम बंगाल में चुनावी नतीजों की घोषणा के बाद हिंसा की घटनाएं बड़ा सियासी मुद्दा बन चुकी है और भाजपा इस मुद्दे को लेकर ममता सरकार पर लगातार हमलावर है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी हिंसा की घटनाओं के मामले में राज्य सरकार पर निष्क्रिय और उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर ममता सरकार हिंसा के मामलों को लगातार नकारती रही है और मामले को नाहक तूल देने का आरोप लगाती रही है।
सात सदस्यीय कमेटी करेगी जांच
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर अमल अमल करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने अब समिति का गठन कर दिया है। सात सदस्यीय समिति में अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद, महिला आयोग की सदस्य राजुल बेन एल देसाई और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पंजाब को भी शामिल किया गया है। मानवाधिकार आयोग के सदस्य राजीव जैन इस समिति की अध्यक्षता करेंगे।
इस कमेटी को हिंसा के मामलों की अब तक मिली शिकायतों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कमेटी आगे मिलने वाली शिकायतों की भी जांच पड़ताल करेगी। कमेटी से ऐसे अधिकारियों को चिन्हित करने के लिए भी कहा गया है जिन्होंने हिंसा की शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की और चुप्पी साधे रखी।
स्मृति ईरानी ने किया कदम का स्वागत
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं को लेकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच वार-पलटवार का दौर चलता रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी के अन्य नेता हिंसा की घटनाओं को लगातार नकारते रहे हैं जबकि भाजपा का आरोप है कि टीएमसी कार्यकर्ता राज्य सरकार की मशीनरी की मदद से भाजपा को वोट देने वाले लोगों पर हमले कर रहे हैं।
भाजपा ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद हिंसा के मामलों की जांच के लिए समिति के गठन का स्वागत किया है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश पर समिति के गठन से पीड़ित लोगों के साथ न्याय होगा और उनका सिस्टम में भरोसा मजबूत होगा। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उदासीनता पर भी हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आखिर ममता कितने रेप होने तक चुप्पी साधे रहेंगी।
गवर्नर ने ममता सरकार को घेरा
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का कहना है कि चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में एक साथ ही चुनाव हुए मगर हिंसा की घटनाएं सिर्फ पश्चिम बंगाल में ह हुईं। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं की न तो कोई जांच की गई और न तो किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।
इन घटनाओं के इतने दिनों बाद भी राज्य सरकार की ओर से भयावह स्थिति को नकारा जाना हैरान करने वाला है। उन्होंने कहा कि मैंने आजादी के बाद इतनी भयानक और बर्बर घटनाएं नहीं देखीं मगर राज्य सरकार अभी तक पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश में जुटी हुई है।
दूसरी और टीएमसी के सांसद शुभेंदु शेखर राय का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद हिंसा से जुड़े मामलों की जांच कराई जाएगी और जांच के नतीजों के अनुसार सरकार कार्रवाई करेगी।