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बैन हुआ गुटखा-पान: बनाने बेचने पर होगी कड़ी सजा, ममता सरकार ने लिया ये कड़ा फैसला
Gutkha Bechne Par Rok: गुटखा बेचने पर कई राज्यों में बैन है। लेकिन कंपनियां सादा पान मसाला और तंबाकू अलग अलग बेच रही हैं।
Gutkha Bechne Par Rok : पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने एक साल के लिए पान मसाला और गुटखा बनाने-बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार द्वारा लगाया गया यह बैन सात नवंबर से अगले एक साल तक के लिए प्रभावी होगा। इससे पहले सितंबर महीने में हरियाणा में गुटखा और पान मसाला पर प्रतिबंध 1 साल के लिए और बढ़ा दिया गया था। जबकि दिल्ली में भी पिछले साल तंबाकू और तंबाकू से बने उत्पादों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी।
वैसे गुटखा बेचने पर कई राज्यों में बैन है। लेकिन कंपनियां सादा पान मसाला और तंबाकू अलग अलग बेच रही हैं। इससे गुटखा पर बैन का कोई प्रभावी मतलब ही नहीं रह जाता है।
गुटखा बेचने पर बैन (Gutkha Bechne Par Rok)
बंगाल के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक यह निर्णय आम लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। वैसे, ममता बनर्जी सरकार इसके पहले 2019 में गुटखा, पान मसाला और अन्य तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगा चुकी है , जो एक साल तक जारी रहा था।
अब 7 नवंबर, 2021 से 6 नवंबर, 2022 तक राज्य में तंबाकू, निकोटिन, गुटखा, पान मसाला के निर्माण, भंडारण और वितरण पर प्रतिबंध रहेगा। अगर कोई भी व्यक्ति तम्बाकू व निकोटिन युक्त खाद्य पदार्थ का निर्माण, भंडारण व बिक्री करता है तो उसके खिलाफ एफएसएसएआई (खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006) के तहत कार्रवाई की जाएगी।
गुटखा से नुकसान
गुटखा भी तम्बाकू की तरह ही खाया जाता है तथा मुंह का कैंसर पैदा करने के कारण भारत में बड़ी संख्या में मौत का कारण बनता है। अकेले तम्बाकू में ही 4000 हानिकारक रसायन और कई सारे कैंसर जनक तत्व होते है।लेकिन कुछ उत्पादक कंपनिया निर्माण लागत में कटौती और स्वाद बढ़ाने के लिए अन्य कैंसर जनक रासायनिक तत्व जैसे केटोन और फिनोल डेरिवेटिव इसमें मिला देती हैं, जिससे यह विषाक्तता अधिक बढ़ जाती है। गुटखा चबाने से मुंह का स्वास्थ्य गिरता है। मसूड़े तथा दांत खराब होते है।मुंह में घावों के विकास में भी वृद्धि होती है। गुटखा मुंह के अलावा शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है।
गुटखा से होने वाली बीमारियां
Gutkhe Se Hone Vali Bimariya
गुटखा चबाने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस हो जाता है जिससे व्यक्ति अपना मुंह पूरा नहीं खोल पाता है। इसमें मुंह के किसी भी विशेष क्षेत्र में कोलेजन फाइबर की अनियमित वृद्धि होती है। यह कैंसर से पहले होने वाला एक रोग है।
कुछ अध्ययन बताते हैं कि गुटखे में पाए जाने वाले तत्व पेट, एसोफैगस, मूत्राशय और आंत जैसे कई अन्य आंतरिक अंगों में भी कैंसर पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। लंबे समय तक गुटखा उपयोग करने से स्ट्रोक और हृदय रोग के कारण मौत की संभावना बढ़ जाती है।
मुंह में सफेद दाग (ल्यूकोप्लाकिया), मुंह में लाल दाग (एरिथ्रोप्लेकिया), मुंह के मुलायम ऊतकों पर घाव और गांठे होने लगती हैं, जो मुंह के कैंसर में बदल सकती हैं। भारत में कुल कैंसर का 40 फीसदी हिस्सा मुंह का कैंसर होता है।
गुटखा ब्लड प्रेशर में असामान्य परिवर्तन का भी कारण बनता है। गुटखा सेवन से आंखें भी खराब हो जाती हैं। गुटखा का उपयोग करने वाली गर्भवती महिलाएं कम वजन के शिशु को जन्म देती हैं। अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ के अनुसार, कुछ लोगों को गुटखा उपयोग करने से विषाक्तता के लक्षणों का भी अनुभव होता है। इनमें अधिक लार आना, त्वचा का अधिक फटना, अधिक पसीना आना, असंतोष, दस्त, फ्लशिंग और बुखार इत्यादि शामिल हैं।