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नारदा केस को दूसरी जगह ट्रांसफर करने की मांग, बढ़ सकती हैं ममता की मुश्किलें
नारदा घोटाले में दिन ब दिन गुत्थी उलझती जा रही है। इस घोटाले में शामिल शुभेंदु अधिकारी, मुकुल रॉय, काकोल घोष दस्तीदार और सौगत राय के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।
कोलकाताः नारदा घोटाले (Narda scam) में दिन ब दिन गुत्थी उलझती जा रही है। इस घोटाले में शामिल शुभेंदु अधिकारी, मुकुल रॉय, काकोल घोष दस्तीदार और सौगत राय के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद से इन पर कई सवाल भी उठे। वही सीबीआई की ओर से दायर की गई चार्जशीट का माने तो इन चारों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की मंजूरी नहीं दी गई थी। इस चार्जशीट में गिरफ्तार चारों राजनेताओं के गुनाह तय किए गए हैं। इसके साथ ही सीबीआई ने एक और याचिका दायर की है। इसके अनुसार इस घोटाले की जांच किसी दूसरे अदालत या किसी अन्य राज्य में ट्रांसफर की जाए।
बता दें कि इस याचिका में टीएमसी नेता मलय घटक और कल्याएण बनर्जी के साथ मुख्यमंत्री ममता को पक्षकार बनाया गया है। सीबीआई की ओर से 53 पन्नों की यह चार्जशीट 17 मई को तृणमूल कांग्रेस के नेताओं फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और शोभन चट्टोपाध्याय की गिरफ्तार के बाद ही सीबीआई की अदालत में पेश हुई थी।
बढ़ सकती है ममता की मुश्किलें
आपको बता दें कि इस घोटाले में पश्चम बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ भी याचिका दायर की गई है। 123 पन्नों की इस याचिका में सीबीआई ने ममता के करीबीओं और सांसद कल्याण बनर्जी को राज्य के मंत्री मलय घटक के खिलाफ दायर की गई है। सीबीआई की माने तो ममता की ओर से गलत व्यवहार के खिलाफ बात कही गई है। इसके साथ ही इस घोटोल के जांच हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की जा रही है।
गौरतलब है कि सीबीआई ने आदालत में कहा कि यह मामला 2014 का है। और समय तक टीएमसी में शामिल मुकुल राय, समेत सत्तारूढ़ दल के नेता सौगत रॉय और काकोली घोष सांसद थे। जिसके कारण उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन 17 मई को दो टीएमसी के दो मंत्री समते चारों नेताओं के कहा गया कि यह अपराध के समय विधानसभा के सदस्य थे। जिसके कारण सीबीआई को राज्यपाल जगदीप धनखड़ की ओर से मदन मित्रा, फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी और शोभन चटर्जी के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत दी गई थी।