नंदीग्राम का संग्राम: किसी और जज से सुनवाई चाहती हैं ममता, जानिए क्यों किया चीफ जस्टिस से अनुरोध

Nandigram: तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से भाजपा प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती दी है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shivani
Published on: 19 Jun 2021 9:02 AM GMT
नंदीग्राम का संग्राम: किसी और जज से सुनवाई चाहती हैं ममता, जानिए क्यों किया चीफ जस्टिस से अनुरोध
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ममता बनर्जी File Photo 

Nandigram: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Vidhan Sabha Chunav) की सबसे हॉट सीट नंदीग्राम (Nandigram) का संग्राम अब कलकत्ता हाईकोर्ट (Kolkata High Courtt) की दहलीज पर पहुंच चुका है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने इस सीट से भाजपा प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के निर्वाचन को चुनौती दी है। इस हाई प्रोफाइल सीट पर कांटे के मुकाबले में शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को हराकर हर किसी को चौंका दिया था। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति कौशिक चंदा (Kaushik Chanda) कर रहे हैं और सुनवाई 24 जून तक स्थगित की जा चुकी है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मामले की सुनवाई किसी और जज की बेंच में कराना चाहती हैं। उन्होंने इस बाबत कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। ममता ने अपने पत्र में अनुरोध किया है कि नंदीग्राम मामले की सुनवाई किसी और पीठ को सौंपी जाए। ममता की याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति कौशिक चंदा को सौंपे जाने के विरोध में कुछ वकीलों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के बाहर प्रदर्शन भी किया।

न्यायमूर्ति कौशिक को लेकर ममता को आपत्ति

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को लिखी गई चिट्ठी में किसी और जज की बेंच में मामले की सुनवाई स्थानांतरित करने का कारण भी बताया गया है। ममता का कहना है कि नंदीग्राम मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति कौशिक चंदा भाजपा के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं।

ममता ने कहा है कि यह सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण याचिका है और इसके काफी राजनीतिक निहितार्थ होंगे। ऐसी स्थिति में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को इस महत्वपूर्ण सियासी मामले को किसी और न्यायमूर्ति की बेंच को सौंप देना चाहिए।

नियुक्ति के समय भी जताई थी आपत्ति

इस मामले में ममता की पैरवी कर रहे वकील का कहना है कि मुख्यमंत्री ने न्यायाधीश को कलकत्ता उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश बनाने की मंजूरी देने पर भी अपनी ओर से आपत्ति जताई थी। ऐसी स्थिति में न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की ओर से इस महत्वपूर्ण मामले में पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो जाने की आशंका बनी हुई है।
वकील ने ममता के पत्र को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के सम्मुख प्रस्तुत करने का अनुरोध किया है ताकि सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही इस चुनाव याचिका का बिना किसी पूर्वाग्रह के निष्पक्ष तरीके से निस्तारण हो सके।

वकीलों का हाईकोर्ट पर प्रदर्शन

दूसरी और वकीलों के एक वर्ग ने भी इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति कौशिक चंदा को सौंपे जाने का विरोध किया है। इस मुद्दे पर विरोध जताने के लिए वकीलों ने कलकत्ता हाईकोर्ट के बाहर प्रदर्शन भी किया। इस मामले में एक वकील ने कहा कि संबंधित न्यायाधीश से हमारा कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है मगर यह सच्चाई है कि वे एक राजनीतिक दल से जुड़े रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नंदीग्राम से जुड़ी यह चुनाव याचिका राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इस मामले में फैसला पूरी निष्पक्षता के साथ होना चाहिए। वकील ने कहा कि संबंधित न्यायाधीश को खुद इस मामले की सुनवाई से अलग हो जाना चाहिए।

मामले की सुनवाई 24 तक स्थगित

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के चुनाव को अवैध और अमान्य घोषित करने की मांग को लेकर गुरुवार को कोलकाता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। शुक्रवार को दिन में न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने इस मामले की सुनवाई 24 जून तक के लिए स्थगित कर दी है।
अपनी याचिका में ममता ने शुभेंदु के निर्वाचन को अवैध घोषित करने के लिए कई आधार प्रस्तुत किए हैं। ममता का कहना है कि ऐसे कई कारण हैं जिनके आधार पर शुभेंदु का निर्वाचन पूरी तरह अवैध है।

ममता ने याचिका में गिनाए कई कारण

इस याचिका में ममता बनर्जी ने शुभेंदु अधिकारी पर रिश्वतखोरी, नफरत और शत्रुता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उनका यह भी कहना है कि शुभेंदु ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए धर्म के आधार पर वोट मांगा।

ममता की इस याचिका में शुभेंदु पर मतदान के दौरान बूथों पर कब्जा करने और भ्रष्ट आचरण का भी आरोप लगाया गया है। मुख्यमंत्री की ओर से मतगणना की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए गए हैं। उनका कहना है कि मतगणना के दौरान फार्म 17सी में भी गड़बड़ियां मिली हैं।

नंदीग्राम में हुआ था कांटे का मुकाबला

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम की सीट को सबसे हॉट माना जा रहा था। इस सीट पर टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के बीच कांटे का मुकाबला दिखा। शुरुआती चरणों में शुभेंदु अधिकारी ने लीड ली थी, लेकिन बाद में ममता बनर्जी आगे निकल गई थीं।
एक समय ऐसा भी आया जब मीडिया में ममता के विजयी होने की खबर प्रसारित हो गई मगर बाद में इस खबर का खंडन कर दिया गया। आखिरकार शुभेंदु अधिकारी यह चुनावी संग्राम उन्नीस सौ से अधिक वोटों से जीतने में कामयाब रहे। चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद ही ममता बनर्जी ने नंदीग्राम के चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की भी बात कही थी।

आयोग ने ठुकरा दी थी टीएमसी की मांग

शुभेंदु अधिकारी को विजयी घोषित किए जाने के बाद टीएमसी के प्रतिनिधिमंडल ने नंदीग्राम में दोबारा मतगणना कराने की मांग को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात भी की थी मगर आयोग ने टीएमसी की इस मांग को ठुकरा दिया था। चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी के मतगणना में गड़बड़ी के आरोपों को भी खारिज कर दिया था।

आयोग की ओर से दिए गए थे ये तर्क
आयोग का कहना था कि सभी काउंटिंग टेबल पर एक माइक्रो ऑब्जर्वर था और उन्होंने अपनी रिपोर्ट में नंदीग्राम में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने का कोई उल्लेख नहीं किया है।
आरओ ने सभी राउंड के बाद सभी प्रत्याशियों को मिले मतों की संख्या की एंट्री की थी और इसे डिस्प्ले बोर्ड पर भी दिखाया गया था। आयोग का कहना था कि काउंटिंग के दौरान किसी भी पक्ष की ओर से कोई शंका नहीं जाहिर की गई। ऐसे में मतगणना प्रक्रिया में धांधली के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। अब इस मामले में हर किसी की नजर कलकात्ता हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है।
Shivani

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