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राज्यपाल की मंजूरी से गरमाया नारदा केस, मुकुल रॉय व शुभेंदु को छोड़ देने पर बढ़ा सियासी टकराव
राज्यपाल ने ममता मंत्रिमंडल के शपथ से पहले नारदा घोटाले में TMC के बड़े नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी।
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी की तीसरी बार ताजपोशी के बाद नारदा स्टिंग केस की जांच में काफी तेजी आ गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से बढ़ते टकराव की खबरों के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पिछले दिनों टीएमसी के चार नेताओं के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी थी। सीबीआई (CBI) ने इस सिलसिले में सोमवार को सुबह आरोपी कैबिनेट मंत्री फरहाद हकीम, कैबिनेट मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के घर छापेमारी की और इन चारों को पूछताछ के लिए सीबीआई दफ्तर लाया गया है।
सीबीआई की इस कार्रवाई के बाद पश्चिम बंगाल सियासी माहौल और गरमा गया है। टीएमसी नेताओं को सीबीआई दफ्तर लाए जाने की खबर पर ममता ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। इसे लेकर भाजपा और टीएमसी के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है। टीएमसी ने सवाल किया है कि इस केस के सिलसिले में भाजपा नेता मुकुल रॉय शुभेंदु अधिकारी को क्यों छोड़ दिया गया।
गवर्नर की मंजूरी के बाद कार्रवाई में तेजी
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है। राज्यपाल धनखड़ ने पिछले दिनों ममता मंत्रिमंडल के शपथग्रहण से पहले ही नारदा घोटाले में पूर्व मंत्री और टीएमसी के बड़े नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी।
नारदा घोटाले की जांच सीबीआई की ओर से की गई थी और राज्यपाल की मंजूरी के बाद सीबीआई ने इस मामले में कार्रवाई तेज कर दी है। राज्यपाल धनखड़ ने टीएमसी के जिन नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी उनमें सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा, फरहाद हकीम और सोवन चटर्जी के ही नाम शामिल थे।
टीएमसी लड़ेगी कानूनी लड़ाई
तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि राज्यपाल भाजपा और केंद्र सरकार के हाथों में खेल रहे हैं। राज्यपाल की मंजूरी के बाद भी टीएमसी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया जताई गई थी। राज्यपाल की मंजूरी के बाद सीबीआई ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई की। सीबीआई की ओर से चारों नेताओं को अपने दफ्तर लाए जाने के बाद टीएमसी सांसद और वकील कल्याण बनर्जी ने कहा है कि हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
स्पीकर बोले: नहीं ली गई इजाजत
दूसरी और विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने कहा कि अगर इस मामले में टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी की जाती है तो वह असंवैधानिक होगी क्योंकि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार किसी विधायक की गिरफ्तारी से पहले स्पीकर से इजाजत लेना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीआई की ओर से मुझसे कोई इजाजत नहीं ली गई है।
बदले की भावना से कार्रवाई का आरोप
अब टीएमसी और भाजपा नेताओं के बीच इस मामले को लेकर तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है। तृणमूल कांग्रेस ने सवाल किया है कि इस मामले में सिर्फ टीएमसी नेताओं पर ही शिकंजा क्यों कसा जा रहा है। भाजपा में शामिल होने वाले मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी को क्यों छोड़ दिया गया।
तृणमूल कांग्रेस की नेता डोला सेन ने सीबीआई कार्रवाई को बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया है। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने स्पीकर की इजाजत के बिना विधायक और मंत्रियों को गिरफ्तार किया है और वह कोई भी कानून नहीं मान रही है। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की हार के बाद बंगाल में बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है।
भाजपा ने दिया तीखा जवाब
टीएमसी के इस बयान के बाद भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो ने भी तीखा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि जो भी कार्रवाई की जा रही है वह कोर्ट के आदेश पर की जा रही है। ऐसे में हर किसी को अपनी मनमर्जी से नहीं गिरफ्तार किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अदालत चाहे तो किसी से भी पूछताछ की जा सकती है।
राज्यपाल की भूमिका से बढ़ा टकराव
नारदा स्टिंग केस में सीबीआई की इस कार्रवाई के पीछे राज्यपाल की बड़ी भूमिका का आरोप लगाया जा रहा है क्योंकि उनकी मंजूरी के बाद ही सीबीआई की कार्रवाई में तेजी आई है। ममता के तीसरे शासनकाल में राज्यपाल और मुख्यमंत्री का टकराव चरम पर पहुंच गया है।
राज्यपाल ने ममता की अपील ठुकराई
मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों राज्यपाल से हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा न करने की अपील की थी मगर राज्यपाल धनखड़ ने ममता की इस अपील को ठुकरा दिया। उन्होंने हिंसाग्रस्त इलाकों के दौरे के साथ ही असम के रनपगली जाकर पश्चिम बंगाल से पलायन करने वाले लोगों से भी मुलाकात की थी और उनका दुख दर्द सुना था। राज्यपाल ने नंदीग्राम इलाके का भी दौरा किया था जहां इस बार के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शुभेंदु अधिकारी के हाथों हार झेलनी पड़ी थी।