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केवल चुनावी रणनीतिकार ही नहीं एक अच्छे भविष्यवक्ता साबित हुए प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर एक भारतीय राजनीतिक रणनीतिकार और राजनीतिज्ञ के रूप में काम कर चुके हैं।
नयी दिल्ली: पश्चिम बंगाल के चुनाव में भाजपा की सारी रणनीति व गुणा-गणित को फेल करके ममता बनर्जी को शानदार जीत दिलाने में खास भूमिका निभाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने आज घोषणा की कि वह एक चुनावी रणनीतिकार के रूप में आगे काम नहीं करना चाह रहे हैं। यह घोषणा उन्होंने ऐसे समय में कि है जब वह न केवल अपनी रणनीति में सफल हुए हैं बल्कि उनकी भविष्यवाणी भी सफल हुयी है।
एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि वह जो कर रहे हैं, उसे जारी नहीं रखना चाहते हैं। इस क्षेत्र में उन्होंने काफी कुछ कर लिया है। ऐसे में अब उन्हें एक ब्रेक लेना चाहिए और जीवन में कुछ और करने की कोशिश करनी चाहिए।
उनकी इस घोषणा के बाद यह सवाल उठने लगा है कि चुनावी रणनीतिकार के रूप में सफल प्रशांत किशोर आखिर क्या करेंगे और किस क्षेत्र में अपनी कार्यकुशलता को अपनाएंगे। हालांकि राजनीति में दोबारा शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा है कि वह एक असफल राजनीतिज्ञ हैं। ऐसे में वापस जाएंगे और वापस जाकर देखेंगे कि आगे क्या करना है। ऐसा भी हो सकता है कि वह बिहार में अपने कार्य की फिर से शुरुआत करें, जिसे बिहार चुनाव के पहले शुरू किया था लेकिन उसे आगे नहीं बढ़ा सके थे।
आपको याद होगा कि चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी 200 पार का दावा करती रही थी तो दूसरी तरफ टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बोलते रहे कि बीजेपी के लिए डबल डिजिट क्रॉस नहीं कर पाएगी और आज उनकी भविष्यवाणी सही साबित हो गयी है और भाजपा का बंगाल में सरकार बनाने का सपना चूर हो गया है और पार्टी 80 से 90 सीटों के बीच सिमटती नजर आ रही है।
कैसा रहा है प्रशांत किशोर का सफर
प्रशांत किशोर एक भारतीय राजनीतिक रणनीतिकार और राजनीतिज्ञ के रूप में काम कर चुके हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान की कमान संभालने से लेकर 2017 में पंजाब में कांग्रेस सरकार बनवाने तक प्रशांत किशोर भारतीय राजनीति चर्चा का विषय बने रहे। फिलहाल वह पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के प्रधान सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं।
प्रशांत किशोर वर्तमान समय में अपनी टीम इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC Indian Political Action Committee) के साथ पश्चिम बंगाल के चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की विजयी अभियान को सफल कराने में बड़ी भूमिका निभायी है।
आपको याद होगा कि प्रशांत किशोर ने सितंबर 2018 में जनता दल (यूनाइटेड) ज्वॉइन की, लेकिन 29 जनवरी 2020 को नीतीश कुमार की आलोचना करने के चलते पार्टी से निकाल दिए गए थे और किशोर ने भारतीय राजनीति में प्रवेश करने से पहले संयुक्त राष्ट्र के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में आठ साल तक काम करके अपनी प्लानिंग व रणनीति का लोहा मनवाया है।
वैसे अगर देखा जाय तो प्रशांत किशोर का बीजेपी के साथ संबंध 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले का है। 2011 में मोदी के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 'वाइब्रैंट गुजरात' की रूपरेखा प्रशांत किशोर ने ही तैयार की थी। इसके बाद 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की टीम ने बीजेपी के प्रचार का जिम्मा संभाल कर भारी विजय दिलवायी थी। इस चुनाव को जीतकर नरेंद्र मोदी तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे।
इसके बाद वह 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति तैयार करने और इसे सफल बनाने का काम किया। इसके बाद वह 2015 में बिहार में महागठबंधन के लिए चुनावी रणनीतिकार की जिम्मेदारी संभाली और भाजपा के खिलाफ नीतीश की सरकार बनवाने में सफल रहे।
प्रशांत किशोर बिहार के बाद 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनाव अभियान को भी संभाला था और कांग्रेस पार्टी 117 सदस्यीय सदन में 77 सीटें जीतकर सत्ता में पहुंची थी। हालांकि वह उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के चुनावी अभियान की जिम्मेदारी संभालने के बाद कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं दिला पाए थे।
इसके अलावा किशोर ने आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस की चुनावी रणनीति की जिम्मेदारी भी संभाली थी और वहां पर जगन मोहन रेड्डी को ऐतिहासिक जीत दिलाने में सफल रहे। इसके साथ साथ वह दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के लिए भी चुनावी रणनीतिकार की भूमिका निभाकर जीत दिलाने का करिश्मा किया है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में हुआ था। बिहार के रोहतास जिले से संबंध रखने वाले प्रशांत के पिता पेशे से डॉक्टर हैं और बाद में उनका पूरा परिवार बक्सर शिफ्ट हो गया था। अपनी शुरुआती पढ़ाई बिहार में करने के बाद प्रशांत ने हैदराबाद से इंजिनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद वे संयुक्त राष्ट्र (UN) से जुड़ गए थे।