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बेहतरीन फुटबॉलर सुरजीत सेनगुप्ता का निधन, साल 1970 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के थे सदस्य
सुरजीत सेनागुप्ता का जन्म 30 अगस्त 1951 को हुगली में जिले के चुचुड़ा में हुआ था। सेनागुप्ता अपने फुटबॉल करियर की शुरुआत किदरपोर क्लब के साथ की।
Surjit Sengupta: भारत के पूर्व मिडफील्डर और पश्चिम बंगाल के दिग्गज खिलाड़ी सुरजीत सेनगुप्ता का कोविड-19 लबें समय तक जुझने के बाद गुरुवार के शहर के हॉस्पिटल में निधन हो गया है। सेनागुप्ता ईस्ट बंगाल की उस टीम का हिस्सा थे जिसने 1970 से 1976 के बीच लगातार बार कलकत्ता फुलबॉल लीग खिताब जीतने के अलावा छह बार आईएफए शील्ज और तीन बार डूरंग कप का खिताब जीता। सेनगुप्ता के निधन पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुख जतयाा है।
सुरजीत सेनागुप्ता का जन्म 30 अगस्त 1951 को हुगली में जिले के चुचुड़ा में हुआ था। सेनागुप्ता अपने फुटबॉल करियर की शुरुआत किदरपोर क्लब के साथ की। उन्होंने अपने पूरे करियर में कई शानदार मैच खेले हैं। इसके साथ ही सुरजीत सेनगुप्ता ने 1975 के शील्ड फाइनल में मोहन बागान के खिलाफ ईस्ट बंगाल के लिए अपना पहला गोल किया था।
1979 के शील्ड सेमीफाइनल में उन्होंने थाईलैंड विश्वविद्यालय के खिलाफ एक शानदार गोल किया था। 1978 में, उन्होंने बरदलाई ट्रॉफी में अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ मैचों में से एक खेला था। अपने शानदार फुटबॉल की बदौलत ईस्ट बंगाल ने पोर्ट अथॉरिटी ऑफ बैंकॉक को 4-2 से हराया था।
सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीट कर जताया दुख
पश्चिम बंगाल के सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, आज स्टार फुटबॉलर सुरजीत सेनगुप्ता को गंवा दिया है। फुटबॉल के दिलों की धड़कन और राष्ट्रीय खिलाड़ी के अलावा सुरजीत सेनगुप्ता परफेक्ट जेंटलमैन भी थे। वह हमेशा हमारे दिल में रहेंगे। सुरजीत के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद 23 जनवरी के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन वह पिछले सप्ताह से ही वेंटीलेटर पर थे, जिसके बाद आज उन्होंने दोपहर में अंतिम सांस ली।
ईस्ट बंगाल में उस साल डूंरग कपन फाइनल मैच में मोहम बागान को 3-0 से हराया था। उस मैच में गोल करने के अलावा उन्होंने कड़ी मेहनत की थी, और साल 1979स में पूर्वी बंगाल शील्ड के सेमीफाइनल में थाईलैंड विश्वविद्यालय से 0-1 से हारे थे। सुरजीत ने अचानक लाल पीले रंग ने अपने टर्निंग शॉट से गोल कर दिया था।
1975 में सुरजीत को वेटरन्स क्लब द्वारा फुटबॉलर ऑफ द ईयर के नामित किया गया। 1978 के एशियाई खेलों में अपनी राष्ट्रीय टीम की शुरुआत की। वह 1979 तक भारतीय टीम के लिए खेले थे। सुरजीत 1972 से 1979 तक बंगाल के लिए संतोष ट्रॉफी में खेले। वहीं वह 1976 में विजयी बंगाल के कप्तान भी रहे थे। 1975 में कर्नाटक के खिलाफ फाइनल में सुरजीत ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था और पहला मैच उस साल पंजाब के खिलाफ ड्रॉ हुआ था।