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Tirath Singh Rawat Resignation: क्या बंगाल में ममता की मुश्किलें बढ़ाने वाला है तीरथ सिंह रावत का इस्तीफा?
Tirath Singh Rawat Resignation: उत्तराखंड में संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है। ऐसे में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के लिए भी मुश्किल खड़ी हो गई है। ममता भी विधानसभा की सदस्य नहीं हैं।
Tirath Singh Rawat Resignation: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने संवैधानिक संकट की वजह से राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। दरअसल, तीरथ सिंह रावत विधानसभा के सदस्य नहीं थे। वर्तमान हालात में उत्तराखंड़ में उपचुनाव होना भी मुश्किल था। जिसे लेकर उन्होंने महज कुछ महीने में ही त्यागपत्र दे दिया। तीरथ सिंह रावत के बाद अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने भी ये मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। बता दें कि सीएम ममता बनर्जी भी राज्य की विधानसभा सदस्य नहीं हैं। कोरोना महामारी के चलते बंगाल में यदि आगामी कुछ महीनों में उपचुनाव नहीं हुए, तो ममता बनर्जी के सामने भी 'संवैधानिक संकट' खड़ा होने की संभावना जताई जा रही है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164 (4) के मुताबिक, मुख्यमंत्री या मंत्री अगर छह महीने तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य नहीं है, तो उस मंत्री का पद इस अवधि के साथ ही समाप्त हो जाएगा। तीरथ सिंह रावत 10 मार्च 2021 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुए थे। उनको छह महीने यानी 10 सितंबर 2021 से पहले विधायक चुनकर आना था। राज्य में दो विधानसभा सीटें रिक्त भी हैं, लेकिन कोविड 19 के चलते इन सिटों पर चुनाव कराए जाने की संभावना नहीं बन रही। वहीं, राज्य की विधानसभा का कार्यकाल महज 8 महीने का ही बचा है।
कोविड के खतरे को देखते हुए चुनाव आयोग लेगा फैसला
कोरोना महामारी के दौरान पांच राज्यों में चुनाव कराए जाने का मामला खुब गरमाया। मद्रास हाईकोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए चुनाव आयोग को दूसरी लहर का जिम्मेदार बताया था और अफसरों पर मर्डर का चार्ज लगाने तक की बात कह डाली थी। ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव आयोग कोई भी फैसला कोविड के खतरे को देखते हुए ही लेगा। बता दें कि कोविड के कारण देश में करीब दो दर्जन विधानसभा सीटों और कुछ संसदीय सीटों पर चुनाव लंबित है।
नंदीग्राम में ममता को मिली थी कड़ी शिकस्त
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने 4 मई 2021 को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन नंदीग्राम में चुनाव हारने के चलते ममता राज्य विधानमंडल की सदस्यता से वंचित रहीं। दरअसल, बंगाल चुनाव में बहुचर्चित सीट नंदीग्राम से ममता बनर्जी 1956 वोटों से चुनाव हार गई थी। बीजेपी कैंडिडेट शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें शिकस्त दी थी। ऐसे में अब ममता को अनुच्छेद 164 के मुताबिक, 4 नवंबर 2021 (6 महीने में) तक विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है। नहीं तो यह सीएम ममता के लिए संवैधानिक बाध्यता साबित हो सकता है।
भवानीपुर विधानसभा सीट खाली
पश्चिम बंगाल में भवानीपुर विधानसभा सीट खाली हो गई है। मगर ममता विधानसभा की सदस्य तभी बन पाएंगी जब तय अवधि के अंदर चुनाव होगा। यदि चुनाव आयोग जल्द से जल्द उपचुनाव नहीं करा पाता है, तो तीरथ सिंह रावत की तरह ही ममता बनर्जी को 4 नवंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।
इन दो मंत्रियों को भी देना पड़ा था इस्तीफा
पहले की व्यवस्था के मुताबिक, एक बार पद से हटने के बाद वह नेता दोबारा मंत्री पद की शपथ लेकर छह महीने की अपनी छूट को एक साल तक बढ़ा लेते थे। पंजाब में भी कांग्रेस नेता तेज प्रकाश सिंह को 1995 में मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था, वे उस समय राज्य के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। ऐसे में छह महीने का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्होंने मंत्री पद इस्तीफा दे दिया था। इसके साथ ही 1996 में राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए बिना वे फिर से मंत्री नियुक्त किए गए। लेकिन बाद में अगस्त 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत करार देते हुए इसपर रोक लगा दी।