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केंद्रीय मंत्री की नागरिकता पर सियासी माहौल गरमाया, कांग्रेस के बाद टीएमसी ने भी उठाए सवाल
Union Minister Nisith Pramanik Nationality: केंद्र में मंत्री बनाए जाने के बाद प्रामाणिक काफी चर्चाओं में है क्योंकि वे मोदी कैबिनेट के सबसे युवा सदस्य हैं।
Union Minister Nisith Pramanik Nationality : मोदी सरकार (Modi Govt) के नए गृह राज्य मंत्री निशीथ (Modi Cabinet Minister Nisith Pramanik) प्रामाणिक की नागरिकता पर सवाल उठने के बाद सियासी माहौल गरमा गया है। कांग्रेस नेता रिपुन बोरा की ओर से इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखे जाने के बाद अब तृणमूल कांग्रेस ने निशीथ की नागरिकता के सवाल पर मोदी सरकार को घेरा है। बोरा ने अपने पत्र में प्रामाणिक को बांग्लादेशी नागरिक बताते हुए उनके जन्मस्थान और उनकी राष्ट्रीयता की जांच कराने की मांग की है।
पश्चिम बंगाल में भाजपा से हमेशा दो-दो हाथ करने को तैयार रहने वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी अब इस मामले को लपक लिया है। मोदी सरकार के हाल में हुए फेरबदल के दौरान 35 वर्षीय प्रामाणिक को भी राज्य मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। बाद में उन्हें राज्यमंत्री के रूप में गॄह विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। संसद के मानसून सत्र से पहले प्रामाणिक को लेकर सवाल उठने के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि यह मामला संसद में भी गूंजेगा।
कांग्रेस नेता ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र
राज्यसभा सदस्य और असम प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुण बोरा ने प्रामाणिक की नागरिकता पर सवाल उठाने वाला पत्र टि्वटर पर भी साझा किया है। प्रधानमंत्री को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि तमाम अखबारों और चैनलों ने अपनी खबरों में प्रामाणिक को बांग्लादेशी नागरिक बताया है। सांसद ने दावा किया कि खबरों के मुताबिक के प्रामाणिक का जन्म स्थान हरिनाथपुर है। यह इलाका बांग्लादेश के गायबंधा जिले के पलासबाड़ी थाने के अंतर्गत आता है।
बोरा के पत्र के मुताबिक बाद में कंप्यूटर की पढ़ाई करने के लिए प्रामाणिक बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आ गए। कंप्यूटर की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ले ली। अपने सियासी सफर के दौरान बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए और कूचबिहार से लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब हुए।
नागरिकता की जांच कराने की मांग
बोरा ने प्रामाणिक पर नामांकन पत्र में छेड़छाड़ करके अपना पता कूचबिहार के रूप में दर्ज कराने का भी आरोप लगाया है। बोरा ने कहा कि यदि समाचार चैनलों की बातों में सच्चाई है तो यह गंभीर मामला है क्योंकि प्रामाणिक को देश का केंद्रीय मंत्री बनाया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से भ्रम की स्थिति दूर करते हुए प्रामाणिक के जन्म स्थान और उनकी नागरिकता की जांच कराने की भी मांग की है।
प्रामाणिक पर सबसे पहले सवाल सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट के बाद उठे थे। इस पोस्ट में प्रामाणिक का जन्म स्थान बांग्लादेश में बताया गया था। खुद को बांग्लादेश का धार्मिक संगठन बताने वाले पूजार मेला की ओर से यह पोस्ट की गई थी।
टीएमसी ने भी बोरा का किया समर्थन
रिपुन बोरा की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने भी निशीथ की नागरिकता को लेकर सवाल उठाए हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता और पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने भी रिपुन बोरा की बातों का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा कि बोरा की ओर से उठाए गए सवाल पूरी तरह सही हैं। पश्चिम बंगाल के एक और मंत्री इंद्रनील सेन ने भी कहा कि प्रामाणिक से जुड़े हुए तथ्य काफी हैरान करने वाले हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने प्रामाणिक की शैक्षिक योग्यता पर भी सवाल उठाए हैं।
भाजपा ने आरोपों को निराधार बताया
दूसरी ओर भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई और प्रामाणिक के करीबी सूत्रों ने बोरा की ओर से उठाए गए सवालों को बिल्कुल तथ्यहीन बताया है। भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि किसी पर भी उंगली उठाना काफी आसान काम है मगर उंगली उठाने से पहले सबूत दिखाए जाने चाहिए। प्रामाणिक की नागरिकता को लेकर अभी तक किसी भी प्रकार के सबूत नहीं पेश किए गए हैं।
दूसरी और प्रामाणिक के करीबी सूत्रों का कहना है कि उनका जन्म, पालन-पोषण और शिक्षा दीक्षा सबकुछ भारत में ही हुई है। उन्होंने कहा कि प्रामाणिक को लेकर उठाए जा रहे सवाल पूरी तरह निराधार हैं। प्रामाणिक के करीबी सूत्रों ने यह भी कहा कि यदि उनके मंत्री बनाए जाने पर उनके रिश्तेदार दूसरे देशों में जश्न मना रहे हैं तो उसे कैसे रोका जा सकता है।
मंत्री बनने के बाद चर्चाओं में हैं प्रामाणिक
केंद्र में मंत्री बनाए जाने के बाद प्रामाणिक काफी चर्चाओं में है क्योंकि वे मोदी कैबिनेट के सबसे युवा सदस्य हैं। लोकसभा की वेबसाइट में उनके बारे में दर्ज जानकारी के मुताबिक उनका जन्म स्थान कूचबिहार है।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की ओर से प्रामाणिक की नागरिकता पर सवाल उठाए जाने के बाद माना जा रहा है कि यह मामला संसद के मानसून सत्र में भी गूंजेगा। मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने सरकार की घेरेबंदी की योजना बनाई है और ऐसे में इस मामले को लेकर भी सियासी माहौल गरमा गया है।