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West Bengal Politics: ममता बनर्जी की शपथ में फंसा पेंच, राज्यपाल ने छीन ली स्पीकर की शक्ति
West Bengal Politics: ममता बनर्जी के विधायक के रुप में शपथ लेने के मामले में पेंच फंस गया है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य विधानसभा के अध्यक्ष विमान बनर्जी से विधायकों को शपथ दिलाने की शक्ति छीन ली है।
West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री (Paschim Bengal Ki Mukhyamantri) और तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) की मुखिया ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने भवानीपुर उपचुनाव (Bhawanipur By poll) तो जीत लिया है। मगर अब उनके विधायक के रुप में शपथ लेने के मामले में पेंच फंस गया है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankhar) ने राज्य विधानसभा के अध्यक्ष विमान बनर्जी (Biman Banerjee) से विधायकों को शपथ दिलाने की शक्ति छीन ली है।
इस बाबत स्पीकर की ओर से राज्यपाल को पत्र भी लिखा गया था। पत्र में अनुरोध किया गया था कि उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) समेत उपचुनाव में विजयी तीनों प्रत्याशियों को शपथ दिलाने का अधिकार मिलना चाहिए।.मगर राज्यपाल ने स्पीकर का यह अनुरोध ठुकरा दिया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 7 अक्टूबर को विधायक पद की शपथ (Vidhayak Pad Ki Shapath) लेने का फैसला किया था। उन्होंने इस बाबत राज्यपाल को चिट्ठी भी लिखी थी। इस चिट्ठी में राज्यपाल से शपथग्रहण समारोह (Shapath Grahan Samaroh) में उपस्थित होने की अपील भी की गई थी। मगर अब इस शपथग्रहण समारोह को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल और स्पीकर के बीच तनातनी और बढ़ने के आसार हैं।
भवानीपुर में ममता की बड़ी जीत
नंदीग्राम में चुनावी हार के बाद ममता बनर्जी ने भवानीपुर में हुए उपचुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी (BJP Candidate) प्रियंका टिबरेवाल (Priyanka Tibrewal) को 58 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। इस जीत के बाद ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर छाया संकट दूर होता माना जा रहा था मगर अब उनके विधायक पद के शपथग्रहण को लेकर ही पेंच फंस गया है। ममता बनर्जी ने गत 5 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके लिए अगले महीने की 4 तारीख से पहले विधायक पद की शपथ लेना जरूरी है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल की ओर से भवानीपुर उपचुनाव (Bhawanipur Upchunaav) से पहले ही स्पीकर को चिट्ठी लिखी गई थी। इस चिट्ठी में संविधान के अनुच्छेद 188 का जिक्र किया गया है। यह अनुच्छेद राज्यपाल को शपथ दिलाने की ताकत देता है।
राज्यपाल ने ठुकराया स्पीकर का अनुरोध
राजभवन के चिट्ठी के जवाब में स्पीकर की ओर से गत एक अक्टूबर को और राज्यपाल को पत्र लिखा गया था। इस पत्र में विधानसभा उपचुनाव में जीतने वाले प्रत्याशियों को शपथ दिलाने का अधिकार देने का अनुरोध किया गया था। मगर राज्यपाल की ओर से स्पीकर का यह अनुरोध ठुकरा दिया गया। राज्यपाल ने चुनाव नतीजों की अधिसूचना जारी होने के बाद फैसला लेने की बात भी कही है। उन्होंने सरकार और स्पीकर की ओर से की गई अपील को कानून की गलत व्याख्या पर आधारित बताया है। उनका कहना है कि नतीजों के संबंध में अधिसूचना जारी होने के बाद ही वे इस बाबत कोई फैसला लेंगे।
पहले भी हो चुका है स्पीकर से टकराव
धनखड़ को 2019 के जुलाई महीने में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था। राज्यपाल बनने के बाद से ही राज्य सरकार के साथ उनके रिश्ते काफी तल्खी भरे रहे हैं। टीएमसी नेताओं का कहना है कि राज्यपाल के मौजूदा कदम से राजभवन और राज्य सरकार के रिश्तों की कड़वाहट और बढ़ सकती है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ ही स्पीकर के भी राज्यपाल से रिश्ते काफी तल्खी भरे रहे हैं। स्पीकर और राज्यपाल के बीच पहले भी टकराव हो चुका है। राज्यपाल धनखड़ ने विधानसभा में अपने भाषण का लाइव टेलीकास्ट करने को कहा था। मगर स्पीकर की ओर से इसकी इजाजत नहीं दी गई थी। स्पीकर ने राज्यपाल पर काम में अनावश्यक दखल देने का आरोप भी लगाया था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विधायक के रूप में शपथग्रहण को लेकर अभी स्पीकर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है। वैसे ममता इस मुद्दे को लेकर काफी सक्रिय हैं। उन्होंने इस बाबत स्पीकर से बातचीत भी की है। मुख्यमंत्री कार्यालय (Mukhyamantri Karayalaya) की ओर से राजभवन से भी संपर्क साधा गया है। टीएमसी की ओर से राज्यपाल के कदम को अनावश्यक और तनाव बढ़ाने वाला बताया गया है।
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