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West Bengal: व्यापम से कम नहीं पश्चिम बंगाल का टीचर भर्ती घोटाला, कई मंत्री फंसे
West Bengal: बंगाल में शिक्षक भर्ती में घोटाले के दो अलग अलग मामले सामने आए हैं।
West Bengal: काफी समय पहले मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाला हुआ था। अब उसी तरह के शिक्षक भर्ती घोटाले (teacher recruitment scam) पश्चिम बंगाल में सामने आया है जिसमें हैरतअंगेज किस्से खुल रहे हैं। ये घोटाले सरकारी स्कूलों में टीचरों की भर्ती से संबंधित हैं।
दरअसल बंगाल में शिक्षक भर्ती में घोटाले(teacher recruitment scam) के दो अलग अलग मामले सामने आए हैं। एक मामला राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) के माध्यम से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती का है जबकि दूसरा मामला पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (West Bengal Board of Secondary Education) के तहत माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों की भर्ती का है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) के माध्यम से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में ढेरों गड़बड़ियों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने का आदेश दिया है।
क्या हैं घोटाले
एसएलएसटी के माध्यम से पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अधिसूचना 2014 में प्रकाशित हुई और भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी। बाद में भर्ती प्रक्रिया में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गईं।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कम अंक प्राप्त करने वाले कई परीक्षार्थियों ने मेरिट सूची में उच्च स्थान प्राप्त किया। यह भी आरोप थे कि कुछ आवेदकों, जो मेरिट सूची में भी नहीं थे, को नियुक्ति पत्र प्राप्त हुए।
दूसरे मामले में, पश्चिम बंगाल सरकार ने 2016 में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) को सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए 13,000 ग्रुप-डी कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। 2019 में, नियुक्तियां करने वाले पैनल की समय सीमा समाप्त हो गई थी, लेकिन कम से कम 25 व्यक्तियों को कथित तौर पर बोर्ड द्वारा नियुक्त किया गया था।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
ग्रुप सी और ग्रुप डी भर्ती मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने सीबीआई जांच का आदेश देते हुए कहा, "रिकॉर्ड चौंकाने वाली स्थिति (West Bengal teacher recruitment scam) का खुलासा करता है और हम इस न्यायालय द्वारा गठित समिति द्वारा जांच पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।"
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजीत बाग समिति की अध्यक्षता वाली एक जांच समिति ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के भर्ती घोटाले की जांच की और 12 मई को कलकत्ता उच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें कहा गया है कि भर्ती परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को हासिल करने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) का उपयोग किया और फिर रैंक में हेरफेर करने के लिए उम्मीदवारों के अंकों में वृद्धि की गई। इसके अलावा जाली हस्ताक्षर वाले नकली सिफारिश और नियुक्ति पत्र जारी किये गए और ओएमआर (उत्तर) शीट को नष्ट कर दिया गया।
कॉपियों में खूब हुई हेरफेर
जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि घोटाले से जुड़े अधिकारियों ने चुनिंदा उम्मीदवारों को अपनी ओएमआर उत्तर पुस्तिका हासिल करने के लिए आरटीआई आवेदन दाखिल करने और पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी। ये स्कूल सेवा आयोग नियम, 2009 के प्रावधानों का उल्लंघन है।
बाद में अधिकारियों ने कथित तौर पर उम्मीदवारों के अंक बढ़ाकर उन्हें ऊंची रैंक देने के लिए ओएमआर शीट में हेरफेर की। उन्होंने असफल उम्मीदवारों को नियुक्ति सूची में लाने के लिए कथित तौर पर जाली अंक भी बनाए। अंक बदलने के बाद ओएमआर शीट को कथित तौर पर नष्ट कर दिया गया।
जांच कमेटी
कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए 22 फरवरी को समिति का गठन किया था।
स्कूल शिक्षा विभाग में पूरी भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी। ग्रुप सी में सभी लिपिक पद शामिल हैं, जिसमें प्रति माह 22,700 रुपये के शुरुआती वेतन के साथ, परिचारकों को 17,000 रुपये के मासिक वेतन में ग्रुप डी स्टाफ के रूप में काम पर रखा जाता है। कथित तौर पर ग्रुप सी श्रेणी में 381 उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ा दीं गईं। इन 382 उम्मीदवारों में से लगभग 250 तो मेरिट सूची से पूरी तरह गायब थे।दूसरी तरफ ग्रुप डी में फेल हुए 609 उम्मीदवारों को कथित तौर पर सिफारिश पत्र दिए गए।
फंसे ममता के मंत्री
इस घोटाले में वर्तमान उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी, जिनके पास अनियमितताओं के समय शिक्षा विभाग था, और वर्तमान शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी, जिनकी बेटी अंकिता को कथित रूप से लाभ हुआ था, से सीबीआई पूछताछ के लिए रास्ता खुला है।
हाईकोर्ट ने अंकिता को सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में सहायक शिक्षिका के पद से बर्खास्त करने का आदेश दिया और उसे ज्वाइनिंग की तारीख से लेकर अब तक का पूरा वेतन लौटाने को कहा है। अदालत ने पार्थ चटर्जी की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी से छूट की याचिका को भी खारिज कर दिया। एसएससी के अध्यक्ष पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं।